पलामू: जिले के हुसैनाबाद निवासी, युवा नेता और एनसीपी के झारखंड प्रदेश प्रवक्ता सूर्या सिंह ने राजनीति से ऊपर उठकर प्रकृति की रक्षा की लोगों से अपील की है. इसके लिए लोगों को जागरूक करने और लोगों को साथ जोड़ने की उन्होंने मुहिम शुरू की है. उन्होंने पलामू के बेतला नेशनल पार्क के संरक्षण और उसके विकास की मुहिम को मंजिल तक पहुंचाने में सभी को मिलकर काम करने की जरूरत बताया है. सूर्या सिंह ने शनिवार की शाम फेसबुक लाइव के माध्यम से इस मुहिम की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि 1995 में बेतला में 70 बाघ थे. आज एक भी नहीं है. इसपर किसी भी सरकार, नेता या विभाग ने कुछ भी नहीं किया, जबकि अन्य पार्क, जंगलों में एक भी बाघ मरता है, तो जांच बैठा दी जाती है.
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दो हिस्सों में बंट गया है बेतला नेशनल पार्क
सूर्या सिंह ने कहा कि बेतला नेशनल पार्क से रेल लाइन गुजरी है. इससे प्रत्येक वर्ष वन जीवों की मौत होती है. इस रेल लाइन के होने से बेतला नेशनल पार्क दो हिस्सों में बंट गया है. दूसरा हिस्सा बिल्कुल कट जाने से इसका अस्तित्व संकट में है. बेतला पार्क के अंदर कुछ गांव के पुनर्वास की फाइल 2 वर्षों से लंबित है. अन्य पार्कों की तर्ज पर बेतला में भी दूसरी जगहों से बाघ लाए जा सकते हैं पर यहां इच्छाशक्ति की कमी है. उन्होंने कहा कि पार्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ पौधों के साथ-साथ वन्य जीवों का होना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि जल-जंगल-जमीन के साथ-साथ वन्यजीव भी उतना ही महत्व रखते हैं.
सबको साथ आने की जरूरत
आज दुनिया भर में प्रकृति के संरक्षण के प्रति लोग आगे आ रहे हैं, जबकि झारखंड जंगलों पहाड़ों से परिपूर्ण होने के साथ-साथ खनिज संपदा से भी भरा पड़ा है. इसका संरक्षण सिर्फ सरकारों की जवाबदेही ही नहीं है. इसे बचाने में सरकार के अलावा सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बेतला नेशनल पार्क के अंदर से स्वीकृत पथ को बाहर से निकालने के काम की प्रशंसा की है.
विकास और संरक्षण के लिए मुहिम
सूर्या सिंह ने कहा कि बेतला नेशनल पार्क के विकास और संरक्षण को लेकर ट्विटर पर एक मुहिम चलाई है, हैशटैग #savebetla_savepalamu को बड़ा समर्थन मिल रहा है. इसकी शुरुआत होते ही पूरे भारत में दूसरे नंबर पर ट्रेंड हुआ. उन्होंने सभी दल के नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस मुहिम में शामिल होकर बेतला को बचाने और इसका विकास करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इससे प्रकृति और वन्य जीवों का संरक्षण तो होगा ही पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के अवसर मिलेंगे, शुद्ध वातावरण के साथ-साथ बहुत सारे परिवर्तन होंगे. आज पलामू को ड्राई जोन कहा जाता है. जंगल का विकास होगा, तो सबसे बड़ी समस्या से भी निजात मिल जाएगी. उन्होंने पलामू के युवाओं का आह्वान किया है कि साथ मिलकर बेतला को पुनर्जीवित करने में भूमिका निभाएं. चाहे इसके लिए आंदोलन ही क्यों न करना पड़े.