रामगढ़ः जिला में स्पंज आयरन फैक्ट्रियों से इलाके में जबरदस्त प्रदूषण फैल रहा है. प्रदूषण की वजह से क्षेत्र में इसका प्रभाव भयावह देखने को मिल रहा है. वातावरण के साथ-साथ जल, जमीन, जंगल और खेत बर्बाद हो रहे हैं. फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं. यहां तक की इसका असर मवेशियों तक में देखने को मिल रहा है.
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लपंगा स्थित वेंकटेश स्पंज आयरन वायर फैक्ट्री की चिमनी से निकलने वाला काला धुंआ से प्रदूषण बढ़ रहा है. ऐसी फैक्ट्रियों में कोयला और आयरन ओर का इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से यहां प्रदूषण ज्यादा होता है. इन फैक्ट्रियों की ओर से मानकों का अनुपालन नहीं होने पर चिंताजनक स्थिति पूरे इलाके में बन गई है. इलाके के पेड़-पौधे लाल और काले धुंए-दस्ट से भरे पड़े हैं. इलाके में चलती गाड़ियां अपने पीछे काला गुबार छोड़ती जाती है.
यहां हर वक्त हवा में डस्ट मौजूद रहता है. इन औद्योगिक इकाइयों में अधिकांश उद्योगों की ओर से ईएसपी चालू नहीं रखा जाता है, अगर उन्हें चालू रखा जाता है तो इमरजेंसी डोर को खोल दिया जाता है, जिसका रिकॉर्ड कहीं नहीं होता है. प्रदूषण फैलाने वाले फैक्ट्रियों को ना ही जिला प्रशासन और ना ही प्रदूषण विभाग का डर है. औद्योगिक इकाइयों के संचालक अपनी मनमानी करते रहते हैं और प्रदूषण विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा तमाशा देख रहा है.
वेंकटेश आयरन एलओएस फैक्ट्री के आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने कहा कि उनकी पूरी खेत चौपट हो गई है, अगर फसल लगाते हैं तो कोयले का डस्ट और चिमनी से निकलने वाला धुंआ उनकी फसल बर्बाद कर देता है. लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन और इससे जुड़े लोगों को नहीं दिखता है, अगर हम लोग शिकायत करते हैं तो पहले हमारी शिकायत नहीं सुनी जाती है और बाद में मैनेज करने की बात कही जाती है. कई लोग इसमें मैनेज होकर भी काम कर रहे हैं लेकिन प्रदूषण खत्म करने की पहल अब तक किसी ने भी नहीं की है.
प्रदूषण को लेकर बड़कागांव विधायक भी काफी मुखर दिख रही हैं. उन्होंने प्रदूषण को लेकर विधानसभा में भी सवाल उठाए हैं, बावजूद इसके फैक्ट्री प्रबंधन प्रदूषण कम करने का नाम नहीं ले रहा है. अब कांग्रेस प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रही है.
प्रदूषण को लेकर रामगढ़ सिविल सर्जन गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि यह उद्योग-धंधे लोगों के लिए आमदनी के स्रोत और विकास के लिए बनाए गए हैं. ऐसा ना हो कि यह उद्योग-धंधे बढ़े और आदमी खत्म हो जाए. स्पंज आयरन प्लांट की चिमनी से निकलता खतरनाक धुंआ क्षेत्र के लोगों के जनजीवन पर घने कोहरे की तरह छा रहा है. स्पंज आयरन कारखानों से निकलने वाली धुंए में सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रमुख है, इसके अलावा क्रोमियम, आर्सेनिक, मैंग्नीज, शीशा, पारा, कोयला के साथ ऐसे खतरनाक तत्व बारीक कण मौजूद होते हैं. ये हवा के साथ मिलकर बहुत आसानी से सांस के साथ मानव शरीर में पहुंच जाते हैं. जिसकी वजह से सांस से संबंधित रोगों में दोगुनी वृद्धि होती है. प्रबंधन को चाहिए कि नियमों का पालन करते हुए प्लांट का संचालन करें. जिससे यहां के लोगों को बीमारियों से गस्त ना होना पड़े.
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इस पूरे मामले में जब वेंकटेश आयरन एंड एलॉयज प्लांट के संचालक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आपको जो चलाना है चलाएं, इस पूरे मामले में हम कुछ नहीं कहेंगे. दूसरी ओर प्रदूषण विभाग के अधिकारी अशोक कुमार यादव ने कहा कि इस पूरे मामले में हम कैमरे के सामने कुछ भी नहीं कहेंगे आपको जो ठीक लगता है वो कीजिए.
फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ किसी जहर से कम नहीं. रामगढ़ के प्रदूषित वातावरण में लोग तिल-तिलकर मरने को मजबूर रहते हैं. फैक्ट्री प्रबंधन, प्रदूषण विभाग और एनजीटी को चाहिए कि मानकों का अनुपालन करते हुए विकास की गति को बढ़ाएं ताकि आम लोगों की जिंदगी से कोई खिलवाड़ ना कर सके.