पलामूः परोपकार क्या है? इस सवाल के जवाब में यही लिखा जाएगा कि दूसरों की भलाई करना ही परोपकार होता है. लेकिन आइये, हम आपको परोपकार की एक और परिभाषा से रूबरू कराते हैं. ये दसवीं की बोर्ड परीक्षा में सवाल पूछा गया था कि परोपकार क्या है? इसके जवाब में छात्रों ने अतरंगी और अजीबोगरीब जवाब लिखे हैं.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा एक महीने पहले मैट्रिक और इंटर की परीक्षा आयोजित की गयी थी. अब परीक्षा के कॉपियों की जांच हो रही है. पलामू में हजारीबाग और चतरा के छात्रों की कॉपी जांच हो रही है. भाषा और हिंदी की परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को कई छात्रों ने अजीबोगरीब जवाब दिये हैं. मेदिनीनगर स्थित कॉपी जांच केंद्र पर हिंदी और अन्य विषयों की कॉपी की जांच के दौरान कई प्रश्नों के अजीब उत्तर सामने आए हैं.
परोपकार क्या है? दसवीं की परीक्षा में पूछे गए इस प्रश्न के जवाब में एक छात्र ने अपनी उत्तर पुस्तिका में जो लिखा जिसे देखकर और सुनकर शिक्षकों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्या सोचकर लिखा गया और इसे क्या और कितना नंबर दिया जाए. इस सवाल के जवाब में एक छात्र ने लिखा है कि लड़कियों की स्कूटी में पेट्रोल भरवाना ही परोपकार है.
झारखंड के बारे में सवालः 10वीं की बोर्ड परीक्षा में झारखंड के बारे में सवाल पूछा गया. इसके जवाब में छात्र ने लिखा कि झारखंड काफी सुंदर हो, जब भी जन्म झारखंड में हो, दुनिया के सभी लोगों का जन्म झारखंड में और वो भी हजारीबाग में हो.
माता के आंचल पाठ का संदर्भ पर सवालः इस बारे में परीक्षा में प्रश्न पूछा गया था. इसके जवाब में छात्र ने लिखा कि उसकी चाची अच्छा खाना बनाती है, वही उसकी माता का आंचल है, वह चाची द्वारा बनाया हुआ खाना को खाकर रोज स्कूल जाता है.
आत्महत्या की धमकी और प्यार का इजहार भीः इतना ही नहीं, परीक्षा में पूछे गए सवालों के कई छात्रों ने अतरंगी जवाब दिए हैं. एक छात्र ने कॉपी में लिखा था कि उसे पास कर दिया जाए, नहीं तो वो आत्महत्या कर लेगा. आत्महत्या करने के बाद वह कॉपी जांच करने वाले को डराएगा. एक छात्र ने कॉपी में अपना मोबाइल नंबर लिखा और जांच करने वाले से प्यार का इजहार किया.
पलामू में हजारीबाग और चतरा के 12 हजार से अधिक छात्रों की कॉपी जांच हो रही है. कॉपी की जांच के लिए तीन केंद्र बनाए गए है, जहां कड़ी निगरानी है. जांच केंद्रों पर सीसीटीवी लगाया गया है और जांचकर्ताओं को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है. झारखंड सरकार छात्रों के शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन छात्रों द्वारा लिखे गए प्रश्नों के उत्तर यह बता रही है कि उनका स्तर क्या है.
शिक्षक सह शिक्षाविद परशुराम तिवारी बताते हैं कि कम उम्र के बच्चे अपने भाव को व्यक्त करने के लिए शब्दों का चयन नहीं कर पाते हैं. लेकिन जिस उम्र के छात्रों का जिक्र हो रहा है उन्हें शाब्दिक ज्ञान होना चाहिए. इस मामले में पहल करने की जरूरत है. बच्चों की भाषा और कम्युनिकेशन स्किल को मजबूत करने पर भी काम करना चाहिए.