रामगढ़ः रजरप्पा स्थित प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर में काली पूजा (Kali Puja at Rajrappa Chinnamastike Temple) और दीपावली पूजा का आयोजन किया गया. काली पूजा में शामिल होने को लेकर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस भीड़ में सिर्फ झारखंड के श्रद्धालु नहीं थे, बल्कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, यूपी सहित कई राज्यों के श्रद्धालु, साधक और तांत्रिक मंदिर पहुंचे थे.
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दीपावली को लेकर पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया. रंग-बिरंगी लाइट के साथ साथ फूल और बलून से पूरे परिसर की सज्जा की गई थी. मंदिर परिसर दूधिया रोशनी में अद्भुत दिख रहा था. धार्मिक मान्यता के अनुसार रजरप्पा मां छिन्नमास्तिका का मंदिर दस सिद्ध पीठों में से छठा सिद्धपीठ है. मान्यता है कि वास्तुकला के बेजोड़ नमूना वाले विश्वकर्मा द्वारा निर्मित इस मंदिर में अगर सच्चे मन से मन्नत मांगी जाए तो वह पूरी होती है. नद और नदी के संगम स्थल पर स्थित यह मंदिर विराजमान हैं. अमावस्या की रात तंत्र सिद्धि के लिए रजरप्पा मंदिर सबसे उपयुक्त जगह माना जाता है. यही वजह है कि श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
श्रद्धालओं ने बताया कि मां उनकी मनोकामना पूर्ण करती है. इसलिए मां का आशीर्वाद लेने आते हैं. कार्तिक अमावस्या के दिन मां के दरबार में आने से काफी सुकून मिलता है. हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन मां का आशीर्वाद लेने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. रजरप्पा मंदिर के पुजारी सुबोध पंडा और सुभाशीष पंडा ने बताया कि मां छिन्नमस्तिका मंदिर और इस क्षेत्र में स्थापित दक्षिणेश्वर काली मंदिर श्रद्धालुओं के लिए काल रात्रि में रात भर खुला रहता है और पूजा-अर्चना होती है.
उन्होंने कहा कि इस मंदिर परिसर में 13 हवन कुंड हैं और सभी हवन कुंडों में अनुष्ठान रात भर होता है. यहां शक्ति की पूजा होती है. इसलिए तांत्रिक, साधक, उपासक और अन्य श्रद्धालु के लिए काल रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है. हवन और अनुष्ठान करने से भक्तों के रोग, दुख और कष्ट दूर होता है. इसके साथ ही सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है.