पलामू: झारखंड के लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क में एक हाथी की मौत का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क इलाके में 15 जुलाई को हथिनी की मौत मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि हथिनी के सिर में करीब छह इंच का एक छेद था, जिसमें कीड़े लगे हुए थे.
पर्यावरण संतुलन के लिए लगातार काम करने वाले निर्दलीय विधायक और राज्य के वरिष्ठ नेता सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला में मृत पायी गई हथिनी की मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी. जिसके बाद विभाग मौत के कारणों का पता लगाने में जुटा थी. 15 जुलाई को हथिनी की मौत मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि हथिनी के सिर में करीब छह इंच का एक छेद था, जिसमें कीड़े लगे हुए थे, लेकिन उसमें गोली लगने का कोई भी कार्बनिक सबूत नहीं मिले हैं. हथिनी की मौत पर सवाल उठने के बाद डायरेक्टर वाईके दास ने डीएफओ नार्थ के नेतृत्व में उच्चस्तरीय टीम गठित की है. हथिनी के शव का मेटल डिडेक्टर और कार्बनिक जांच भी हुई, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला.
हाथियों के आपसी लड़ाई का हो सकता है जख्म
पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर वाईके दास ने बताया है कि किसी नुकीली चीज से टकराने या हाथियों के आपसी लड़ाई में हथिनी को चोट लगी होगी, लेकिन पूरी तरह से आश्वस्त होने के लिए जांच टीम गठित की गई है. हाथी जब हथिनी के साथ मिलाप करती है तो कभी-कभी आपसी टकराहट भी होती है. ऐसा संभव है कि हथिनी की ओर से मिलाप का विरोध करने पर टकराव हुई हो. शुरुआत में हथिनी की मौत का कारण निमोनिया बताया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि हथिनी को न्यूरोशॉक हुआ था, जिस कारण उसकी सांस रुक गई थी और दिल ने काम करना बंद कर दिया था. हथिनी की मौत की बड़ी वजह न्यूरोशॉक बताया गया है.