रांची: मानव तस्करी के खिलाफ झारखंड सरकार के अभियान का असर दिखने लगा है. महानगरों में अभियान चलाकर झारखंड के बच्चों को मुक्त कराया जा रहा है. इस कड़ी में खूंटी जिले की सात और गिरिडीह जिले की दो बच्चियों को दिल्ली में मुक्त कराया गया है. इसके अलावा एक बालक को भी मुक्त कराया गया है.
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ए डोडे का स्पष्ट निर्देश है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, उस जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी और बाल संरक्षण पदाधिकारी पर बच्चों को पुनर्वासित की जिम्मेदारी होगी. इसी कड़ी में गिरीडीह की जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेम्बम और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अहमद अली की पहल पर दिल्ली से गिरिडीह की दो बच्चियों और खूंटी की 7 बच्चियों को स्कॉट किया गया. सभी बच्चियों को रांची लाया जा रहा है. इन बच्चियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि यह दोबारा मानव तस्करी की शिकार न बनने पाएं.
आपको बता दें कि स्थानीक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली के द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है.
दिल्ली में मुक्त करायी गई बच्चियों को दलाल के माध्यम से लाया गया था. दलालों के चंगुल में बच्चियों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती हैं. कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चियां अपने माता पिता अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल में आती हैं. एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र की परामर्शी निर्मला खालखो और राहुल सिंह ने बहुत अहम भूमिका निभाई है.