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मंडल डैम का 12 में से 10 गेट बनकर तैयार, जल्द ही डूब क्षेत्र के परिवारों के मिलेगा मुआवजा

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Published : Aug 14, 2023, 3:43 PM IST

मंडल डैम का 12 में से 10 गेट बनकर तैयार हो गया है. जिसके तहत जल्द ही डूब क्षेत्र में आने वाले परिवारों को मुआवजा मिलेगा. डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को आधारशिला रखी थी. जिसमें मार्च 2022 तक डैम के अधूरे काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था.

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पलामू: मंडल डैम का 12 में से 10 गेट बनकर तैयार हो गया है. इसे फरवरी में इंस्टॉल कर दिया जाएगा. जिसके तहत डूब क्षेत्र में आने वाले परिवारों को मुआवजा देने के लिए संचिका आगे बढ़ी है. जल्द ही इसका भुगतान किया जाएगा. मंडल डैम को लेकर केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय रेस हो गई है. जिसमें बिहार के औरंगाबाद से सुशील सिंह, झारखंड के पलामू सांसद विष्णु दयाल राम और चतरा सांसद सुनील सिंह की स्क्रीनिंग कमिटी बनाई गई है. इस कमिटी में तीनों सांसदों के साथ मंडल डैम का निर्माण कार्य कर रही कंपनी वेबकोस को भी जोड़ा गया है.

इसे भी पढ़ें: Two youths Drowned in Dumka: मयूराक्षी नदी में हादसा, डूबने दो युवक की मौत


इससे पहले मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को आधारशिला रखी थी. जिसमें मार्च 2022 तक डैम के अधूरे काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई. इसका मामला लोकसभा तक में उठ चुका है. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने मंडल डैम परियोजना को लेकर संज्ञान लिया है. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने बताया कि मंडल डैम को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री से मुलाकात की गई थी. उन्होंने मंडल डैम का भौतिक सत्यापन करने को कहा है. तीनों सांसदों ने उत्तर कोयल नहर परियोजना का भौतिक सत्यापन किया है.

जाने क्या है मंडल डैम परियोजना: उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत कोयल नदी पर मंडल और कुटकु में डैम बनाया जाना था, इस डैम को मंडल और कुटकु के नाम से भी जाना जाता था. 1970-71 में करीब 30 करोड़ की परियोजना थी. 1997 में मंडल में एक इंजीनियर की हत्या कर दी गई, जिसके बाद से मंडल डैम का निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था. जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए 2019 में आधारशिला रखी. जिसके लिए करीब 2300 करोड़ रुपए जारी किए गए. ये मंडल डैम परियोजना पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जिसके कारण डैम की ऊंचाई 367 मीटर से घटा कर 341 मीटर किया जाना है. परियोजना के पूरा होने से झारखंड और बिहार में 390324 एकड़ में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. डैम के लिए 344000 पेड़ों को काटने का भी प्रस्ताव था, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया गया. इस परियोजना के तहत 731 परिवारों को डूब क्षेत्र में माना जाता है. वहीं स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार 1031 परिवार डूब क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं.

पलामू: मंडल डैम का 12 में से 10 गेट बनकर तैयार हो गया है. इसे फरवरी में इंस्टॉल कर दिया जाएगा. जिसके तहत डूब क्षेत्र में आने वाले परिवारों को मुआवजा देने के लिए संचिका आगे बढ़ी है. जल्द ही इसका भुगतान किया जाएगा. मंडल डैम को लेकर केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय रेस हो गई है. जिसमें बिहार के औरंगाबाद से सुशील सिंह, झारखंड के पलामू सांसद विष्णु दयाल राम और चतरा सांसद सुनील सिंह की स्क्रीनिंग कमिटी बनाई गई है. इस कमिटी में तीनों सांसदों के साथ मंडल डैम का निर्माण कार्य कर रही कंपनी वेबकोस को भी जोड़ा गया है.

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इससे पहले मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को आधारशिला रखी थी. जिसमें मार्च 2022 तक डैम के अधूरे काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई. इसका मामला लोकसभा तक में उठ चुका है. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने मंडल डैम परियोजना को लेकर संज्ञान लिया है. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने बताया कि मंडल डैम को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री से मुलाकात की गई थी. उन्होंने मंडल डैम का भौतिक सत्यापन करने को कहा है. तीनों सांसदों ने उत्तर कोयल नहर परियोजना का भौतिक सत्यापन किया है.

जाने क्या है मंडल डैम परियोजना: उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत कोयल नदी पर मंडल और कुटकु में डैम बनाया जाना था, इस डैम को मंडल और कुटकु के नाम से भी जाना जाता था. 1970-71 में करीब 30 करोड़ की परियोजना थी. 1997 में मंडल में एक इंजीनियर की हत्या कर दी गई, जिसके बाद से मंडल डैम का निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था. जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए 2019 में आधारशिला रखी. जिसके लिए करीब 2300 करोड़ रुपए जारी किए गए. ये मंडल डैम परियोजना पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जिसके कारण डैम की ऊंचाई 367 मीटर से घटा कर 341 मीटर किया जाना है. परियोजना के पूरा होने से झारखंड और बिहार में 390324 एकड़ में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. डैम के लिए 344000 पेड़ों को काटने का भी प्रस्ताव था, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया गया. इस परियोजना के तहत 731 परिवारों को डूब क्षेत्र में माना जाता है. वहीं स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार 1031 परिवार डूब क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं.

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