पलामूः वह इलाका जहां से ट्रेन गुजरने पर बंद कर दिए जाते हैं ट्रेन के दरवाजे और खिड़कियां. साथ ही ट्रेन की बोगी की लाइट भी बंद कर दी जाती है. यह इलाका है धनबाद रेल डिवीजन के पलामू प्रमंडल का. शनिवार की रात इसी इलाके में संबलपुर-जम्मूतवी एक्सप्रेस में डकैती की घटना हुई थी. एक लंबे अरसे के बाद यह इलाका डकैती की घटना के बाद फिर से चर्चा में आया है, लेकिन इसके बावजूद यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में मौजूद जवान हथियार लेकर नहीं चलते हैं. अंतिम बार इस इलाके में 2014-15 में एक्सप्रेस ट्रेन में डकैती हुई थी.
टोरी-डालटनगंज रेलखंड से प्रतिदिन गुजरती हैं 36 ट्रेनेंः बताते चलें कि लातेहार के टोरी रेलवे स्टेशन से पलामू के डालटनगंज रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी करीब 100 किलोमीटर है. यह 100 किलोमीटर का दायरा नक्सलियों का रेड कॉरिडोर माना जाता है. इस कॉरिडोर से प्रतिदिन राजधानी एक्सप्रेस, गरीब रथ समेत 36 एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें गुजरती हैं. वर्ष 2007-08 के बाद से इस कॉरिडोर में नक्सली और डकैतों के कारण एहतियात बरती जा रही है. इस कॉरिडोर से गुजरने पर ट्रेनों की खिड़की और दरवाजे को बंद कर दिया जाता है, लेकिन ड्यूटी पर तैनात जवानों को हथियार नहीं दिया जाता है.
नक्सल क्षेत्र होने के बावजूद स्कॉट पार्टी के पास हथियार नहींः रेलवे के इस कॉरिडोर पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भकपा माओवादी कमजोर हो गए हैं. पिछले पांच वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो दो बार नक्सलियों के कारण रेल प्रभावित हुआ है. वहीं 2015-16 के बाद डकैती हुई है. नक्सलियों का प्रभाव कम होने के बाद भी इस कॉरिडोर पर जवानों को हथियार नहीं दिए जा रहे हैं. स्कॉट ड्यूटी पर तैनात जवान मजबूरी में लाठी के बल यात्रियों को सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं. ट्रेन जैसे ही टोरी से खुलती है ट्रेनों के खिड़की-दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं.
यात्रियों को जागरूक रहने की जरूरतः रेलवे के रिटायर ट्रैफिक इंस्पेक्टर अरविंद कुमार सिन्हा ने बताया कि यात्रियों को भी जागरूक करने की जरूरत है. बॉगी में किसी भी संदिग्ध को देखने पर यात्री रेल अधिकारी को सूचना दे सकते हैं या चेन पुलिंग कर सकते हैं. आंकड़ों की बात करें तो 2008-09 के बाद टोरी से डालटनगंज रेलवे स्टेशन के बीच चार दर्जन से अधिक बार नक्सली और आपराधिक घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं में आधा दर्जन से अधिक रेल कर्मियों की जान गई है, जबकि कई लोगों का अपहरण हो चुका है.