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झारखंड-बिहार सीमा पर बड़े पैमाने पर लकड़ी की तस्करी, नक्सल इलाका का फायदा उठा रहे माफिया

एक तरफ लोग पर्यावरण सुरक्षित रखने को लेकर पौधे लगाते हैं ताकि वो पौधा बड़ा होकर स्वच्छ ऑक्सीजन दे तो दूसरी ओर पर्यावरण के दुश्मन तस्कर हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं. पलामू में वन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं. झारखंड बिहार सीमा पर वर्षों से बड़े पैमाने पर लकड़ी की तस्करी हो रही है.

Wood smuggling along the Jharkhand-Bihar border
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Published : Sep 15, 2020, 7:58 PM IST

पलामू: झारखंड बिहार सीमा पर बड़े पैमाने पर लकड़ी की तस्करी हो रही है. वन माफिया लगातार जंगलों की कटाई कर रहे हैं. माफियाओं का मनातू, नावाजयपुर और नौडीहा बाजार का इलाका नया केंद्र बन गया है. सैकड़ों की संख्या में पेड़ों की कटाई कर बिहार के इलाके में भेजा जा रहा है, जिस इलाके में पेड़ों की कटाई हो रही है वह अतिनक्सल प्रभावित इलाका है. नक्सल इलाका होने का फायदा लकड़ी तस्कर उठा रहे हैं. जिस इलाके में पेड़ों की कटाई हो रही है वह इलाका बिहार सीमा से महज छह से सात किलोमीटर की दूरी पर है.

देखिए पूरी खबर

वर्षों से काटे जा रहे हैं कीमती लकड़ियां

झारखंड बिहार सीमा पर सखुआ, सागवान, सिसम, साल आदि की पेड़ हैं, जो काफी कीमती हैं. सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्षों से वनों की कटाई हो रही है. मनातू का इलाका लकड़ी तस्करों का सॉफ्ट टारगेट है. पलामू में डीएफओ राहुल कुमार बताते हैं कि मनातू और बिहार सीमा के इलाके में वर्षों से पेड़ों को काटा गया है, लेकिन इसके खिलाफ अब कार्रवाई शुरू की गई है. मनातू से सटे हुए बिहार के इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध आरा मिल का संचालन दशकों से हो रहा था. बिहार के गया के साथ मिलकर एक दर्जन के करीब अवैध आरा मिल को ध्वस्त किया गया है. वनों की कटाई रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

ये भी पढे़ं: मानसून सत्र को लेकर पार्टी प्रतिनिधियों के साथ स्पीकर ने की बैठक, बीजेपी नहीं हुई शामिल

नक्सल के कमजोर होने के बाद तस्कर हुए सक्रिय

सीमा पर नक्सल संगठनों के कमजोर होने के बाद लकड़ी तस्कर फायदा उठा रहे हैं, जिस इलाके में वनों को कटाई हो रही है, उस इलाके में पुलिस ऑपरेशन प्लान बना कर ही जाती है. नक्सल का कमजोर होना और बिहार सीमा नजदीक होना तस्करों को फायदा दे रहा है. करीब 15 दिन पहले मनातू के रंगेया के इलाके में लकड़ी काटने के आरोप में एक दर्जन से अधिक पर एफआईआर किया गया था. लकड़ी के तस्करी में शामिल गिरोह में पलामू, चतरा और बिहार के गया के लोग शामिल हैं. तस्कर इतने मजबूत है कि 2017 में एक थानेदार को बंधक बना लिया था.

पलामू: झारखंड बिहार सीमा पर बड़े पैमाने पर लकड़ी की तस्करी हो रही है. वन माफिया लगातार जंगलों की कटाई कर रहे हैं. माफियाओं का मनातू, नावाजयपुर और नौडीहा बाजार का इलाका नया केंद्र बन गया है. सैकड़ों की संख्या में पेड़ों की कटाई कर बिहार के इलाके में भेजा जा रहा है, जिस इलाके में पेड़ों की कटाई हो रही है वह अतिनक्सल प्रभावित इलाका है. नक्सल इलाका होने का फायदा लकड़ी तस्कर उठा रहे हैं. जिस इलाके में पेड़ों की कटाई हो रही है वह इलाका बिहार सीमा से महज छह से सात किलोमीटर की दूरी पर है.

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वर्षों से काटे जा रहे हैं कीमती लकड़ियां

झारखंड बिहार सीमा पर सखुआ, सागवान, सिसम, साल आदि की पेड़ हैं, जो काफी कीमती हैं. सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्षों से वनों की कटाई हो रही है. मनातू का इलाका लकड़ी तस्करों का सॉफ्ट टारगेट है. पलामू में डीएफओ राहुल कुमार बताते हैं कि मनातू और बिहार सीमा के इलाके में वर्षों से पेड़ों को काटा गया है, लेकिन इसके खिलाफ अब कार्रवाई शुरू की गई है. मनातू से सटे हुए बिहार के इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध आरा मिल का संचालन दशकों से हो रहा था. बिहार के गया के साथ मिलकर एक दर्जन के करीब अवैध आरा मिल को ध्वस्त किया गया है. वनों की कटाई रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

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नक्सल के कमजोर होने के बाद तस्कर हुए सक्रिय

सीमा पर नक्सल संगठनों के कमजोर होने के बाद लकड़ी तस्कर फायदा उठा रहे हैं, जिस इलाके में वनों को कटाई हो रही है, उस इलाके में पुलिस ऑपरेशन प्लान बना कर ही जाती है. नक्सल का कमजोर होना और बिहार सीमा नजदीक होना तस्करों को फायदा दे रहा है. करीब 15 दिन पहले मनातू के रंगेया के इलाके में लकड़ी काटने के आरोप में एक दर्जन से अधिक पर एफआईआर किया गया था. लकड़ी के तस्करी में शामिल गिरोह में पलामू, चतरा और बिहार के गया के लोग शामिल हैं. तस्कर इतने मजबूत है कि 2017 में एक थानेदार को बंधक बना लिया था.

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