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रामगढ़: किसानों की स्थिति दयनीय, सरकार से लगाई मदद की गुहार

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Published : Dec 10, 2020, 4:16 PM IST

केंद्र हो या राज्य की सरकार सभी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की बातें, तो करते हैं. इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, जिससे किसानों की आमदनी दोगुनी हो सके, लेकिन इसका कितना लाभ आम किसानों को मिल रहा है? क्या किसान सरकारी योजनाओं से खुश हैं?

bad condition of farmers in ramgarh
bad condition of farmers in ramgarh

रामगढ़: किसान खेतों में पूंजी लगाकर मेहनत करता है, जिससे उसकी आमदनी बढ़ सके. लेकिन समय पर बीज और यूरिया नहीं मिलने से किसान अपने आपको बेबस और लाचार मानने लगते हैं. सरकारी प्रपंच में फंसकर सही मौसम में खेती नहीं कर पाते हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है, ऐसे में आत्मनिर्भर बनना दूर की कौड़ी लगती है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढे़ं: धनबाद: शौचालय निर्माण में गड़बड़ी पर जिला प्रशासन की कार्रवाई, मुखिया पर दर्ज होगा FIR

बिचौलियों के हवाले किसानों की किस्मत

किसान का कहना है कि फसल का सही मूल्य बाजार में ही मिलता है, लेकिन सरकार बाजार मूल्य तय नहीं करके किसानों को बिचौलियों के हवाले कर दिया गया है, जिससे किसान आत्मनिर्भर नहीं बन पा रहे हैं. धान की फसल इसका जीता जागता उदाहरण है.

बीज और खाद उपलब्ध

किसान का कहना है कि अगर सरकार की मंशा किसानों के प्रति सकारात्मक है, तो उसे समय पर बीज और खाद उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना पड़ेगा, साथ ही सब्जियों के बाजार मूल्य का निर्धारण भी किसानों की मेहनत के हिसाब से तय करना पड़ेगा, तभी देश के अन्नदाता आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

रामगढ़: किसान खेतों में पूंजी लगाकर मेहनत करता है, जिससे उसकी आमदनी बढ़ सके. लेकिन समय पर बीज और यूरिया नहीं मिलने से किसान अपने आपको बेबस और लाचार मानने लगते हैं. सरकारी प्रपंच में फंसकर सही मौसम में खेती नहीं कर पाते हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है, ऐसे में आत्मनिर्भर बनना दूर की कौड़ी लगती है.

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बिचौलियों के हवाले किसानों की किस्मत

किसान का कहना है कि फसल का सही मूल्य बाजार में ही मिलता है, लेकिन सरकार बाजार मूल्य तय नहीं करके किसानों को बिचौलियों के हवाले कर दिया गया है, जिससे किसान आत्मनिर्भर नहीं बन पा रहे हैं. धान की फसल इसका जीता जागता उदाहरण है.

बीज और खाद उपलब्ध

किसान का कहना है कि अगर सरकार की मंशा किसानों के प्रति सकारात्मक है, तो उसे समय पर बीज और खाद उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना पड़ेगा, साथ ही सब्जियों के बाजार मूल्य का निर्धारण भी किसानों की मेहनत के हिसाब से तय करना पड़ेगा, तभी देश के अन्नदाता आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

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