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सलामत रहे सृष्टि: गंभीर बीमारी से जूझ रही है 14 महीने की मासूम, आपकी एक मदद से बच सकती है जिंदगी

झारखंड के पलामू की फूल सी सृष्टि आज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है. महज 14 महीने उम्र की सृष्टि अभी वेंटिलेटर पर है. परिवार, लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है. एक मुस्कान से पूरे परिवार का दिल जीतने वाली सृष्टि को उम्मीद है तो बस रहनुमा की.

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Published : Feb 23, 2021, 10:27 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 5:26 PM IST

shrishti is suffering with spinal muscular atrophy
सृष्टि को 22 करोड़ के इंजेक्शन से बच सकती है जान

पलामू/बिलासपुर. झारखंड के पलामू की फूल सी सृष्टि आज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है. महज 14 महीने की सृष्टि अभी वेंटिलेटर पर है. परिवार लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है. एक मुस्कान से पूरे परिवार का दिल जीतने वाली सृष्टि को उम्मीद है तो बस रहनुमा की. कोई रहनुमा आएगा और उसकी मदद से जिंदगी बच जाएगी.

देखें पूरी खबर

इलाज के लिए 22 करोड़ की जरूरत

दरअसल, पलामू के रहने वाले सतीश कुमार की बेटी सृष्टि बिलासपुर के एक अस्पताल में भर्ती है. वह दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी यानी एसएमए से जूझ रही है. बच्ची के इलाज के लिए साढ़े 22 करोड़ रुपए की जरूरत है. इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना परिवार के लिए मुश्किल है. लेकिन, क्राउड फंडिंग के जरिये परिवार को उम्मीद जगी है. अब तक 13 लाख 69 हजार से ज्यादा की राशि की व्यवस्था हो चुकी है. करीब 1700 लोगों ने डोनेट किया है. आपकी एक मदद सृष्टि की जान बचा सकती है. पूरे परिवार के चेहरे की खोई मुस्कान लौटा सकती है.

shrishti is suffering with spinal muscular atrophy
आपकी एक मदद से बच सकती है सृष्टि की जान

यह भी पढ़ें: तीरा को नई जिंदगी देने के लिए 10 देशों से आई मदद, जगी एक उम्मीद

जीन में खराबी की वजह से होती है बीमारी

सृष्टि का इलाज कर रहे डॉक्टर सुशील कुमार ने बताया कि यह बीमारी जन्मजात है. बच्चे के जीन में खराबी रहने के कारण यह बीमारी होती है और धीरे-धीरे शरीर की नसें सूखने लगती है. स्थिति जब नाजुक होती है तब वेंटिलेटर की स्थिति आ जाती है. सृष्टि भी वेंटिलेटर पर है. स्विटजरलैंड की एक कंपनी ने इस बीमारी का इंजेक्शन तैयार किया है. लेकिन यह तभी कारगर हो सकता है जब शुरुआती दौर में बच्चे को दिया जाए. यह दवा शरीर में रक्त के माध्यम से डिफेक्टिव जीन तक पहुंचता है और पुराने डिफेक्टिव जीन को रिप्लेस करता है. एक तरफ सृष्टि मौत से जंग लड़ रही है दूसरी तरफ पूरा परिवार नन्हीं सी बच्ची की जान बचाने के लिए पूरा जतन कर रहा है. क्राउड फंडिंग के साथ-साथ परिवार के लोग नेताओं से भी मिल रहे हैं. शायद कुछ और लोग मदद के लिए आगे आ जाएं.

क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी ?

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी एक गंभीर बीमारी है. जो बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं. शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान में दिक्कत होती है. बच्चे को सांस लेने में भी तकलीफ होती है. यह एक दुर्लभ बीमारी है जो लाखों बच्चों में किसी एक को होती है. इस बीमारी का एक ही इलाज है जोल्गेन्समा इंजेक्शन. इसे स्विटरलैंड की एक कंपनी बनाती है जिसकी कीमत है 16 करोड़ रुपए. भारत में इस इंजेक्शन पर करीब 6 करोड़ का टैक्स लगता है जिससे यहां यह 22 करोड़ का मिलता है.

सलामत रहे सृष्टि

इसी तरह की बीमारी से मुंबई की एक बच्ची तीरा कामत भी जूझ रही है. परिवार ने क्राउड फंडिंग से करीब 16 करोड़ रुपए जुटा लिए. बाकी के 6 करोड़ रुपए पीएमओ से माफ हो गए. झारखंड के इस परिवार को भी उम्मीद है बच्ची के लिए कोई रहनुमा आएगा और उसकी हंसती खेलते सृष्टि को फिर से वापस लौटा देगा. 14 महीने की सृष्टि फिर से चल सकेगी, बोल सकेगी, खिलखिला सकेगी. इस बच्ची को देखकर एक ही बात दिल से निकलती है सलामत रहे सृष्टि.

पलामू/बिलासपुर. झारखंड के पलामू की फूल सी सृष्टि आज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है. महज 14 महीने की सृष्टि अभी वेंटिलेटर पर है. परिवार लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है. एक मुस्कान से पूरे परिवार का दिल जीतने वाली सृष्टि को उम्मीद है तो बस रहनुमा की. कोई रहनुमा आएगा और उसकी मदद से जिंदगी बच जाएगी.

देखें पूरी खबर

इलाज के लिए 22 करोड़ की जरूरत

दरअसल, पलामू के रहने वाले सतीश कुमार की बेटी सृष्टि बिलासपुर के एक अस्पताल में भर्ती है. वह दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी यानी एसएमए से जूझ रही है. बच्ची के इलाज के लिए साढ़े 22 करोड़ रुपए की जरूरत है. इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना परिवार के लिए मुश्किल है. लेकिन, क्राउड फंडिंग के जरिये परिवार को उम्मीद जगी है. अब तक 13 लाख 69 हजार से ज्यादा की राशि की व्यवस्था हो चुकी है. करीब 1700 लोगों ने डोनेट किया है. आपकी एक मदद सृष्टि की जान बचा सकती है. पूरे परिवार के चेहरे की खोई मुस्कान लौटा सकती है.

shrishti is suffering with spinal muscular atrophy
आपकी एक मदद से बच सकती है सृष्टि की जान

यह भी पढ़ें: तीरा को नई जिंदगी देने के लिए 10 देशों से आई मदद, जगी एक उम्मीद

जीन में खराबी की वजह से होती है बीमारी

सृष्टि का इलाज कर रहे डॉक्टर सुशील कुमार ने बताया कि यह बीमारी जन्मजात है. बच्चे के जीन में खराबी रहने के कारण यह बीमारी होती है और धीरे-धीरे शरीर की नसें सूखने लगती है. स्थिति जब नाजुक होती है तब वेंटिलेटर की स्थिति आ जाती है. सृष्टि भी वेंटिलेटर पर है. स्विटजरलैंड की एक कंपनी ने इस बीमारी का इंजेक्शन तैयार किया है. लेकिन यह तभी कारगर हो सकता है जब शुरुआती दौर में बच्चे को दिया जाए. यह दवा शरीर में रक्त के माध्यम से डिफेक्टिव जीन तक पहुंचता है और पुराने डिफेक्टिव जीन को रिप्लेस करता है. एक तरफ सृष्टि मौत से जंग लड़ रही है दूसरी तरफ पूरा परिवार नन्हीं सी बच्ची की जान बचाने के लिए पूरा जतन कर रहा है. क्राउड फंडिंग के साथ-साथ परिवार के लोग नेताओं से भी मिल रहे हैं. शायद कुछ और लोग मदद के लिए आगे आ जाएं.

क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी ?

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी एक गंभीर बीमारी है. जो बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं. शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान में दिक्कत होती है. बच्चे को सांस लेने में भी तकलीफ होती है. यह एक दुर्लभ बीमारी है जो लाखों बच्चों में किसी एक को होती है. इस बीमारी का एक ही इलाज है जोल्गेन्समा इंजेक्शन. इसे स्विटरलैंड की एक कंपनी बनाती है जिसकी कीमत है 16 करोड़ रुपए. भारत में इस इंजेक्शन पर करीब 6 करोड़ का टैक्स लगता है जिससे यहां यह 22 करोड़ का मिलता है.

सलामत रहे सृष्टि

इसी तरह की बीमारी से मुंबई की एक बच्ची तीरा कामत भी जूझ रही है. परिवार ने क्राउड फंडिंग से करीब 16 करोड़ रुपए जुटा लिए. बाकी के 6 करोड़ रुपए पीएमओ से माफ हो गए. झारखंड के इस परिवार को भी उम्मीद है बच्ची के लिए कोई रहनुमा आएगा और उसकी हंसती खेलते सृष्टि को फिर से वापस लौटा देगा. 14 महीने की सृष्टि फिर से चल सकेगी, बोल सकेगी, खिलखिला सकेगी. इस बच्ची को देखकर एक ही बात दिल से निकलती है सलामत रहे सृष्टि.

Last Updated : Feb 24, 2021, 5:26 PM IST

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