पलामू: चर्चित मंडल डैम(Mandal Dam) के निर्माण कार्य के लिए 3.44 लाख पेड़ काटे जाने थे. इसके लिए कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने पेड़ नहीं काटने का निर्णय लिया है. हालांकि इस निर्णय पर अंतिम मुहर लगना बाकी है. अंतिम मुहर लगने के साथ ही रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी. कमेटी को सितंबर 2020 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देनी थी. इसके बावजूद अभी तक रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है.
ये भी पढ़ें- 70 के दशक से अधूरा पड़ा है मंडल डैम का निर्माण, PM ने किया शिलान्यास फिर भी नहीं शुरू हुआ काम
पेड़ों के काटने के बाद पलामू के पर्यावरण में होगा बदलाव
कमेटी के सदस्य रहे एक अधिकारी के अनुसार 3.44 लाख पेड़ों को काटने के बाद पलामू के पर्यावरण में बड़ा बदलाव होगा. पलामू पहले से ही रेनशैडो एरिया है. पेड़ों के कट जाने के बाद पलामू का तापमान दो से तीन डिग्री बढ़ने की आशंका है.
अधूरे कार्यों को पूरा करने का 2019 में किया था शिलान्यास
मंडल डैम(Mandal Dam) केअधूरे कार्यों को पूरा करने की परियोजना का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2019 मे किया था. मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए 3,44,644 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव था. मंडल डैम(Mandal Dam) के लिए जिस इलाके में पेड़ काटा जाना है वह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व(Palamu Tiger Reserve) का है. पूरा जंगल साल (सखुआ) का है. मामले में जल संसाधन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व(Palamu Tiger Reserve) के अधिकारियों से पेड़ काटने के लिए अनुमति मांगी थी. जिसके बाद मंडल डैम(Mandal Dam) का निर्माण कार्य 70 के दशक से शुरू हुआ था लेकिन 1993 से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है.
मंडल डैम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
- मंडल डैम(Mandal Dam) पर 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से काम शुरू हुआ था. योजना यह थी कि मंडल डैम(Mandal Dam) उत्तर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल, जहांनाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पंहुचे और पलामू और उसके आस -पास के जिलों को बिजली मिले.
- पलामू टाइगर रिजर्व(Palamu Tiger Reserve) के आपति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गई है. डैम से आधा दर्जन से अधिक गांव डूब जांएगे.
- अविभाजित पलामू में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में कोयल नदी पर मंडल डैम की निर्माण कार्य शुरू हुआ था.
- 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी जो अब 2391.36 करोड़ की हो गई है. 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सल हमले के बाद यह परियोजना का काम ठप हो गया है. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी.