पलामू: जिले में सुरक्षाबलों के अभियान के बाद नक्सली संगठनों को लेवी मिलना काफी कम हो गया है. नतीजतन कई नक्सल संगठन खात्मे के कगार पर पहुंच गए हैं. इधर, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी), झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) जैसे नक्सल संगठन पलामू, चतरा, लातेहार और रांची के सीमावर्ती इलाके को अब अपना कॉरिडोर बनाना चाहते हैं. हाल के दिनों में चतरा के लावालौंग में मुठभेड़ की घटना इसी कॉरिडोर का हिस्सा हैं. माओवादी अब छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ को छोड़ इसी इलाके को अपना नया ठिकाना बनाना चाहते हैं.
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नया ठिकाना बनाने में जुटे नक्सलीः बताते चलें कि पलामू, चतरा, लातेहार और रांची से सटे सीमावर्ती इलाका नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी का प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है. तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी और जेजेएमपी के कमजोर होने के बाद माओवादी भी इसी इलाके को अपना ठिकाना बनाना चाहते हैं. पिछले छह महीने से तीनों नक्सल संगठनों ने इलाके में अपनी गतिविधि शुरू की थी.
इलाके में करोड़ों का है कोयला का कारोबार: बताते चलें कि लातेहार के बालूमाथ, चंदवा, चतरा के टंडवा और रांची के सीमावर्ती इलाके में करोड़ों रुपए का कोयला का कारोबार होता है. सीसीएल का मगध कोल परियोजना भी इसी इलाके में है. जबकि पलामू के पांकी के इलाके में बीड़ी पता का कारोबार होता है.
इलाके से नक्सली संगठन सालाना 12 से 15 करोड़ की लेवी वसूलते हैंः पूर्व में गिरफ्तार और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस अधिकारियों को पूछताछ में बताया कि इलाके से सालाना नक्सल संगठन 12 से 15 करोड़ की लेवी वसूलते हैं. नक्सल संगठन कोयला के ट्रांसपोर्ट के कारोबारियों से लेवी वसूलते हैं. 2004-05 के बाद से इलाके में तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी ही इलाके से सबसे अधिक लेवी वसूलती थी. उसके कमजोर होने के बाद माओवादियों ने इस इलाके में अपनी पकड़ बना ली.
पुलिस ने इलाके के लिए खास रणिनीति तैयार की, शुरू हुआ अभियान: इस संबंध में एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने बताया कि यह इलाका नक्सल संगठनों के लिए शुरू से सॉफ्ट टारगेट रहा है. इस इलाके में कई स्तर पर नक्सली और अपराधियों खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. नतीजतन नक्सल संगठन कमजोर होते जा रहे हैं और अपराधियों पर नकेल कसी जा रही है. उन्होंने बताया कि इलाके में आर्थिक अपराध को रोकने के लिए एनआईए समेत कई सुरक्षा एजेंसियां काम कर रही हैं. नक्सल संगठन के अपराधियों के खिलाफ यूएपीए के धाराओं में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है.