पलामू: 90 के दशक की वो कहानी जब बेगम और नवाब के दहाड़ से इलाका गूंज उठता था, पीटीआर इलाके में अक्सर इनकी चर्चा होती थी. बेगम और नवाब इंसान नहीं बल्कि एक बाघिन और बाघ की कहानी है. आज पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ देखे जाने के बाद चारों तरफ इसकी चर्चा हो रही है, एक लंबे अरसे के बाद पीटीआर के इलाके में बाघ को देखा गया है. बेगम और नावाब की जोड़ी ने पीटीआर को एक दशक तक गुलजार रखा. इन दोनों की लव स्टोरी की चर्चा अक्सर ही पीटीआर में होती है. ये इनका प्यार ही था कि पीटीआर में बेगम ने 10 बच्चों को जन्म दिया था. इस परिवार की अंतिम सदस्य रानी बाघिन का शव 2020 में पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क में बरामद हुआ था.
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रानी की स्वाभाविक मौत वहीं हुई थी जहां उसका जन्म हुआ, दरसल 80 के दशक में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बेतला बाघिन का दबदबा हुआ करता था. 1983-84 में बेतला बाघिन की मौत हो गई, उसके बाद पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क इलाके में बेगम बाघिन की एंट्री हुई. बेगम बाघिन बेतला नेशनल पार्क के रोड नंबर 3 में भलही पहाड़ी को अपना आशियाना बनाया.
बेगम और नवाब की जोड़ी ने 10 शावकों को दिया था जन्म: बेगम और नवाब की जोड़ी ने एक दशक में 10 शावकों को जन्म दिया. पलामू टाइगर रिजर्व में लंबे समय से बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाले वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि बेगम ने शुरुआत में चार बच्चे को जन्म दिया था, उसके बाद से उसने 1994-95 तक दो दो कर के तीन बार बच्चों को जन्म दिया. प्रोफेसर बताते हैं कि 1995-96 के बाद बेगम का शव बेतला नेशनल पार्क इलाके में बरामद हुआ था, फूड प्वाइजनिंग से उसकी मौत हुई थी. वे बताते हैं कि इस दौरान बेगम के शव के पास दो शावक मौजूद, कुछ महीनों बाद एक शावक की मौत हो गई, जबकि दूसरी शावक रानी बाघिन बनी.
रानी का शव 2020 में बेतला नेशनल पार्क इलाके से बरामद हुआ. उन्होंने बताया कि बेगम मवेशी का अधिक शिकार करती थी, जिस कारण स्थानीय ग्रामीणों ने उसके शिकार में कुछ मिला दिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. रानी बाघिन ने अपने सभी बच्चों को मवेशी का शिकार करना सिखाया था, जिस कारण बच्चे एक-एक करके इलाके को छोड़ कर चले गए.
बेगम के बच्चों के पग मार्क से उम्र की निगरानी का शुरू हुआ था अध्ययन: बेगम के बच्चों के पगमार्क से उनके उम्र की निगरानी का अध्ययन शुरू हुआ था. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि बेगम के बच्चों के पग मार्क के साइज के अध्ययन से उनकी उम्र का पता चल पाया था. इसी अध्ययन से पता चल पता था कि पग मार्क की साइज से उम्र कितनी है, पता चल जाता है. वे बताते है कि बेगम की पीटीआर में इंट्री चहल चुंगरु की तरफ से हुई थी और उनके भलही को अपना ठिकाना बनाया था, जबकि नवाब कुमंडी के इलाके में रहता था.