पलामू: एक इलाका जो प्रत्येक दो वर्षों में सुखाड़ की चपेट में आ जाता है, उस इलाके में कई ऐसी सिंचाई परियोजनाएं हैं जो दशकों से अधूरी हैं. इस कड़ी में एक नया नाम जुड़ने वाला है. जिसका नाम सोन-कोयल-औरंगा पाइपलाइन परियोजना है. इस पाइपलाइन परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने का इंतजार है. लेकिन, विडंबना यह है कि झारखंड के जल संसाधन विभाग ने केंद्रीय कैबिनेट से बजट के लिए प्रस्ताव ही नहीं भेजा है, जबकि राज्य सरकार से परियोजना को मंजूरी मिले चार वर्ष से भी अधिक समय बीत चुका है.
यह भी पढ़ें: इस जिले में सूख गईं सभी नदियां, एक सभ्यता का हुआ अंत!
यह परियोजना केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रही है. पलामू सांसद बिष्णुदयाल राम का साफ तौर पर कहना है कि चार वर्ष गुजर गए, जो नहीं होना चाहिए था. उम्मीद है कि अगले 20 से 25 दिनों में केंद्रीय कैबिनेट इस परियोजना को मंजूरी दे देगी. केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी थी, जिस कारण इसका शिलान्यास नहीं किया गया था. इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने सोन कनहर पाइपलाइन की परियोजना को मंजूरी दी थी. इस परियोजना का कार्य गढ़वा के इलाके में शुरू भी हो गया है.
क्या है सोन-कोयल-औरंगा पाइप लाइन परियोजना: सोन-कोयल-औरंगा पाइपलाइन परियोजना के तहत पलामू के सभी जलाशयों को पानी उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव है. इस परियोजना पर करीब 783 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं. जल संसाधन विभाग इस परियोजना को लेकर डीपीआर और सर्वे का काम चार वर्ष पहले ही पूरा कर चुका है. लेकिन, अब तक इस परियोजना को मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट को भेजा ही नहीं गया था. इससे परियोजना का काम अधर में लटका हुआ है.
दरअसल, सोन नदी में पूरे वर्ष पानी रहता है, लेकिन गर्मी के दिनों में कोयल और औरंगा नदी सूख जाती है. सोन से दोनों नदियों को जोड़ा जाना है, जबकि दोनों नदियों से कई नहर और जलाशयों तक पानी पंहुचाने की योजना है. परियोजना के तहत समुद्र तल से करीब 400 मीटर उपर पाइप लाइन को बिछाया जाना है, पंपिंग सिस्टम से लिफ्ट करवा कर पानी की सप्लाई की जाएगी. 1500 एमएम व्यास का पाइप लाइन टनल बनाया जाएगा.
दो लाख घरों तक पहुंचेगा पानी: परियोजना का कार्य पूरा होने से पलामू के इलाके के 58 हेक्टेयर से भी अधिक जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. वहीं ढाई लाख से भी अधिक घरों को पेयजल संकट से निजात मिलेगा. पलामू के किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं, मात्र 12 प्रतिशत इलाके में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. परियोजना के पूरा होने से पलामू के दो दर्जन से भी अधिक प्रखंडों को सीधा लाभ होगा. केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद परियोजना को दो वर्षों में पूरा किया जाएगा.