रामगढ़: जिले के विभिन्न गांवों में कई एकड़ में लगे आलू की फसल पर कुहासे का असर देखने को मिल रहा है, कुहासे के कारण अब अंतिम समय में आलू में झुलसा रोग होने लगा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होने का अनुमान है. इसको लेकर कृषि औद्योगिक प्रबंधन और उद्यान विभाग पूरी तरह से सतर्क है और गांव गांव में घूम घूम कर किसानों को इस रोग से बचाव के उपाय बता रहे हैं.
जिले के कृषि क्षेत्र वाले विभिन्न गांवों में सैकड़ों एकड़ भूमि में लगे आलू की फसल जमीन में ही सड़ने लगे हैं. यह रोग के कारण जनवरी-फरवरी में आलू के पौधे के पत्तियों पर गोल अंडाकार छल्ले एक धब्बे बन जाते हैं, जो भूरे रंग के होते हैं. धीरे-धीरे यह आकार बढ़ने लगता है और पूरी पत्ती झुलस जाती है. हालांकि किसान के आलू बाजारों में बिकने लगे हैं, लेकिन पूरी तरह से आलू अभी तैयारी होने के लिए 30 दिन का समय और लगेगा. इस रोग को लेकर किसान चिंतित हैं. जिला के कृषि पदाधिकारी और उद्यान पदाधिकारी क्षेत्र में किसानों को आलू में रोग से बचाव के टिप्स दे रहे हैं. किसान प्रदीप कुशवाहा ने कहा कि पहले लग रहा था कि पैदावर अच्छा होगा तो पिछले साल के नुकसान की इस बार भरपाई हो जाएगी, लेकिन इस रोग ने किसानों को सांसत में डाल दिया ही. वहीं किसान दिलीप साव का कहना है आलू की फसल में ज्यादा पूंजी लगता है, किसान भी चाहते हैं कि लागत और मेहनत का उचित दाम मिले, लेकिन आपदा के कारण उम्मीदें खत्म हो जाती है. उन्होंने सरकार से राहत पैकेज की मांग की है.
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आलू की फसल बचाने की कोशिश
जिला उद्यान पदाधिकारी रवीश चंद्र ने कहा कि आलू की फसल में बहुत सी बीमारियां लगती हैं, लेकिन सबसे खराब रोग झुलसा होता है, जिससे फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है, इसको लेकर हमलोग लगातार क्षेत्र में किसानों के संपर्क में रहते हैं और कुहासे के समय में उनसे दवा का छिड़काव समय समय पर करने की सलाह देते रहते हैं, ताकि आलू को किसी भी रूप से बचाया जा सके. खेतों में अभी आलू, प्याज, मटर और बीन लगी है, लेकिन कुहासे के कारण इन फसलों को भारी क्षति हो रही है, जिससे किसानों में काफी चिंता है.