पलामूः नक्सलियों के सफाए से जहां बूढ़ापहाड़ इलाके के आसपास रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है, वहीं अब यहां वन्य जीवों का संरक्षण किया जाएगा. बूढ़ापहाड़ के इलाके में वन्य जीवों के लिए सॉफ्ट रिलीज सेंटर और ग्रास लैंड बनाया जाएगा. इलाके के वाटरफॉल और सरुअत पहाड़ के लिए भी विशेष योजना तैयार की जा रही है. बूढ़ापहाड़ की सीमा छत्तीसगढ़ के बलरामपुर और झारखंड के गढ़वा, लातेहार से सटा हुआ है. बूढ़ापहाड़ का 60 प्रतिशत हिस्सा पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. यह इलाका घने जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है.
चीतल और हिरण की संख्या बढ़ाने की होगी कवायदः इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व में निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि उन्होंने इलाके का दौरा किया है. स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत के क्रम में इस बात की जानकारी मिली है कि इलाके में चौसिंघा, चीतल, तेंदुआ और जंगली सूकर हैं. तेंदुआ और चौसिंघा कैमरा ट्रैप में मिला है. उन्होंने बताया कि इलाके में चीतल की संख्या कम है. चीतल और हिरण की संख्या बढ़ाने के लिए इलाके में सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया जाएगा. इसके अलावा ग्रास लैंड को विकसित किया जाएगा.
बहेराटोली वाटर फॉल को विकसित किया जाएगाः बूढ़ापहाड़ की तराई वाले इलाके में पानी की उपलब्धता है. पानी के संरक्षण के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इलाके के बहेराटोली वाटर फॉल को विकसित किया जाएगा. जबकि सरुअत पहाड़ के लिए विशेष योजना तैयार की जा रही है. वन्य जीवों के लिए बेहतर वातावारण तैयार होने के बाद इलाके में पर्यटन गतिविधि को भी बढ़ावा मिलेगा. इलाके में बाघों के लिए भी प्रेबेस तैयार किया जा रहा है.
पहली बार इलाके में पहुंची है पलामू टाइगर रिजर्व की टीमः बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों के कब्जे के बाद पहली बार पलामू टाइगर टाइगर रिजर्व की टीम इलाके में पहुंची है. टीम ने बूढ़ापहाड़ के इलाके के कुल्ही, हेसातु, बहेराटोली, चपिया, तुबेग, तुरेर, मतगड़ी के इलाकों का दौरा किया है और वन्य जीवों के हालात के बारे में जानकारी ली है. इलाके में नक्सलियों के खौफ और मौजूदगी के कारण कभी ट्रैकिंग कैमरा नहीं लगाया जाता था. नक्सलियों के कमजोर होने के बाद पहली बार इलाके में कैमरा लगाया गया है. बूढ़ापहाड़ के इलाके को छोड़ पीटीआर के सभी इलाको में बाघ समेत अन्य वन्य जीवों की गिनती होती थी. नक्सलियों के खौफ के कारण इस इलाके में कभी बाघों की गिनती नहीं हुई है. यह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा कॉरिडोर का हिस्सा है.
क्या है सॉफ्ट रिलीज सेंटरः पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में चार सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए जाने का पहले से प्रस्ताव है. अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में भी सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया जाना है. सॉफ्ट रिलीज सेंटर के तहत जंगल के एक इलाके को घेर दिया जाएगा. घेरने बाद हिरण या चीतल को रखा जाएगा. प्रजनन के बाद हिरण और चीतल की संख्या बढ़ेगी. संख्या बढ़ने के बाद सभी को धीरे-धीरे जंगलों में छोड़ दिया जाएगा. हिरण की संख्या बढ़ने के बाद इलाके में ग्रास लैंड भी विकसित किया जाएगा और बाघ और तेंदुआ जैसे जीवों के लिए भोजन मिलेगा. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में ही हिरण और चीतल अधिक संख्या में मिलते हैं.