रामगढ़: जिले का एक मात्र आवासीय दिव्यांग विद्यालय इन दिनों समाज के चंद ठेकेदार के भय के साए के दौर से गुजर रहा है. कारण है कि कुछ लोगों की तरफ से बताया गया है कि इसे महिला इंटर कॉलेज खोलने की तैयारी की जा रही है. इसकी खबर सुनते ही आवासीय दिव्यांग विद्यालय के सभी शिक्षकों और कर्मचारी ने कोरोना काल में सादगी पूर्वक विद्यालय परिसर में धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया.
दिव्यांग विद्यालय की स्थापना
बता दें कि दिव्यांग विद्यालय की स्थापना 1997 में गई थी. जिस समय इसकी नीव रखी जा रही थी. उस समय झारखंड में उंगली पर गिने चुने आवासीय दिव्यांग विद्यालय थे. दिव्यांग शिक्षकों ने निशुल्क शिक्षा देकर 23 सालों के कई उत्तर चढ़ाव को पार करते हुए इस मुकाम पर आवासीय विद्यालय को यहां तक पहुंचाया. जहां झारखंड में स्थापना के समय स्थानीय लोगों ने जमीन राज्यपाल के नाम से दान दी और फिर 23 साल तक का सफर इस विद्यालय ने तय किया.
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इस दौरान विद्यालय ने शिक्षकों और यहां रह रहे छात्रों ने कई उतर चढ़ाव देखे. जिले से मिलने वाली अनुदान राशि में जब कभी विलंब होता तो स्थानीय लोग सहयोग करते थे, लेकिन कोरोना काल के ग्रहण में यह विद्यालय कुछ इस कदर फंसा की अब कुछ लोग यहां महिला इंटर कॉलेज खोलने की घेराबंदी कर रहे हैं. कोरोना काल के कारण यहां रह रहे दिव्यांग बच्चों को घर भेज दिया गया था. वहीं, इसके अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे दिव्यांग शिक्षक सरकार के गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं कि कब स्कूल खोलने की उन्हें अनुमति मिलेगी.