रामगढ़ः झारखंड पर्यटन विभाग की ओर से रजरप्पा मंदिर में प्रक्षेत्र की साफ-सफाई का जिम्मा यहां के स्थानीय ग्रामीणों को सौंपा गया है. पर्यटन विभाग ने इनलोगों को मानदेय के आधार पर यहां रखा है, लेकिन पिछले दस माह से इन सफाई कर्मियों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है. वेतन नहीं मिलने के कारण इन्हें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. पैसे के अभाव के कारण भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है, लेकिन प्रशासन इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है.
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सफाई कर्मियों ने बीते सोमवार को हड़ताल कर दिया था जिसके बाद मंदिर परिसर में चारों ओर गंदगी देखने को मिल रही थी. बाद में आश्वासन के बाद सफाईकर्मी काम पर लौटे थे. सफाई कर्मियों में अत्यधिक संख्या महिलाओं की है. सफाई कार्य बाधित होने के कारण मंदिर परिसर में आने जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
आज रजरप्पा को एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाने लगा है तो इसमें यहां के सफाई कर्मियों का भी बड़ा हाथ है. दिन रात मेहनत करके यह लोग मुख्य मार्ग से लेकर मंदिर प्रक्षेत्र की साफ सफाई करते नजर आते हैं. मगर पर्यटन विभाग की ओर से सरकार के आदेश के बावजूद कोरोना काल में भी इन सफाई कर्मियों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है. दुर्गा पूजा के बाद अब शायद दीपावली भी इनलोगों की फीकी ही बीतेगी क्योंकि आश्वासन के बाद भी दस माह से इनके हाथ खाली ही हैं.
सफाई कर्मियों का कहना है कि हमलोग हड़ताल करते हैं तो अधिकारी आकर जल्द भुगतान करने का झुनझुना पकड़ा देते हैं. पिछली बार डीसी सर ने आश्वासन दिया था मगर कुछ नहीं हो पाया. सफाई कर्मियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमारी मांग जल्द पूरी नहीं की जाती है तो हम आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.
झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से फंड नहीं दिया जा रहा है. लॉक डाउन के दौरान भी मंदिर परिसर में सफाई का कार्य करते आ रहे उम्मीद करते हैं कि अधिकारियों की जल्द नजरे इनायत हो और इन सफाईकर्मियों की दीपावली जगमग भरा हो.