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शर्मनाकः रामगढ़ के सरकारी स्कूल का सच, तालाब के गंदे पानी में थाली धोकर बच्चे खाते हैं खाना

सरकारी स्कूल में पानी नहीं होने के कारण बच्चे तालाब में थाली धोने को मजबूर हैं. रामगढ़ जिले के गंडके गांव के सरकारी स्कूल में पानी की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण मजबूरन स्कूली बच्चे स्कूल के पीछे तालाब में जमा गंदे पानी का इस्तेमाल थाली धोने के लिए करते हैं. इस गंदे पानी में जानवरों के साथ-साथ स्कूली बच्चे भी नजर आ जाएंगे.

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Published : Jul 23, 2019, 5:55 AM IST

Updated : Jul 23, 2019, 1:44 PM IST

तालाब में थाली धोते बच्चे

रामगढ़: शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. करोड़ों खर्च हो रहे हैं. लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती है. तो उसे देखकर दिल सहम जाता है. कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई है रामगढ़ के गंडके के सरकारी स्कूल से. जहां बच्चों को मिडडे मील मिलता तो है, लेकिन उसे खाने के लिए जो मेहनत उन्हें करनी पड़ती है, उससे उनकी जान ही खतरे में रहती है.

देखें वीडियो

तालाब में धोते हैं थाली

मामला रामगढ़ प्रखंड के गड़के स्कूल का है. जहां सरकारी स्कूल के बच्चे मिडडे मील खाने से पहले और मिडडे मील खाने के बाद अपनी थाली को गंदे तालाब में जानवरों के साथ धोने के लिए मजबूर हैं. यह उनकी मजबूरी इसलिए है क्योकि स्कूल में पानी की कोई सुविधा नहीं है.

स्कूल में नहीं है पानी की व्यवस्था

जिस तालाब के पानी का इस्तेमाल बच्चे करते हैं, वो निहायत ही गंदा है. इतना ही नहीं उसका इस्तेमाल इंसान ही नहीं जानवर भी करते हैं. पानी इतना गंदा है कि इसका रंग काला और बदबूदार हो गया है. जब इस पूरे मामले में बच्चों से पूछा गया, तो उनका कहना था स्कूल में पानी नहीं है जिसके कारण वे इस गंदे गंदे पानी में रोजाना मिड-डे-मील खाने के बाद और खाने से पहले थाली धोने आते हैं.


अधिकारियों ने दिया अटपटा सा जवाब

प्रिंसिपल से पूछा गया तो उनका कहना था कि तालाब के बाद फिर चापाकल में जाकर थाली धोकर ही मिडडे मील खाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई दुर्घटना या कोई हादसा होता है तो उसके जिम्मेदार वो होंगे. वहीं पूरे मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि तालाब में थाली धोना कोई गलत बात नहीं है.

रामगढ़: शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. करोड़ों खर्च हो रहे हैं. लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती है. तो उसे देखकर दिल सहम जाता है. कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई है रामगढ़ के गंडके के सरकारी स्कूल से. जहां बच्चों को मिडडे मील मिलता तो है, लेकिन उसे खाने के लिए जो मेहनत उन्हें करनी पड़ती है, उससे उनकी जान ही खतरे में रहती है.

देखें वीडियो

तालाब में धोते हैं थाली

मामला रामगढ़ प्रखंड के गड़के स्कूल का है. जहां सरकारी स्कूल के बच्चे मिडडे मील खाने से पहले और मिडडे मील खाने के बाद अपनी थाली को गंदे तालाब में जानवरों के साथ धोने के लिए मजबूर हैं. यह उनकी मजबूरी इसलिए है क्योकि स्कूल में पानी की कोई सुविधा नहीं है.

स्कूल में नहीं है पानी की व्यवस्था

जिस तालाब के पानी का इस्तेमाल बच्चे करते हैं, वो निहायत ही गंदा है. इतना ही नहीं उसका इस्तेमाल इंसान ही नहीं जानवर भी करते हैं. पानी इतना गंदा है कि इसका रंग काला और बदबूदार हो गया है. जब इस पूरे मामले में बच्चों से पूछा गया, तो उनका कहना था स्कूल में पानी नहीं है जिसके कारण वे इस गंदे गंदे पानी में रोजाना मिड-डे-मील खाने के बाद और खाने से पहले थाली धोने आते हैं.


अधिकारियों ने दिया अटपटा सा जवाब

प्रिंसिपल से पूछा गया तो उनका कहना था कि तालाब के बाद फिर चापाकल में जाकर थाली धोकर ही मिडडे मील खाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई दुर्घटना या कोई हादसा होता है तो उसके जिम्मेदार वो होंगे. वहीं पूरे मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि तालाब में थाली धोना कोई गलत बात नहीं है.

Intro:सरकार भले ही पेयजल को लेकर अर्बे रूपों पानी की तरह बहा रही हो लेकिन स्कूलों में पानी की कमी आज भी छात्रों के लिए किसी परेशानी से कम नहीं है दूसरी ओर देश के प्रधानमंत्री आम आदमी के साथ सरकारी कर्मचारियों को स्वच्छता का कितना भी पाठ पढ़ाएं लेकिन रामगढ़ का एक सरकारी स्कूल स्वच्छता मिशन को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं मामला रामगढ़ प्रखंड के गडके स्कूल का है जहां सरकारी स्कूल के बच्चे मिड-डे मील खाने से पहले और मिड डे मील खाने के बाद अपनी थाली को गंदे तालाब में जानवरों के साथ धोने के लिए मजबूर हैं


Body:ऐसे पढ़ेंगे तो कैसे बढ़ेंगे यह नौनिहाल ,रामगढ़ के स्कूल से हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई जहां बच्चे व जानवर तालाब में जमा गंदा पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं यह नजारा है रामगढ़ जिले के गड़के गांव के सरकारी इस स्कूल में पानी की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण मजबूरन स्कूली बच्चे स्कूल के पीछे तालाब में जमा गंदे पानी का इस्तेमाल थाली धोने के लिए स्कूली बच्चे करते हैं इस गंदे पानी में जानवरों के साथ-साथ स्कूली बच्चे भी नजर आ जाएंगे। तालाब के पानी बर्तन धो रहे यह बच्चे आदिम युग का नजारा दिखा रहे हैं

आपको बता दें कि स्कूल के बच्चे मध्यान भोजन करने से पहले और करने के बाद अपनी थाली धोनी के लिए बच्चे इसी गंदे पानी का इस्तेमाल करते हैं गड्ढे का पानी इतना गंदा है कि इसका रंग काला और बदबूदार हो गया है


जब इस पूरे मामले में बच्चों से पूछा गया तो उनका कहना था स्कूल में पानी नहीं है जिसके कारण वे इस गंदे गंदे पानी में रोजाना मिड डे मील खाने के बाद वह खाने से पहले थाली धोने आते हैं उन्हें कोई मना नहीं करता है मजबूरी है इसलिए वह इस गंदे बदबूदार पानी में अपनी थाली धोने आते हैं

बाइट बच्चे 1 2 3

हालांकि जब प्रिंसिपल से पूछा गया तो उनका कहना था कि लाइन से बच्चे जाते हैं और तालाब के बाद फिर चापाकल जाकर थाली धोकर ही मिड डे मील खाते हैं अगर कोई दुर्घटना या कोई हादसा होता है तो उसका जवाबदेह जिम्मेदार भी मैं ही होऊंगा।
तो उनका कहना था कि तालाब से धो कर बच्चे चापाकल में थाली धोते हैं जिसके बाद वह मिड डे मील खाते हैं

बाइट प्रधानाध्यापक स्कूल


वहीं पूरे मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी से इस बाबत जानकारी लेनी चाही तो पहले तो उन्होंने सवाल का जवाब ही कुछ इस तरह दिया कि लगा कुछ हुआ ही ना हो जैसे बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हुआ ही ना हो उनका कहना था कि बच्चे केवल थाली धो रहे हैं जिला शिक्षा अधिकारी तालाब में धोने को गलत नहीं मानते हैं उन्हें यह नहीं लगता कि कुछ भी गलत नही है


बाइट राजा राम साह जिला शिक्षा अधिकारी रामगढ़


क्या है वजह

स्कूल में एक हैंडपंप है और सप्लाई का पानी आता है लेकिन ज्यादा बच्चे होने से वह पानी कम हो जाता है जिसे कारण बच्चे बाहर जाते हैं पेयजल विभाग द्वारा कई बार यहां बोरिंग किया गया लेकिन सक्सेस नहीं हुआ ।




Conclusion:रामगढ़ में अधिकारी विकास के बड़े-बड़े काम होने का दावा सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाता है साथ ही सरकारे स्वच्छता को बढ़ावा दे रही हैं और रामगढ़ के इस स्कूल में बच्चों को बीमारियों की ओर धकेला जा रहा है सरकारी स्कूल में स्वच्छता का मजाक ही नहीं बन रहा बल्कि मासूमों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी हो रहा है इधर ग्रामीण आशंकित हैं कि उनके नौनिहाल किसी हादसे का शिकार ना हो जाए।
Last Updated : Jul 23, 2019, 1:44 PM IST
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