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जंगली जीव के इलाके में पालतू पशुओं का कब्जा, पीटीआर में 1.67 लाख मवेशी हैबिटेट को कर रहे हैं प्रभावित - झारखंड खबर

पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है. ये पालतू पशु जंगली जीवों के चारा को खत्म कर रहे हैं. 1.67 लाख मवेशी चारा के लिए पीटीआर के इलाके में दाखिल होते हैं.

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Published : Oct 11, 2021, 5:08 PM IST

पलामू: जब आप जंगल सफारी का मजा लेना चाहते हैं तो वन्य जीवों को देखना चाहते हैं. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व एक ऐसा इलाका है जहां पालतू पशु जंगलों में आसानी से नजर आ जाएंगे. पलामू टाइगर रिजर्व के हालात यह हैं कि यहां के जंगलों में वन्य जीवों की जगह पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है.

ये भी पढ़ें- पलामू टाइगर रिजर्व में हाई अलर्ट, वन्य जीवों को कोरोना से बचाने उठाए गए कई कदम

2011 के जनगणना के अनुसार पीटीआर के इलाके में 1.67 लाख मवेशी पाए गए थे. पीटीआर के 1029 वर्ग किलोमीटर के दायरे में 197 गांव हैं, इन गांवों में करीब ये सभी मवेशी मौजूद हैं. कोर एरिया जो बाघों के घर हैं उसमें भी तीन गांव हैं. पीटीआर के वन्य जीवों के हैबिटेट को पालतू पशु प्रभावित कर रहे हैं और उसे नुकशान पहुंचा रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
हिरण, चीतल और बायसन के भोजन को खा रहे पालतू पशु

पलामू टाइगर रिजर्व के 10 प्रतिशत से भी कम इलाके में ग्रीन एरिया है. इसी ग्रीन एरिया में घांस हैं, जिससे हिरण, चीतल और बायसन को भोजन मिलता है. इस ग्रीन एरिया में पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है. उन्होंने बताया कि 1.67 लाख मवेशी चारा के लिए पीटीआर के इलाके में दाखिल होते हैं. एक मवेशी 10 किलो चारा खा जाते हैं, जिससे पीटीआर के घांस खत्म हो रहे हैं.

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पलामू टाइगर रिजर्व में हाथी

ये भी पढ़ें- बाघ देखने पर पांच हजार रुपए का इनाम, पीटीआर में मार्च के बाद नहीं दिखा एक भी टाइगर

डीएस श्रीवास्तव भी बताते हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में बड़ी आबादी रहती है. यह आबादी जलावन और अन्य चीज के लिए जंगलों पर निर्भर है. एक अनुमान के मुताबिक प्रति घर हर महीने 30 किलो लकड़ी की खपत कर रहा है. यह लकड़ी पीटीआर के इलाके से ही ली जाती है. उन्होंने बताया कि जिस पानी में भैंस चला जाता है उस पानी को जंगली जीव नहीं पीते हैं. कानूनों में बदलाव से भी मवेशियों की संख्या बढ़ी है, लोग जंगलों में मवेशी को छोड़ दे रहे हैं.

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पलामू टाइगर रिजर्व में पालतू पशु
मवेशियों के रोकथाम के लिए इको विकास समिति की ली जाएगी मदद

पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में मवेशियों के रोकथाम के लिए इको विकास समिति की मदद ली जाएगी. इको विकास समिति के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. कुमार आशुतोष बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में मवेशियों का प्रवेश वन्यजीवों के हैबिटेट को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने बताया कि आगे और कई सख्त कदम उठाए जाने की योजना है. वन्यजीवों को बचाना लक्ष्य है.

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पलामू टाइगर रिजर्व

पलामू: जब आप जंगल सफारी का मजा लेना चाहते हैं तो वन्य जीवों को देखना चाहते हैं. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व एक ऐसा इलाका है जहां पालतू पशु जंगलों में आसानी से नजर आ जाएंगे. पलामू टाइगर रिजर्व के हालात यह हैं कि यहां के जंगलों में वन्य जीवों की जगह पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है.

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2011 के जनगणना के अनुसार पीटीआर के इलाके में 1.67 लाख मवेशी पाए गए थे. पीटीआर के 1029 वर्ग किलोमीटर के दायरे में 197 गांव हैं, इन गांवों में करीब ये सभी मवेशी मौजूद हैं. कोर एरिया जो बाघों के घर हैं उसमें भी तीन गांव हैं. पीटीआर के वन्य जीवों के हैबिटेट को पालतू पशु प्रभावित कर रहे हैं और उसे नुकशान पहुंचा रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
हिरण, चीतल और बायसन के भोजन को खा रहे पालतू पशु

पलामू टाइगर रिजर्व के 10 प्रतिशत से भी कम इलाके में ग्रीन एरिया है. इसी ग्रीन एरिया में घांस हैं, जिससे हिरण, चीतल और बायसन को भोजन मिलता है. इस ग्रीन एरिया में पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में पालतू पशुओं का कब्जा हो गया है. उन्होंने बताया कि 1.67 लाख मवेशी चारा के लिए पीटीआर के इलाके में दाखिल होते हैं. एक मवेशी 10 किलो चारा खा जाते हैं, जिससे पीटीआर के घांस खत्म हो रहे हैं.

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पलामू टाइगर रिजर्व में हाथी

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डीएस श्रीवास्तव भी बताते हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में बड़ी आबादी रहती है. यह आबादी जलावन और अन्य चीज के लिए जंगलों पर निर्भर है. एक अनुमान के मुताबिक प्रति घर हर महीने 30 किलो लकड़ी की खपत कर रहा है. यह लकड़ी पीटीआर के इलाके से ही ली जाती है. उन्होंने बताया कि जिस पानी में भैंस चला जाता है उस पानी को जंगली जीव नहीं पीते हैं. कानूनों में बदलाव से भी मवेशियों की संख्या बढ़ी है, लोग जंगलों में मवेशी को छोड़ दे रहे हैं.

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पलामू टाइगर रिजर्व में पालतू पशु
मवेशियों के रोकथाम के लिए इको विकास समिति की ली जाएगी मदद

पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में मवेशियों के रोकथाम के लिए इको विकास समिति की मदद ली जाएगी. इको विकास समिति के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. कुमार आशुतोष बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में मवेशियों का प्रवेश वन्यजीवों के हैबिटेट को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने बताया कि आगे और कई सख्त कदम उठाए जाने की योजना है. वन्यजीवों को बचाना लक्ष्य है.

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पलामू टाइगर रिजर्व
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