पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी (टीएसपीसी) बिहार के इलाके को अपना नया ठिकाना बना रहा है. पलामू से सटे बिहार के गया के इलाके में टीएसपीसी लगातार अपने ठिकाने को बनाए हुए है. दरअसल, कुछ महीने पहले चतरा के इलाके में टीएसपीसी की बड़ी बैठक हुई थी. इसी बैठक में टीएसपीसी ने अपने कई कमांडर के प्रभाव वाले इलाके को बदल दिया है. इसी बैठक में टीएसपीसी ने कई इलाकों में प्रभाव बढ़ाने की योजना तैयार की थी.
बिहार के इलाके में टीएसपीसी की कमान 10 लाख के इनामी नक्सली कमांडर शशिकांत गंझू को दी गई है. शशिकांत गंझू पलामू के मनातू का रहने वाला है और लंबे समय से पलामू के इलाके में टीएसपीसी की कमान को संभाले हुए था. शशिकांत को अब चतरा, पलामू और बिहार के गया के सीमावर्ती इलाके की जिम्मेवारी दी गई है.
माओवादी से मुक्त हुए इलाके में पैठ जमाने की कोशिश: 2023 में झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों की स्थिति बेहद ही कमजोर हुई है. उनके दस्ते का सफाया हुआ है. माओवादी के प्रभाव वाले इलाके में टीएसपीसी अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की भी जानकारी मिली है कि टीएसपीसी और माओवादी में नजदीकी बढ़ी है.
बिहार के इलाके में माओवादी और टीएसपीसी एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. टॉप माओवादी कमांडर 10 लाख के इनामी सुनील विवेक और शशिकांत गंझू के बीच नजदीकी बढ़ी है. दोनो एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. पूर्व टीएसपीसी कमांडर दिनेश गंझू ने बताया कि झारखंड में संगठन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है, जिस कारण कमजोर हुआ है. बिहार के इलाके में पैठ जमाने की कोशिश की जानकारी उन तक नही पहुंची है. पहले भी कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी.
पोस्ता और बीड़ी पता के कारोबार पर कब्जा जमाना चाहता है टीएसपीसी: झारखंड बिहार सीमा पर टीएसपीसी पोस्ता और बीड़ी पता के कारोबार पर अपना कब्जा जमाना चाहता है. दोनों से करोड़ों रुपए की लेवी मिलती है. इसी लेवी को लेकर माओवादी और टीएसपीसी के बीच 2007 से 2018-19 के बीच दर्जनों बार मुठभेड़ हुई है. इस मुठभेड़ में दोनों तरफ से 70 से भी अधिक कमांडर मारे गए हैं. 2005-06 में माओवादियो से अलग हो कर टीएसपीसी का गठन हुआ था. इसका प्रभाव क्षेत्र पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, रांची, हजारीबाग, चतरा, रामगढ़ के इलाके में रहा है. अब इसका प्रभाव क्षेत्र पलामू, चतरा और लातेहार के सीमावर्ती इलाके में सिमट कर रह गया है.
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