पलामूः उत्तर कोयल नहर परियोजना का काम पिछले कुछ महीनों से बंद हो गया है. नहर परियोजना का काम बंद होने से बिहार और झारखंड के हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई का संकट आ गया है. दोनों राज्यों के किसान को रबी फसल के लिए भी पानी नहीं मिल पाई है. आने वाले वक्त में खरीफ फसल के लिए भी किसानों को चिंता सताने लगी है. यह भी चर्चित मंडल डैम का हिस्सा है.
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2019-20 में उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत मोहम्मदगंज भीम बराज से बिहार के गया के आमस तक नहर की मरम्मत और लाइनिंग करने की योजना थी. इस पूरे कार्य को वेबकॉस नामक कंपनी को आवंटित किया गया था. मगर कंपनी ने कुछ महीने बाद ही काम को बंद कर दिया. हुसैनाबाद के किसान गुड्डू सिंह बताते हैं कि रबी फसल के लिए भी पानी नहीं मिला था, आने वाले वक्त में खरीफ फसल पर संकट है. कई जगह नहर का गेट टूटा हुआ है, काम कब शुरू होगा किसी को कोई जानकारी नहीं है.
30 महीने में काम पूरा करने का था लक्ष्य, बीत गए 40 महीनेः इस परियोजना के तहत मरम्मत और लाइनिंग का काम 30 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. जनवरी 2019 में मंडल डैम के अधूरे कार्य को पूरा करने के आधारशिला रखने के दौरान इस परियोजना की शुरुआत हुई थी. 30 महीने में ही योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. परियोजना को पूरा करने के लिए झारखंड और बिहार सरकार की अंशदान भी इसमें शामिल थे.
इस परियोजना की लागत करीब 500 करोड़ रुपये थी. हुसैनाबाद के पूर्व विधायक सह राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार सिंह यादव बताते हैं कि यह परियोजना कब पूरी होगी, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है, इलाके में सिंचाई पर संकट है. उन्होंने बताया कि इस परियोजना में केंद्र सरकार की अहम भूमिका है, अधिकारी भी इस मामले में कुछ नहीं बता पाते हैं. ऐसे में दोनों राज्यों के किसानों के सामने खेतों की सिंचाई को लेकर सशंकित हैं.
इस नहर परियोजना को लेकर प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने बताया कि पूरे मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारियों को बुलाकर जानकारी ली जाएगी. किसानों को खेतों तक पानी पहुंचना बेहद है, किन कारणों से काम बंद है उसकी समीक्षा कर काम जल्द शुरू किया जाएगा. उत्तर कोयल नहर परियोजना से पलामू के हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, जबकि बिहार के औरंगाबाद जिला के नबीनगर, टंडवा, अंबा, कुटुंबा, देव और गया के आमस के इलाके के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचती है. इस परियोजना से झारखंड और बिहार में 11 लाख 15 हजार 521 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी.