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रामगढ़ पुलिस लाइन में सरहुल उत्सव, मांदर की थाप पर झूमे एसपी

रामगढ़ पुलिस लाइन में सरहुल उत्सव मनाया गया. इस दौरान पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार मांदर बजाते हुए जवानों के साथ डांस किया.

Ramgarh Police Line
रामगढ़ पुलिस लाइन में धूमधाम से मनाया गया सरहुल उत्सव
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Published : Apr 4, 2022, 11:09 PM IST

रामगढ़ः रामगढ़ पुलिस लाइन में सोमवार को धूमधाम से प्रकृति पर्व सरहुल उत्सव मनाया गया. इस दौरान विशेष पूजा अर्चना की गई. पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना करने के बाद ढोल, नगाड़ा और मांदर की थाप पर पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार और पुलिसकर्मियों के परिवार साथ खूब झूमे. पुलिस अधीक्षक खुद मांदर बजाते हुए जवानों के साथ डांस किया. रामगढ़ एसपी ने सभी को प्रकृति पर्व सरहुल की बधाई दी.

यह भी पढ़ेंःरांची में सरहुल ने भुलाया कोरोना का दर्दः जुलूस में जमकर नाचे लोग, प्रकृति संरक्षण का दिया पैगाम

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि प्रकृति पर्व सरहुल प्रकृति से जोड़े रखने का त्योहार है. उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा के लिए प्रयास करते रहना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर प्राकृतिक स्वरूप मिल सके. उन्होंने कहा कि लोक जीवन और प्रकृति के बीच अटूट संंबंध है, जिसका उदाहरण सरहुल त्योहार है. उन्होंने कहा कि प्रकृति पर्व सरहुल लोगों को प्रकृति के साथ तालमेल बैठाते हुए जीने की सीख देता है.

देखें पूरी खबर


प्रकृति के पर्व सरहुल आदिवासी समुदायों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. यह पर्व रबी की फसल कटने के साथ ही शुरू होता है. इसलिए सरहुल उत्सव को नये वर्ष के आने की खुशी के रूप में मनाते हैं. यह उत्सव प्रत्येक साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को चांद दिखने के साथ ही शुरू और पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है. सरहुल पर्व को झारखंड के विभिन्न जनजातियां अलग-अलग नाम से मनाते हैं.

रामगढ़ः रामगढ़ पुलिस लाइन में सोमवार को धूमधाम से प्रकृति पर्व सरहुल उत्सव मनाया गया. इस दौरान विशेष पूजा अर्चना की गई. पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना करने के बाद ढोल, नगाड़ा और मांदर की थाप पर पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार और पुलिसकर्मियों के परिवार साथ खूब झूमे. पुलिस अधीक्षक खुद मांदर बजाते हुए जवानों के साथ डांस किया. रामगढ़ एसपी ने सभी को प्रकृति पर्व सरहुल की बधाई दी.

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पुलिस अधीक्षक ने कहा कि प्रकृति पर्व सरहुल प्रकृति से जोड़े रखने का त्योहार है. उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा के लिए प्रयास करते रहना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर प्राकृतिक स्वरूप मिल सके. उन्होंने कहा कि लोक जीवन और प्रकृति के बीच अटूट संंबंध है, जिसका उदाहरण सरहुल त्योहार है. उन्होंने कहा कि प्रकृति पर्व सरहुल लोगों को प्रकृति के साथ तालमेल बैठाते हुए जीने की सीख देता है.

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प्रकृति के पर्व सरहुल आदिवासी समुदायों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. यह पर्व रबी की फसल कटने के साथ ही शुरू होता है. इसलिए सरहुल उत्सव को नये वर्ष के आने की खुशी के रूप में मनाते हैं. यह उत्सव प्रत्येक साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को चांद दिखने के साथ ही शुरू और पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है. सरहुल पर्व को झारखंड के विभिन्न जनजातियां अलग-अलग नाम से मनाते हैं.

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