पलामू: 2022 में पलामू संपूर्ण सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया था. 2023 में भी पलामू के हालात अच्छे नहीं है. पलामू में धान की रोपनी लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. कृषि विभाग के आकंड़ों पर गौर करें तो पलामू में फिलहाल 1.23 प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है. जबकि बारिश भी 80 प्रतिशत कम हुई है.
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2023 में पलामू में 51 हजार हेक्टयर धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया था लेकिन 625 एकड़ में ही धान को रोपनी हुई है. 15 अगस्त तक धान रोपनी के लक्ष्य को पूरा करने का टारगेट रखा गया है. कृषि विभाग का यह आंकड़ा 8 अगस्त तक का है. पलामू के हैदरनगर के रहने वाले किसान अवधेश यादव ने बताया कि भूखे मरने की नौबत है. पिछले वर्ष भी धान की रोपनी नहीं हुई थी, इस बार भी वही स्थिति बनी हुई है.
वहीं, किसान बिरजू यादव ने बताया कि बारिश से अब कोई उम्मीद नहीं बची है. उनका करीब 95 एकड़ धान का खेत है जिसमें से मात्र दो एकड़ में ही धान की रोपनी हुई है. जिस दो एकड़ में खेती की गई है उसके लिए भी सिंचाई का संकट है.
पलामू में फसलों की स्थिति और लक्ष्य: पलामू में धान की रोपनी का लक्ष्य 51 हजार हेक्टर, लेकिन मात्र 625 हेक्टेयर में हुई रोपनी. मक्का 2750 हेक्टेयर का लक्ष्य 15752 हेक्टेयर में हुआ अच्छादन, अरहर 34000 हेक्टेयर की जगह 15850, उरद 1300 की जगह 2064, मूंग 1500 की जगह 23, कुल्थी 2000 की जगह 21, मूंगफली 1500 की जगह 532, तिल 600 की जगह 310, सोयाबीन 100 को जगह 0, सूर्यमुखी 50 की जगह 0, सरगुजा 97 की जगह 0, ज्वार 150 की जगह 3, बाजरा 60 की जगह 1 , मडुआ 3000 की जगह 335 हेक्टेयर में हुई है.