रामगढ़: दुलमी प्रखंड के पोटमदगा गांव में हर साल ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती है जिसमें लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. हर साल जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी यह वादा करते हैं कि अगले साल बरसात के मौसम से पहले सबकुछ ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन स्थिति जस की तस बनी रहती है.
यह भी पढ़ें: रामगढ़: एप्रोच सड़क नहीं बनने से पुल पर आवागमन मुश्किल, साल 2016 में हुआ था शिलान्यास
जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे लोग
दरअसल, दुलमी प्रखंड के कुल्ही पोटमदगा गांव को जोड़ने वाले पोटमदगा-कुल्ही पुल पर हर साल भैरवी नदी का जलस्तर बढ़ते ही पानी आ जाता है. ऐसी स्थिति में बिना पतवार नाव बनाकर लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से इस पर उच्चस्तरीय पुल का निर्माण कराया जा रहा है. लेकिन करीब चार सालों में निर्माण कार्य न के बराबर हुआ है. अभी पुल का निर्माण पूरा होने में कई वर्ष लगने की उम्मीद है.
हादसे से भी नहीं ले रहे सबक
पुल नहीं रहने के कारण लोग जान की बाजी लगाकर जुगाड़ की नाव पर सफर करते हैं और इस दौरान कई बार हादसा भी हो जाता है. दूसरा रास्ता 15 किलोमीटर लंबा है और इसके चलते ग्रामीण रिस्क लेकर जुगाड़ की नाव से नदी पार करते हैं. अभी खेती का समय है और ग्रामीणों को लगातार आना जाना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीण लंबी दूरी तय करने की बजाय जल्दी पहुंचने की सोचते हैं.
बाइक पार कराने का रेट 50 रुपए
जुगाड़ की नाव के सहारे ग्रामीण खुद को नदी पार करते ही हैं, कई लोग बाइक भी पार कराते हैं. नाव से पार कराने वाले ने बताया कि महिलाओं के लिए यह सेवा मुफ्त है. जबकि दूसरे लोगों से 20 रुपए और बाइक का अलग से 50 रुपए लिया जाता है. इस मामले में विधायक प्रतिनिधि सुधीर मंगलेश ने कहा कि इस नदी पर पुल के निर्माण में ठेकेदार की लापरवाही साफ झलक रही है. पुल निर्माण में देरी का खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं. पुल का निर्माण समय पर पूरा नहीं होने के कारण ग्रामीण इस बिना पतवार की नाव पर निर्भर रहने को बाध्य हैं.