पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व से होकर गुजरने वाले रेलवे फ्रेट कॉरिडोर का थर्ड लाइन डायवर्ट (Third Line Passing Through PTR Will Diverted) होगा. नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड, वन मंत्रालय और रेलवे के बीच इसके लिए सहमति बन गई है. मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों को लिखित आदेश का इंतजार है. रेलवे ने पीटीआर के कोर एरिया से थर्ड लाइन ले जाने की योजना तैयार की थी. थर्ड लाइन को लेकर पीटीआर ने आपत्ति दर्ज करायी थी और रेलवे से थर्ड लाइन को डायवर्ट करने को कहा था. अब यह रेल लाइन पीटीआर के बाहरी हिस्से से होकर गुजरेगी.
ये भी पढे़ं-केंद्रीय गृह मंत्रालय के निगरानी वाली रोड वर्षो से थी अधूरी, अब बनाने की पहल हुई शुरू
सोननगर से पतरातू तक थर्ड लाइन का निर्माणः सोननगर से पतरातू तक रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर (थर्ड लाइन) का निर्माण किया जा रहा है. फ्रेट कॉरिडोर के तहत 11 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से हो कर गुजरनी (Rail Line Through Palamu Tiger Reserve) थी. यह कोर एरिया छिपादोहर से हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन के बीच से होकर गुजरनी थी. इसके लिए रेलवे विकास निगम ने फरवरी 2021 में ऑनलाइन आवेदन देकर थर्ड लाइन को पीटीआर से गुजरने के बाद एनओसी (NOC Sought From PTR) मांगा था.
स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड ने जतायी थी आपत्तिः करीब डेढ़ वर्ष पहले सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक हुई थी. जिसमें रेलवे बोर्ड के आवेदन पर साफ तौर पर नॉट रिकमेंड लिख दिया गया है. जिसके बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड में मामला चला गया था. कुछ दिनों पहले वन मंत्रालय और रेलवे ने संयुक्त रूप से फिर से सर्वे की सहमति जताई थी. पूरे मामले को लेकर वन मंत्रालय और रेलवे के बीच कई बार बैठकों का दौर चला. बैठक लातेहार डीएफओ और पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी भाग लेते थे.
महत्वपूर्ण जानकारीः पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से थर्ड लाइन करीब 11 किलोमीटर गुजारनी है. पीटीआर प्रबंधन ने छिपादोहर रेलवे स्टेशन के पास से रेल लाइन को डाइवर्ट करने का आग्रह किया है, जो केड होते हुए हेहेगड़ा तक जाएगी. यह दूरी करीब 14 किलोमीटर की होगी. दूसरी महत्वपूर्ण जानकारी पूरे मामले में विवाद के निपटारे के लिए रेलवे विकास निगम पीटीआर प्रबंधन की एक संयुक्त टीम बनाई गई थी, यह टीम रेल लाइन डाइवर्ट करने को लेकर सर्वे करने वाली थी. टीम को 2021 में है अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन पूरे मामले में रेलवे विकास निगम का कोई भी अधिकारी ने टीम में साथ इलाके का सर्वे नहीं किया, पहली रेल लाइन इलाके में 1924 में बिछाई गई थी, लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व 1971-72 में बना था. टाइगर रिजर्व बनने के बाद इलाके में इससे संबंधित कानून लागू हो गए थे.