पलामू: जिंदगी में कोई हार इतनी बड़ी नहीं होती कि उसके सामने जिंदगी या ममता हार जाए. समाज और परिवार जिसके साथ हो वो किसी भी मंजिल को पा सकता है, लेकिन यही समाज और परिवार साथ छोड़ दे तो इंसान सब कुछ हारने लगता है. कोविड-19 (COVID-19) त्रासदी लेकर आया है. इस काल में परिवार और समाज को एक सूत्र में पिरोने वाली महिला जिंदगी की जंग हार रही हैं. महिलाएं सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक दबाव से टूट रही हैं और मौत को गले लगा रही हैं.
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स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार झारखंड में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं. पलामू जैसे इलाके में महिलाएं बड़ी संख्या में मौत को गले लगा रहीं हैं. मार्च 2020 से सितंबर 2020 के बीच पलामू में 60 लोगों ने आत्महत्या की है, जिसमें 25 से अधिक महिलाएं शामिल थी. मार्च 2021 से अगस्त 2021 के बीच 48 से अधिक आत्महत्या हुई हैं, जिसमें 20 से अधिक महिलाएं हैं.
आर्थिक, सामाजिक और पारवारिक दबाव में टूट रही महिलाएं
कोविड-19 काल में महिलाओं के आत्महत्या के मामले बढ़े हैं. आर्थिक, सामाजिक और पारवारिक दबाव में महिलाएं कई गलत कदम उठा रही हैं. ईटीवी भारत की टीम ने कई मामलों का केस स्टडी किया, जिसमें पाया गया कि महिलाएं पारिवारिक आर्थिक या सामाजिक तनाव में टूट गई हैं. पलामू के छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र में सबसे अधिक महिलाएं दबाव में हैं. सबसे अधिक आत्महत्या की घटनाएं छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र में ही हुई हैं.
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छतरपुर में बच्चे के साथ मां ने की आत्महत्या
26 जुलाई को छतरपुर थाना क्षेत्र के राजबंध बभंडी में चंचला देवी नामक महिला ने अपने मासूम बच्ची के साथ कुएं में छलांग लगा दी. इस घटना में चंचला देवी और उसके बच्चे की मौत हो गई. घटना से पहले चंचला देवी का पति के साथ लड़ाई हुई थी, जिसके बाद उसने मौत को गले लगा लिया था.
बसडीहा में सामाजिक दबाव में महिला ने की आत्महत्या
पलामू के पाकी थाना क्षेत्र के बसडीहा में 5 जुलाई 2021 को सोना देवी नाम की महिला ने सामाजिक दबाव में आत्महत्या कर ली. सोना देवी को पड़ोसी और ग्रामीण अंधविश्वास में आकर लगातार प्रताड़ित कर रहे थे. प्रताड़ना से तंग आकर सोना देवी ने आत्महत्या की थी.
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एक मां ने अपनी दो बेटियों को कुएं में फेंका
27 जून को छतरपुर थाना क्षेत्र के कंचनपुर में अनीता देवी ने अपने दो बच्चियों को कुएं में फेंक कर मार डाला. अनीता देवी की शादी के बाद तीन बेटियां हुई थी. बेटी होने के कारण पति ने उसे छोड़ दिया था और दूसरी शादी कर ली थी, जिसके बाद से अनीता आर्थिक सामाजिक और पारिवारिक दबाव में थी. उसने तंग होकर इस तरह का कदम उठाया.
काउंसिलिंग की जरूरत
महिलाओं के लिए लंबे वक्त से लड़ाई लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता इंदु भगत बताती हैं कि महिलाएं दबाव में आत्महत्या कर रहीं हैं. यह एक तरह से हत्या है. इंदु भगत बताती हैं कि महिलाओं को कई अवसरों पर सामाजिक और पारिवारिक सपोर्ट नहीं मिलता है, जबकि उनकी आर्थिक जरूरतें भी पूरा नहीं हो पाती है. कोविड-19 काल में पुरुषों की भी नौकरी गई है. उसका गुस्सा महिलाओं पर उतारा गया है. परिवारिक संघर्ष से अलग तरह का दबाव बनाता है. इंदु भगत चौबीसों घंटे महिलाओं की मदद के लिए भी तैयार रहती हैं.
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महिलाओं को मानसिक रूप से मजबूत बनने की सलाह
मेदनी राय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर सुनील कुमार बताते हैं कि कोविड-19 काल के बाद महिलाओं का सामाजिक दायित्व काफी बढ़ गया है. इस दौरान उन्हें सहयोग की जरूरत है, सहयोग नहीं मिलने पर उनपर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. डॉ सुनील कुमार ने महिलाओं को नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए अपने रुटिंग को फॉलो कर और खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की सलाह दी है.
महिलाओं की मदद के लिए पुलिस तत्पर
वहीं, इस मामले को लेकर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने ईटीवी भारत को बताया कि बदलते वक्त के साथ सामाजिक और आर्थिक जीवन जटिल होते जा रहा है. लोग समस्याओं का हल नहीं ढूंढ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सभी को प्रॉपर काउंसलिंग की जरूरत है. उन्होंने सभी से खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखने की सलाह दी है. एसपी ने कहा कि पलामू पुलिस सभी लोगों के 24 घंटे मदद के लिए पुलिस तत्पर है, महिलाओं को किसी प्रकार की समस्याएं होती है तो वह पुलिस से संपर्क करें. उन्हें हर संभव मदद मिलेगी.