पलामूः 17 फरवरी 2009 को जब पलामू में जब नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी, तब ऐसा लगा था कि यहां के छात्रों को ऊंची शिक्षा के लिए बाहर पलायन नहीं करना पड़ेगा. नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी छात्रों के पलायन को तो नहीं रोक पाई, ना ही अपने आधारभूत संरचनाओं का विकास कर पाई. यूनिवर्सिटी का अभी तक अपना प्रशासनिक भवन भी नहीं है. प्रशासनिक भवन तक किराए के भवन में चल रहे हैं. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले करीब 40 हजार छात्रों का भविष्य घंटी आधारित शिक्षकों के भरोसे है. यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक पद कुलपति और प्रति कुलपति को छोड़ दिया जाए तो एक भी प्रोफेसर नहीं है जबकि 3 एसोसिएट प्रोफेसर हैं और 25 के करीब असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.
छात्र डिग्री के लिए एनपीयू पर निर्भर
नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 17 डिग्री कॉलेज हैं. इसके अंतर्गत ही मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज, बीएड कॉलेज है. पलामू, गढ़वा और लातेहार के छात्र डिग्री के लिए एनपीयू पर ही निर्भर है, पर छात्रों की पढ़ाई घंटी आधारित शिक्षक ही करवा रहे हैं. लातेहार, गढ़वा के कॉलेजों में घंटी आधारित शिक्षक भी नहीं है. घंटी आधारित शिक्षकों ने कहा कि उनके मानदेय का भुगतान प्रति क्लास के आधार पर होता है. कॉलेज के टॉपर छात्र को ही साक्षात्कार के बाद घंटी आधारित शिक्षक के पद पर रखा जाता है. छात्र नेता अभिषेक तिवारी बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में शिक्षक हक शिक्षकेतर कर्मचारियों की बहुत ही अधिक कमी है, जिससे छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छात्र सौरभ कुमार बताते हैं कि यह उदासीनता है कि छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. सन्नी शुक्ला का साफ कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई प्रभावित हुई है.
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JPSC को भेजी गई है नियुक्ति के लिए जानकारी
नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी के कुलपति राम लखन सिंह बताते हैं कि यह सच्चाई है कि घंटी आधारित शिक्षकों के बदौलत छात्रों की पढ़ाई हो रही है. एनपीयू का भी वही हाल है जो राज्य के अन्य यूनिवर्सिटी का है. कुलपति बताते हैं कि यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के नियुक्ति की जानकारी जेपीएससी को दी गई है. छात्रों की पढ़ाई में सुविधा के लिए यूजीसी के मापदंड के आधार पर घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है. नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी में 22 प्रोफेसर, 44 एसोसिएट प्रोफेसर जबकि 86 असिस्टेंट प्रोफेसर का पद है.