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मां छिन्नमस्तिका मंदिर में दिखा लॉकडाउन का असर, कर्मियों के वेतन के लिए कम पड़े पैसे

लॉकडाउन का असर रामगढ़ जिले के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल मां छिन्नमस्तिका मंदिर न्याय समिति पर भी दिखाई दे रहा है. मंदिर में काम कर रहे कर्मियों को वेतन देने के लिए पैसे कम पड़े हैं.

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मंदिर की आर्थिक स्थिति पर असर
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Published : Sep 28, 2020, 6:24 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 7:41 PM IST

रामगढ़: कोरोना महामरी के रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर पिछले 20 मार्च से ही आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद है. अब इसका असर मंदिर की आर्थिक स्थिति पर पड़ता दिखाई दे रहा है, क्योंकि मंदिर में श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं. जिसके कारण दान नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि मंदिर न्यास समिति की ही नहीं बल्कि इससे जुड़े लोगों की भी स्थिति खराब हो गई है.

देखें पूरी खबर

मंदिर की आर्थिक स्थिति पर हो रहा असर

कोरोना काल में मंदिर में श्रद्धालुओं के आगमन पर पूरी तरह से रोक है. जिसके कारण इसका असर छिन्नमस्तिका मंदिर के दान और चढ़ावे पर पड़ा है. आय कम होने से मंदिर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. मंदिर प्रबंधन को कर्मचारियों और अन्य खर्चों के लिए जो जमापूंजी है उसी में से खर्च करने पड़ रहे हैं. हालांकि इस मंदिर में आमदनी का कोई अन्य स्रोत नहीं है. केवल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तरफ से दिए गए दान से ही पूरी न्याय समिति का संचालन किया जाता है. यहां करीब 12 लोगों को परमानेंट मंदिर की देखरेख के लिए रखा गया है. साफ-सफाई के लिए करीब 2 दर्जन से अधिक लोगों को रखा गया है, ताकि मंदिर परिसर पूरी तरह से साफ रह सके. पुजारियों की तरफ से प्रतिदिन भंडारे का आयोजन किया जाता है.

कोरोना काल में लगातार हुई पूजा

रजरप्पा स्थित देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल मां छिन्नमस्तिका मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे और मां से अपनी मनोकामना पूरी होने की मन्नतें मांगते थे. इस मंदिर में बलि प्रथा है. यहां प्रतिदिन बलि देने की मान्यता है, लेकिन कोरोना में मंदिर में पूजा-अर्चना से लेकर बलि तक यहां मंदिर नयास समिति और पंडा समाज के लोगों की तरफ से ही किया जा रहा है, अब तक ऐसा नहीं हुआ कि बलि नहीं हुई हो. पिछले 6 माह से मंदिर नयास समिति और पंडित समाज के लोग विधिवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं. पूजा में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं की गई है.

इसे भी पढ़ें-शिक्षा विभाग का कारनामा: लाखों खर्च कर बना मॉडल स्कूल, गांव के होनहार बच्चों को कर रहा शिक्षा से दूर


कर्मचारियों को नहीं मिला पिछले 3 माह का वेतन
यहां काम कर रहे कर्मचारियों को पिछले 3 माह का वेतन नहीं मिल पाया है. क्योंकि श्रद्धालु यहां पहुंचे नहीं और दान मिला नहीं. जिसके कारण मंदिर की आर्थिक स्थिति नाजुक हो गई है. मंदिर न्यास समिति जमापूंजी में से ही यहां के कर्मचारियों की देखरेख करती है. मंदिर न्यास समिति की तरफ से वर्तमान में यहां कार्यरत कर्मचारियों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो जिसके कारण आर्थिक स्थिति को देखते हुए यहां कार्य करनेवाले सभी कर्मचारियों को महीने का राशन ससमय उपलब्ध करा दिया जाता है. सरकार की ओर से किसी भी तरह की कोई सहायता उन लोगों को नहीं मिली है.

नहीं मिलता है नियमित वेतन
मंदिर के पुजारियों के अनुसार उन्हें कोई नियमित वेतन नहीं मिलता है. रोजाना मिलनेवाली दक्षिणा और चढ़ावा ही उनकी आय का एकमात्र साधन है, लेकिन माता का मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद है. श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होने की वजह से वे लोग अब पैसे-पैसे के मोहताज होते जा रहे हैं.


इसे भी पढ़ें-दुमका में हर घर पहुंच रहा स्कूल, दीवारें बनी ब्लैकबोर्ड

जमापूंजी से दिया जा रहा कर्मचारियों को वेतन
मंदिर न्यास समिति अपने कर्मचारियों को जमापूंजी से ही वेतन दे रही थी. मंदिर पर आश्रित लोगों में अब काफी निराशा छाई हुई है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि उनकी गृहस्थी कैसे चलेगी. लॉकडाउन का असर मां छिन्नमस्तिका मंदिर पर इसलिए भी पड़ा है कि जब भक्त आएंगे नहीं तो भगवान को चढ़ावा कहां से आएगा चढ़ावा मिलेगा नहीं तो मंदिर की देखरेख और मंदिर पर होने वाले खर्च कहां से होंगे. लॉकडाउन की मार आस-पास के दुकानदार जैसे प्रसाद बेचने वाले, फूल बेचने वाले, यहां के होटल, पुजारियों पर भी पड़ा है.

रामगढ़: कोरोना महामरी के रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर पिछले 20 मार्च से ही आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद है. अब इसका असर मंदिर की आर्थिक स्थिति पर पड़ता दिखाई दे रहा है, क्योंकि मंदिर में श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं. जिसके कारण दान नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि मंदिर न्यास समिति की ही नहीं बल्कि इससे जुड़े लोगों की भी स्थिति खराब हो गई है.

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मंदिर की आर्थिक स्थिति पर हो रहा असर

कोरोना काल में मंदिर में श्रद्धालुओं के आगमन पर पूरी तरह से रोक है. जिसके कारण इसका असर छिन्नमस्तिका मंदिर के दान और चढ़ावे पर पड़ा है. आय कम होने से मंदिर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. मंदिर प्रबंधन को कर्मचारियों और अन्य खर्चों के लिए जो जमापूंजी है उसी में से खर्च करने पड़ रहे हैं. हालांकि इस मंदिर में आमदनी का कोई अन्य स्रोत नहीं है. केवल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तरफ से दिए गए दान से ही पूरी न्याय समिति का संचालन किया जाता है. यहां करीब 12 लोगों को परमानेंट मंदिर की देखरेख के लिए रखा गया है. साफ-सफाई के लिए करीब 2 दर्जन से अधिक लोगों को रखा गया है, ताकि मंदिर परिसर पूरी तरह से साफ रह सके. पुजारियों की तरफ से प्रतिदिन भंडारे का आयोजन किया जाता है.

कोरोना काल में लगातार हुई पूजा

रजरप्पा स्थित देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल मां छिन्नमस्तिका मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे और मां से अपनी मनोकामना पूरी होने की मन्नतें मांगते थे. इस मंदिर में बलि प्रथा है. यहां प्रतिदिन बलि देने की मान्यता है, लेकिन कोरोना में मंदिर में पूजा-अर्चना से लेकर बलि तक यहां मंदिर नयास समिति और पंडा समाज के लोगों की तरफ से ही किया जा रहा है, अब तक ऐसा नहीं हुआ कि बलि नहीं हुई हो. पिछले 6 माह से मंदिर नयास समिति और पंडित समाज के लोग विधिवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं. पूजा में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं की गई है.

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कर्मचारियों को नहीं मिला पिछले 3 माह का वेतन
यहां काम कर रहे कर्मचारियों को पिछले 3 माह का वेतन नहीं मिल पाया है. क्योंकि श्रद्धालु यहां पहुंचे नहीं और दान मिला नहीं. जिसके कारण मंदिर की आर्थिक स्थिति नाजुक हो गई है. मंदिर न्यास समिति जमापूंजी में से ही यहां के कर्मचारियों की देखरेख करती है. मंदिर न्यास समिति की तरफ से वर्तमान में यहां कार्यरत कर्मचारियों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो जिसके कारण आर्थिक स्थिति को देखते हुए यहां कार्य करनेवाले सभी कर्मचारियों को महीने का राशन ससमय उपलब्ध करा दिया जाता है. सरकार की ओर से किसी भी तरह की कोई सहायता उन लोगों को नहीं मिली है.

नहीं मिलता है नियमित वेतन
मंदिर के पुजारियों के अनुसार उन्हें कोई नियमित वेतन नहीं मिलता है. रोजाना मिलनेवाली दक्षिणा और चढ़ावा ही उनकी आय का एकमात्र साधन है, लेकिन माता का मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद है. श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होने की वजह से वे लोग अब पैसे-पैसे के मोहताज होते जा रहे हैं.


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जमापूंजी से दिया जा रहा कर्मचारियों को वेतन
मंदिर न्यास समिति अपने कर्मचारियों को जमापूंजी से ही वेतन दे रही थी. मंदिर पर आश्रित लोगों में अब काफी निराशा छाई हुई है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि उनकी गृहस्थी कैसे चलेगी. लॉकडाउन का असर मां छिन्नमस्तिका मंदिर पर इसलिए भी पड़ा है कि जब भक्त आएंगे नहीं तो भगवान को चढ़ावा कहां से आएगा चढ़ावा मिलेगा नहीं तो मंदिर की देखरेख और मंदिर पर होने वाले खर्च कहां से होंगे. लॉकडाउन की मार आस-पास के दुकानदार जैसे प्रसाद बेचने वाले, फूल बेचने वाले, यहां के होटल, पुजारियों पर भी पड़ा है.

Last Updated : Sep 28, 2020, 7:41 PM IST
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