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पेट की आग के आगे खत्म हुआ कोरोना का डर, मजदूरों का पलायन फिर से शुरू

पूरे देश में कोरोना का कहर जारी है. लॉकडाउन के दौरान दूसरे देशों और कई राज्यों से मजदूर अपने-अपने घर लौटे थे. पलामू में भी कोरोना काल के दौरान 53 हजार प्रवासी मजदूर लौटे थे, जिनमें से कई को अपने राज्य में रोजगार मिल गया और कई मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाया है, जिससे कारण ये मजदूर फिर से पलायन को मजबूर हो गए हैं.

workers started migrating-from palamu
मजदूरों का पलायन शुरू
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Published : Sep 13, 2020, 7:04 PM IST

पलामू: पेट की भूख और परिवार की चिंता ने कोरोना के डर को खत्म कर दिया है, जो मजदूर कोरोना के कारण लॉकडाउन में घर वापस लौटे थे. अब वो मजदूर फिर से बड़े शहरों के तरफ रुख कर रहे हैं. उन्हें अब कोरोना का डर नहीं सता रहा है. पलामू से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का दोबारा पलायन शुरू हो गया है. बड़ी -बड़ी कंपनियां मजदूरों को लेने के लिए बस भी भेज रही है और एडवांस वेतन भी दे रही हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
एक एक मजदूर पर कई लोगो की है जिम्मेदारी
लॉकडाउन में पलामू के नावाबाजार प्रखंड के विरेंद्र राम काफी मशक्कत से घर लौटे थे, लेकिन यहां उन्हें रोजगार नहीं मिला, जिसके कारण वो फिर से दूसरे प्रदेश जा रहे हैं. वे बताते हैं कि उनपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है उनका अकेला पेट नहीं है. वे चाहते है कि उन्हें झारखंड में ही रोजगार मिले. छत्तरपुर के बिहारी राम बताते हैं कि पेट के डर के आगे कोरोना का डर कुछ भी नहीं है, कंपनी के ठेकेदार ने उन्हें एडवांस वेतन दिया है. उन्होंने बताया कि अगर उन्हें रोजगार मिलता तो उनके परिवार को भूखे नहीं रहना पड़ता. वहीं, राजू ने बताया की सालों बाद वह खेती के दौरान घर आया था, अब खेती का काम पूरा हो गया है, कंपनी ने सारी सुविधा उपलब्ध करवाई है अब परिवार की खातिर वो फिर से बाहर जा रहे हैं.

इसे भी पढे़ं:- पलामू में नदी-नाला में फर्क करना मुश्किल, प्रदूषित पानी का सेवन करने को मजबूर हैं लोग


53 हजार प्रवासी मजदूर लौटे थे पलामू
पलामू में कोरोना काल के दौरान 53 हजार प्रवासी मजदूर लौटे थे, जिनमें से 38 हजार मजदूरों का पलामू जिला प्रशासन ने डाटाबेस तैयार किया है. प्रशासनिक डाटा बेस्ट अनुसार झारखंड के 26657 स्किल और सेमी स्किल मजदूर लौटे हैं, जबकि 11592 मजदूर अनस्किल्ड हैं. जो मजदूर दूसरे प्रदेशों से लौटे हैं उनमें बड़ी संख्या में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. पलामू में लगभग 2.22 लाख मनरेगा के तहत मजदूर निबंधित हैं. अगस्त के अंतिम सप्ताह तक 30 हजार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया था.

पत्येक पंचायत में पांच पांच योजना किया गया शुरू
पलामू के डीसी शशि रंजन ने बताया कि प्रवासी मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध करवाने को कहा गया है, मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार मिले इसके लिए प्रत्येक गांव में पांच-पांच योजनाएं शुरू की गई हैं, सभी पंचायतों में यह निर्देश जारी किए गए हैं. उन्होंने बताया कि मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने को लेकर कई पहल की जा रही है.

पलामू: पेट की भूख और परिवार की चिंता ने कोरोना के डर को खत्म कर दिया है, जो मजदूर कोरोना के कारण लॉकडाउन में घर वापस लौटे थे. अब वो मजदूर फिर से बड़े शहरों के तरफ रुख कर रहे हैं. उन्हें अब कोरोना का डर नहीं सता रहा है. पलामू से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का दोबारा पलायन शुरू हो गया है. बड़ी -बड़ी कंपनियां मजदूरों को लेने के लिए बस भी भेज रही है और एडवांस वेतन भी दे रही हैं.

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एक एक मजदूर पर कई लोगो की है जिम्मेदारी
लॉकडाउन में पलामू के नावाबाजार प्रखंड के विरेंद्र राम काफी मशक्कत से घर लौटे थे, लेकिन यहां उन्हें रोजगार नहीं मिला, जिसके कारण वो फिर से दूसरे प्रदेश जा रहे हैं. वे बताते हैं कि उनपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है उनका अकेला पेट नहीं है. वे चाहते है कि उन्हें झारखंड में ही रोजगार मिले. छत्तरपुर के बिहारी राम बताते हैं कि पेट के डर के आगे कोरोना का डर कुछ भी नहीं है, कंपनी के ठेकेदार ने उन्हें एडवांस वेतन दिया है. उन्होंने बताया कि अगर उन्हें रोजगार मिलता तो उनके परिवार को भूखे नहीं रहना पड़ता. वहीं, राजू ने बताया की सालों बाद वह खेती के दौरान घर आया था, अब खेती का काम पूरा हो गया है, कंपनी ने सारी सुविधा उपलब्ध करवाई है अब परिवार की खातिर वो फिर से बाहर जा रहे हैं.

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53 हजार प्रवासी मजदूर लौटे थे पलामू
पलामू में कोरोना काल के दौरान 53 हजार प्रवासी मजदूर लौटे थे, जिनमें से 38 हजार मजदूरों का पलामू जिला प्रशासन ने डाटाबेस तैयार किया है. प्रशासनिक डाटा बेस्ट अनुसार झारखंड के 26657 स्किल और सेमी स्किल मजदूर लौटे हैं, जबकि 11592 मजदूर अनस्किल्ड हैं. जो मजदूर दूसरे प्रदेशों से लौटे हैं उनमें बड़ी संख्या में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. पलामू में लगभग 2.22 लाख मनरेगा के तहत मजदूर निबंधित हैं. अगस्त के अंतिम सप्ताह तक 30 हजार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया था.

पत्येक पंचायत में पांच पांच योजना किया गया शुरू
पलामू के डीसी शशि रंजन ने बताया कि प्रवासी मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध करवाने को कहा गया है, मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार मिले इसके लिए प्रत्येक गांव में पांच-पांच योजनाएं शुरू की गई हैं, सभी पंचायतों में यह निर्देश जारी किए गए हैं. उन्होंने बताया कि मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने को लेकर कई पहल की जा रही है.

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