पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों का ना होना चिंता का विषय है. साल 2018 के बाद इस इलाके में बाघ नहीं देखे गए. साल 2020 के फरवरी में एक बाघिन का शव मिला, लेकिन किसी जीवित बाघ होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इसको लेकर अब पलामू टाइगर रिजर्व के कुछ हिस्सों को ग्रास लैंड में विकसित करने की योजना है. पलामू टाइगर रिजर्व लगभग 1,115 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, इस हिसाब से करीब 115 वर्ग किलोमीटर में ग्रास लैंड होनी है, लेकिन सिर्फ 10 वर्ग किलोमीटर में ही ग्रास लैंड है. पलामू टाइगर रिजर्व ग्रास लैंड को विकसित करने की योजना तैयार कर रहा है, ताकि टाइगर के लिए बेस तैयार हो सके. पलामू टाइगर रिजर्व के मात्र सात प्रतिशत इलाके में ही ग्रास लैंड है. जिससे वन्य जीवों पर असर पड़ रहा है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथोरिटी के अनुसार टाइगर रिजर्व जितने में फैला हुआ है उसके दस प्रतिशत इलाके में ग्रास लैंड होना चाहिए. पलामू का ये ग्रास लैंड भी टुकड़ों में बंटा हुआ है.
टाइगर कंजर्वेशन प्लान की मध्यावधि समीक्षा की योजना
पलामू टाइगर रिजर्व में ग्रास लैंड को विकसित करने के लिए टाइगर कंजर्वेशन प्लान की मध्यावधि समीक्षा की योजना तैयार की गई है. नेशनल टाइगर टाइगर कंजर्वेशन अथोरिटी (NTCA) ने 2013-14 से 2022-23 तक के लिए टाइगर कंजर्वेशन प्लान तैयार किया है. इसी प्लान के तहत बाघों की संरक्षण को लेकर कार्य होते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या को देखते हुए प्लान की मध्यावधि समीक्षा के लिए कमिटी बनाई गई है. रिटायर आईएफएस सीआर सहाय इसके अध्यक्ष है जबकि कमिटी में केरल के ओपी कलेर, आरसीसीएफ पलामू, डीसी लातेहार और पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक शामिल हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि टाइगर कंजर्वेशन प्लान की समीक्षा कर ग्रास लैंड को विकसित किया जाना है. इसके लिए कमिटी प्रस्ताव तैयार कर वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया और NTCA को भेजेगी.
मध्यावधि समीक्षा के लिए कमिटी के कार्यकाल का होगा विस्तार
NTCA के टाइगर कंजर्वेशन प्लान की मध्यावधि समीक्षा के लिए कमिटी के कार्यकाल के विस्तार किया जाना है. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाना है. कमिटी का कार्यकाल अप्रैल महीने में खत्म हो गया है. ग्रास लैंड को लेकर कमिटी अंतिम मुहर अप्रैल महीने में लगाने वाली थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण कमिटी इस प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगा सकी. अब पलामू टाइगर रिजर्व कमिटी के कार्यकाल के विस्तार को लेकर आलाधिकारी और सरकार को प्रस्ताव भेज रही है.
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रिजर्व में टाइगर्स की घटती संख्या
साल बाघों की संख्या
1974 54
2005 38
2007 17
2009 08
2020 एक भी नहीं
झारखंड के बारे में क्या कहती है रिपोर्ट
ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेट रिपोर्ट-2018
वर्ष बाघों की संख्या
2006 कोई जानकारी नहीं
2010 10
2014 03
2018 05
2020 कोई जानकारी नहीं