पलामू: मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए 344644 पेड़ो की काटने की तैयारी चल रही है. मंडल डैम के लिए जिस इलाके में पेड़ काटा जाना है, वह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व का है. पूरा जंगल सखुआ के पेड़ से ढ़का हुआ है. मामले में जल संसाधन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों से पेड़ काटने के लिए अनुमति मांगी है.
मंडल डैम का निर्माण कार्य 70 के दशक से शुरू हुआ था, लेकिन 1993 से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2019 में मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए परियोजना का शिलान्यास किया था, बावजूद अभी तक मंडल डैम पर काम शुरू नहीं हुआ है.
1000 एकड़ से अधिक में फैला है 344644 लाख पेड़
मंडल डैम के इलाके में जो 344644 पेड़ काटे जाने हैं वे एक हजार एकड़ से भी अधिक में फैले हुए हैं. एक भाग लातेहार में है जबकि दूसरा भाग गढ़वा जिला में है. वन विभाग ने पेड़ काटने के बाद करीब 5000 एकड़ में 15 लाख से भी अधिक में पेड़ लगाने की योजना तैयार की है. पेड़ काटने के मामले में जल संसाधन विभाग और पलामू टाइगर रिजर्व का कोई भी अधिकारी बोलने से बच रहे हैं.
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पेड़ काटने के बाद पलामू का बढ़ेगा तापमान, पर्यावरणविद ने जताई चिंता
मंडल डैम के निर्माण कार्य के लिए लाखों की संख्या में पेड़ काटे जाने के बाद पलामू के तापमान में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है. वन राखी मूवमेंट के प्रणेता सह पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बताते है कि पेड़ काटना महापाप है. पेड़ों के काटने से पलामू का तापमान बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि पेड़ काटना महापाप है. पलामू रेन शैडौ एरिया में है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि पहले 10 गुणा पेड़ लगाए. उसके बाद चिन्हित पेड़ों को काटे. पलामू में गर्मी के दिनों में अधिकतम तापमान 48 तक पंहुच जाता है. पेड़ों के काटने के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी.
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PM के आधारशिला रखे जाने के बावजूद नहीं शुरू हुआ है निर्माण कार्य
मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को पलामू के चियांकि हवाई अड्डा पर आधारशिला रखी थी. लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. निर्माण कार्य की जिम्मेवारी सीओएस नामक कंपनी को मिली है. जिसका अभी तक मंडल डैम के आसपास कार्यालय तक नहीं खुला है.
- मंडल डैम पर 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से काम शुरू हुआ था. उस समय योजना थी कि मंडल डैम उतर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पंहुचे और पलामू और उसके आसपास के जिलों को बिजली मिले.
- पलामू टाइगर रिजर्व के आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गई है. डैम से आधा दर्जन से अधिक गांव डूब जांएगे.
- अविभाजित पलामू में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में कोयल नदी पर मंडल डैम की निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी, जो अब 2391.36 करोड़ की हो गई है.
- 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सल हमले के बाद यह परियोजना का काम ठप हो गया है. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी.