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Naxalite Encounter Updates: जमीन, जनाधार और जातीय समीकरण नहीं बचा पाए माओवादी, आत्मसमर्पण करने वाले नवीन यादव ने किया खुलासा

झारखंड पुलिस की दबिश के कारण नक्सली अपनी जमीन, जनाधार और समीकरण को नहीं बचा पाए हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली नवीन यादव ने सुरक्षाबलों के सामने कई खुलासे किए हैं.

Naxalite Encounter Updates
फाइल फोटो
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Published : Apr 3, 2023, 4:04 PM IST

पलामू: जमीन, जनाधार और जातीय समीकरण को माओवादी बचा नहीं पाए. बिहार के छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर के ध्वस्त होने के बाद माओवादी कमांडर कुछ खास इलाकों में अपना प्रभाव दिखाना चाहते थे. पलामू-चतरा सीमा पर माओवादियों के मारे जाने के बाद कई बातों का खुलासा हुआ है. माओवादियों की जमीन, जनाधार और जातीय समीकरण कमजोर होने के बाद उनका सफाया हो रहा.

ये भी पढ़ें- Jharkhand News: एनकाउंटर में मारा गया माओवादियों का टेक्निकल एक्सपर्ट अजित, बना रहा था इम्प्रोवाइज मिसाइल

दरअसल, कुछ महीने पहले माओवादियों के टॉप कमांडर 25 लाख के इनामी नवीन यादव ने आत्मसमर्पण किया था. नवीन यादव झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ापहाड़ का टॉप कमांडर था. बूढ़ापहाड़ पर ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाए जाने के बाद वह पलामू, चतरा और लातेहार सीमावर्ती क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है. आत्मसमर्पण करने के बाद नवीन यादव ने सुरक्षाबलों को बताया है कि गौतम पासवान अजीत उर्फ चार्लीस ने उसे ऐसा करने से मना किया था. नवीन यादव ने सुरक्षाबलों को बताया था कि संदीप यादव की मौत के बाद कुछ खास जातीय समीकरण के कमांडरों को अलग कर दिया गया.

इलाके में माओवादी खड़ा करना चाहते थे नया दस्ता: पलामू, चतरा और लातेहार का सीमावर्ती क्षेत्र माओवादियों के मध्यजोन और कोयल शंख जोन के साथ साथ बूढ़ापहाड़ एवं छकरबंधा कॉरिडोर का हिस्सा है. बूढ़ापहाड़ और सारंडा अभियान के लिए इलाके में कुछ सुरक्षा बलों ने कई कैंपों को खाली करवाया था. माओवादी इसी का फायदा उठाना चाहते थे. माओवादी के साथ साथ इलाके में टीएसपीसी और जेजेएमपी जैसे नक्सल संगठन इलाके में पकड़ को मजबूत बनाना चाहते है.

नवीन यादव के खुलासे के बाद इलाके के लिए सुरक्षाबलों ने एक नई योजना को तैयार की थी. नवीन यादव ने इस संबंध में सुरक्षाबल और पुलिस को कई अहम जानकारी उपलब्ध करवाई थी. इस इलाके में एक दर्जन से भी अधिक सुरक्षाबलों के कैंप मौजूद हैं. नवीन यादव ने सुरक्षाबलों को जमीन जनाधार जातीय समीकरण के बारे में कई जानकारियां उपलब्ध करवाई थी.

पलामू: जमीन, जनाधार और जातीय समीकरण को माओवादी बचा नहीं पाए. बिहार के छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर के ध्वस्त होने के बाद माओवादी कमांडर कुछ खास इलाकों में अपना प्रभाव दिखाना चाहते थे. पलामू-चतरा सीमा पर माओवादियों के मारे जाने के बाद कई बातों का खुलासा हुआ है. माओवादियों की जमीन, जनाधार और जातीय समीकरण कमजोर होने के बाद उनका सफाया हो रहा.

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दरअसल, कुछ महीने पहले माओवादियों के टॉप कमांडर 25 लाख के इनामी नवीन यादव ने आत्मसमर्पण किया था. नवीन यादव झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ापहाड़ का टॉप कमांडर था. बूढ़ापहाड़ पर ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाए जाने के बाद वह पलामू, चतरा और लातेहार सीमावर्ती क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है. आत्मसमर्पण करने के बाद नवीन यादव ने सुरक्षाबलों को बताया है कि गौतम पासवान अजीत उर्फ चार्लीस ने उसे ऐसा करने से मना किया था. नवीन यादव ने सुरक्षाबलों को बताया था कि संदीप यादव की मौत के बाद कुछ खास जातीय समीकरण के कमांडरों को अलग कर दिया गया.

इलाके में माओवादी खड़ा करना चाहते थे नया दस्ता: पलामू, चतरा और लातेहार का सीमावर्ती क्षेत्र माओवादियों के मध्यजोन और कोयल शंख जोन के साथ साथ बूढ़ापहाड़ एवं छकरबंधा कॉरिडोर का हिस्सा है. बूढ़ापहाड़ और सारंडा अभियान के लिए इलाके में कुछ सुरक्षा बलों ने कई कैंपों को खाली करवाया था. माओवादी इसी का फायदा उठाना चाहते थे. माओवादी के साथ साथ इलाके में टीएसपीसी और जेजेएमपी जैसे नक्सल संगठन इलाके में पकड़ को मजबूत बनाना चाहते है.

नवीन यादव के खुलासे के बाद इलाके के लिए सुरक्षाबलों ने एक नई योजना को तैयार की थी. नवीन यादव ने इस संबंध में सुरक्षाबल और पुलिस को कई अहम जानकारी उपलब्ध करवाई थी. इस इलाके में एक दर्जन से भी अधिक सुरक्षाबलों के कैंप मौजूद हैं. नवीन यादव ने सुरक्षाबलों को जमीन जनाधार जातीय समीकरण के बारे में कई जानकारियां उपलब्ध करवाई थी.

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