पलामू: देश भर में हाथियों के नए कॉरिडोर को चिन्हित करने के लिए सर्वे का काम शुरू किया गया है. हाथियों की गतिविधि को देखते हुए नए कॉरिडोर को चिन्हित किया जा रहा है. झारखंड में भी हाथियों के कॉरिडोर को चिन्हित करने का कार्य शुरू हुआ है. झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व, चाईबासा, जमशेदपुर समेत कई इलाकों में सर्वे शुरू हुआ है.
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पलामू टाइगर रिजर्व में हाथियों के तीन नए कॉरिडोर को चिन्हित किया गया है. जिसमें पीटीआर का बेतला, बारेसाढ़, गारु का इलाका है, दूसरा छत्तीसगढ़ से पीटीआर का इलाका और तीसरा पीटीआर के बाहरी हिस्सा को नए कॉरिडोर के रूप में चिन्हित किया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 तक देश भर में हाथियों की संख्या 30 हजार थी और 150 से अधिक हाथियों का कॉरिडोर था. झारखंड में 17 से 18 कॉरिडोर मौजूद हैं.
नए सर्वे के बाद इनकी संख्या बढ़ेगी. हाथियों के नए कॉरिडोर के बारे में पूरी रिपोर्ट पीसीसीएफ को भेजा जाएगा. इस रिपोर्ट को केंद्र को भेजा जाएगा. वन मंत्रालय और केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड हाथी के नए कॉरिडोर को नोटिफाइ करेगा. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि हाथी के नए कॉरिडोर को चिन्हित करने का कार्य किया जा रहा है. नए कॉरिडोर को चिन्हित कर सर्वे रिपोर्ट पीसीसीएफ को भेजी जाएगी उसके बाद केंद्र को जाएगी. इस दौरान हाथियों के व्यवहार और उनकी गतिविधि का आकलन किया जा रहा है.
15 राज्यों में फैला है हाथियों का कॉरिडोर: पूरे देश में 15 राज्यों तक हाथी का कॉरिडोर फैला हुआ है. झारखंड के हाथियों का कॉरिडोर केरला से लेकर नेपाल तक फैला हुआ है. झारखंड में हाथी और मानव के बीच संघर्ष से प्रत्येक वर्ष दर्जनों लोगों की मौत होती है. झारखंड में 2017 से अब तक हाथी के हमले में 510 लोगो की मौत हो चुकी है. 2023 में अप्रैल तक 96 लोगों की मौत हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व, दलमा, सारंडा के इलाके में मयूरभंजी हाथी मौजूद है. पीटीआर के इलाके में 180 से 190 के करीब हाथी मौजूद हैं.
एक महीने पहले हाथियों का जेनेटिकली प्रोफाइल के लिए डीएनए सैंपलिंग का कार्य शुरू हुआ था. अप्रैल के महीने में हाथियों के डीएनए प्रोफाइलिंग का काम शुरू हुआ था. हाथियों के डीएनए प्रोफाइलिंग की रिपोर्ट आनी बाकी है. हाथी के नए कॉरिडोर के लिए पिछले पांच वर्ष के दौरान उनके मूवमेंट का आकलन किया जा रहा है.