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पलामू: लॉकडाउन में घुमंतू पशुपालकों का बुरा हाल, घर जाने के लिए निकल पड़े हैं पैदल

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन का दौर चल रहा है. ऐसे में घुमंतू पशुपालकों का बुरा हाल है. सभी अपने घर के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. घुमंतू पशुपालकों ने बताया कि कई जगह उन्हें क्वॉरेंटाइन भी किया गया है.

nomadic cattlemen faces many problems due to lockdown
लॉकडाउन में घुमंतू पशुपालकों का बूरा हाल
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Published : Apr 20, 2020, 11:11 AM IST

पलामू: लॉकडाउन का प्रभाव घुमंतू पशुपालकों पर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है. उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कई जगह क्वॉरेंटाइन में उनको रखा गया. उस दौरान उन्हें तो भोजन मिल रहा है लेकिन उनके पशुओं के लिए भोजन नहीं मिल पा रहा है.

लॉकडाउन में घुमंतू पशुपालकों का बूरा हाल

बता दें कि घुमंतू पशुपालकों का कहना है कि क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरा करने के बाद एक बार फिर अपने घर की ओर रवाना हो गए हैं. पशुपालक ने बताया कि वे उतर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं. पशुपालक राजकुमार मिश्रा ने बताया कि करीब चार महीने पहले बंगाल के लिए अपने ऊंट के साथ रवाना हुए थे. वे ऊंट के करतब दिखा कर पैसे कमाते हैं. उन्होंने बताया कि अगले दो महीने बंगाल में रहते लेकिन कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई.

ये भी पढ़ें- पलामू में 4547 लोगों ने क्वॉरंटाइन की अवधि को किया पूरा, अब तक 340 लोगों का हुआ टेस्ट

राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जैसे ही बंगाल से झारखंड की सीमा में दाखिल हुए, उन्हें जमशेदपुर में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. इस दौरान उन्हें तो खाना मिला लेकिन उनके ऊंट के लिए समस्या उत्पन्न हो गई. राजकुमार बताते हैं कि लोहरदगा के कुडू में रात में एक जगह उनके साथ मारपीट हुई और उनके राशन को लूट लिया गया, लेकिन कई लोगों ने रास्ते में मदद भी किया है और भोजन और पैसे भी दिए हैं. उन्होंने बताया कि कई घुमंतू पशुपालक राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र तक के लिए रवाना हुए हैं.

पलामू: लॉकडाउन का प्रभाव घुमंतू पशुपालकों पर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है. उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कई जगह क्वॉरेंटाइन में उनको रखा गया. उस दौरान उन्हें तो भोजन मिल रहा है लेकिन उनके पशुओं के लिए भोजन नहीं मिल पा रहा है.

लॉकडाउन में घुमंतू पशुपालकों का बूरा हाल

बता दें कि घुमंतू पशुपालकों का कहना है कि क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरा करने के बाद एक बार फिर अपने घर की ओर रवाना हो गए हैं. पशुपालक ने बताया कि वे उतर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं. पशुपालक राजकुमार मिश्रा ने बताया कि करीब चार महीने पहले बंगाल के लिए अपने ऊंट के साथ रवाना हुए थे. वे ऊंट के करतब दिखा कर पैसे कमाते हैं. उन्होंने बताया कि अगले दो महीने बंगाल में रहते लेकिन कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई.

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राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जैसे ही बंगाल से झारखंड की सीमा में दाखिल हुए, उन्हें जमशेदपुर में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. इस दौरान उन्हें तो खाना मिला लेकिन उनके ऊंट के लिए समस्या उत्पन्न हो गई. राजकुमार बताते हैं कि लोहरदगा के कुडू में रात में एक जगह उनके साथ मारपीट हुई और उनके राशन को लूट लिया गया, लेकिन कई लोगों ने रास्ते में मदद भी किया है और भोजन और पैसे भी दिए हैं. उन्होंने बताया कि कई घुमंतू पशुपालक राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र तक के लिए रवाना हुए हैं.

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