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रामगढ़: भैरवी जलाशय के आसपास हो रहा गरमा धान की खेती, अच्छी पैदावार से किसान खुश - रामगढ़ में गरमा धान की खेती

झारखंड में अमूमन ऐसा कहा जाता है कि गर्मी में खेती संभव नहीं है. यही वजह है कि राज्य के ज्यादातर किसान अपने खेतों में दो ही फसल उगाते हैं, लेकिन बदलते समय में किसान गर्मी के मौसम में भी गरमा धान उगाकर खुशहाल जिंदगी गुजार सकते है. कुछ ऐसा ही इन दिनों रामगढ़ जिले में देखने को मिल रहा है. किसान गरमा धान की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.

Farming of paddy in Ramgarh
धान की खेती
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Published : Jun 16, 2020, 3:29 PM IST

रामगढ़: अगर सही मार्गदर्शन और इच्छाशक्ति मिले तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. मेहनत और लगन के साथ सही मार्गदर्शन हर काम को आसान बना देती है. कुछ इसी तरह से जिले के किसान गरमा धान की खेती कर अच्छी फसल उगा रहे हैं.

देखें पूरी खबर

झारखंड में अमूमन ऐसा कहा जाता है कि गर्मी में खेती संभव नहीं है. यही वजह है कि राज्य के ज्यादातर किसान अपने खेतों में दो ही फसल उगाते हैं, लेकिन बदलते समय में किसान गर्मी के मौसम में भी गरमा धान उगाकर खुशहाल जिंदगी गुजार सकते हैं. कुछ ऐसा ही इन दिनों रामगढ़ जिले में देखने को मिल रहा है. जहां के कई किसानों ने 30-40 एकड़ खेत में गरमा धान की खेती की शुरू की है. इन किसानों को शुरुआती दौर में थोड़ी दिक्कत जरूर आई, लेकिन कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण विभाग, आत्मा की ओर से किसानों को जब मार्गदर्शन मिला तो किसानों ने अपने खाली खेतों में ही खुशहाली खोज ली.

बरसात के दिनों में रामगढ़ के किसान भैरवी जलाशय की पानी से खेती करते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में यहां पानी कम हो जाता था और कभी-कभी भी सूख जाता है. जिसके कारण किसान खेती नहीं कर पाते हैं और खेत बंजर रह जाता है. जिसको लेकर कृषि विभाग, आत्मा के उप निदेशक के रिसर्च के बाद रामगढ़ के किसानों को प्रेरित किया गया और गर्मी के दिनों में गरमा धान की खेती करने की सलाह दी गई. भैरवी जलाशय से सिंचाई कर किसानों ने गरमा धान की यहां खेती की और वे काफी लाभान्वित हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- धनबाद: सेल पिकर मजदूरों के वेतन में कटौती को लेकर बीसीकेयू का धरना, पुलिस ने रोका


रामगढ़ के दुलमी प्रखंड में ब्यांग गांव के किसानों को भैरवी जलाशय का फायदा दिखने लगा हैं. भैरवी जलाशय के आसपास के रहने वाले किसानों को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण रामगढ की ओर से प्रोत्साहित करने पर किसान अपने खाली पड़े खेत में गरमा धान की खेती कर खुशहाल हो रहे हैं. अधिक परिश्रम का नतीजा है कि उनके खेत में धान की सुनहरी बालियां तैयार हो गई हैं. अपनी मेहनत के बल पर खेत में गरमा धान की खेती करने वाले किसानों को अपनी कड़ी मेहनत का सकारात्मक परिणाम दिख रहा हैं. अच्छी फसल की ऊपज से किसान भी अत्यंत खुश हैं. लागत पूंजी से दोगुना लाभ होने की संभावना दिख रही है. गरमा धान की फसल भैरवी जलाशय के आसपास के रहने वाले किसानों की ओर से परती भूमि में लगाया गया है. गरमा धान सिर्फ सिंचाई और उर्वरक के बल पर मात्र चार महीने के अंदर तैयार हो जाता है.

रामगढ़: अगर सही मार्गदर्शन और इच्छाशक्ति मिले तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. मेहनत और लगन के साथ सही मार्गदर्शन हर काम को आसान बना देती है. कुछ इसी तरह से जिले के किसान गरमा धान की खेती कर अच्छी फसल उगा रहे हैं.

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झारखंड में अमूमन ऐसा कहा जाता है कि गर्मी में खेती संभव नहीं है. यही वजह है कि राज्य के ज्यादातर किसान अपने खेतों में दो ही फसल उगाते हैं, लेकिन बदलते समय में किसान गर्मी के मौसम में भी गरमा धान उगाकर खुशहाल जिंदगी गुजार सकते हैं. कुछ ऐसा ही इन दिनों रामगढ़ जिले में देखने को मिल रहा है. जहां के कई किसानों ने 30-40 एकड़ खेत में गरमा धान की खेती की शुरू की है. इन किसानों को शुरुआती दौर में थोड़ी दिक्कत जरूर आई, लेकिन कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण विभाग, आत्मा की ओर से किसानों को जब मार्गदर्शन मिला तो किसानों ने अपने खाली खेतों में ही खुशहाली खोज ली.

बरसात के दिनों में रामगढ़ के किसान भैरवी जलाशय की पानी से खेती करते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में यहां पानी कम हो जाता था और कभी-कभी भी सूख जाता है. जिसके कारण किसान खेती नहीं कर पाते हैं और खेत बंजर रह जाता है. जिसको लेकर कृषि विभाग, आत्मा के उप निदेशक के रिसर्च के बाद रामगढ़ के किसानों को प्रेरित किया गया और गर्मी के दिनों में गरमा धान की खेती करने की सलाह दी गई. भैरवी जलाशय से सिंचाई कर किसानों ने गरमा धान की यहां खेती की और वे काफी लाभान्वित हो रहे हैं.

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रामगढ़ के दुलमी प्रखंड में ब्यांग गांव के किसानों को भैरवी जलाशय का फायदा दिखने लगा हैं. भैरवी जलाशय के आसपास के रहने वाले किसानों को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण रामगढ की ओर से प्रोत्साहित करने पर किसान अपने खाली पड़े खेत में गरमा धान की खेती कर खुशहाल हो रहे हैं. अधिक परिश्रम का नतीजा है कि उनके खेत में धान की सुनहरी बालियां तैयार हो गई हैं. अपनी मेहनत के बल पर खेत में गरमा धान की खेती करने वाले किसानों को अपनी कड़ी मेहनत का सकारात्मक परिणाम दिख रहा हैं. अच्छी फसल की ऊपज से किसान भी अत्यंत खुश हैं. लागत पूंजी से दोगुना लाभ होने की संभावना दिख रही है. गरमा धान की फसल भैरवी जलाशय के आसपास के रहने वाले किसानों की ओर से परती भूमि में लगाया गया है. गरमा धान सिर्फ सिंचाई और उर्वरक के बल पर मात्र चार महीने के अंदर तैयार हो जाता है.

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