पलामूः शराब की वजह से अपने ही अड्डे पर कुख्यात नक्सली महेश भुइयां पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. शराब की लत कुख्यात नक्सली महेश भुइयां को मौत के पास खींच कर लाई. महेश जिस जगह पर अपने साथियों के पास बैठ कर शराब पीता था, उसी जगह पर मारा गया.
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महेश भुइयां पलामू और गढ़वा के सीमावर्ती गांव का रहने वाला था और करीब पांच वर्षों से प्रतिबंधित नक्सली संगठन जेजेएमपी में सक्रिय था. पलामू पुलिस ने महेश भुइयां पर पांच लाख का इनाम का प्रस्ताव सरकार को भेजा था. महेश का आतंक पलामू के चैनपुर, रामगढ़, लातेहार के बरवाडीह और गढ़वा के रमकंडा, रंका भंडरिया के इलाके में था. तीनों जिलों में महेश पर हत्या, अपहरण, रंगदारी पुलिस पर हमला करने के एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज है, महेश भुइयां ने दो शादियां की थी, एक पत्नी गढ़वा में जबकि दूसरा गांव में रहती है.
शराब पीने के लिए सुरक्षित मांद में पंहुचा था महेश, सुरक्षित मांद में मारा गया
महेश भुइयां अपने सबसे सुरक्षित ठिकाना रामगढ़ थाना क्षेत्र के चोरहट में शराब पीने के लिए पंहुचा था. उस दौरान उसके साथ 10 से 12 सदस्य थे. चोरहट में नदी के पास दस्ता रुका हुआ था. महेश दस्ते से अलग हो कर करीब 100 मीटर के शराब पीने के लिए गया था. इसी क्रम में पुलिस खोजती हुई वहां पंहुची थी. JJMP के दस्ता ने पुलिस को देखते ही फायरिंग शुरू कर दिया, महेश ने भी अपने रेग्यूलर रायफल से फायरिंग की. लेकिन पुलिस की गोली उसके शरीर मे चार जगहों पर लगी, एक गोली शरीर के आर पार हो गई, महेश ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, उसने करीब आधा दर्जन गोली अपने पॉकेट में रखी थी.
महेश के नेतृत्व में ही जेजेएमपी का दस्ता था सक्रिय
महेश भुइयां के नेतृत्व में प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय था, हाल के दिनों में पलामू पुलिस ने कई जेजेएमपी के नक्सली को गिरफ्तार किया था. महेश भुइयां पलामू पुलिस के लिए सिरदर्द बनता जा रहा था. डेढ़ वर्ष पहले जगुआर के इलाके में जगुआर के साथ महेश भुइयां की मुठभेड़ हुई थी, इस मुठभेड़ में महेश बच कर निकल गया था. लेकिन पुलिस को भारी मात्रा में हथियार मिला था.
एक वर्ष पहले चोरहट में पुलिस ने लगाया था जनता दरबार
चोरहट में जिस स्थान पर महेश भुइयां मारा गया है उससे करीब 300 मीटर की दूरी पर पुलिस ने फरवरी 2020 में जनता दरबार का आयोजन किया था. जनता दरबार में पुलिस ने खुलकर आम लोगों से अपील किया था कि वह नक्सलियों से नहीं डरे. जनता दरबार में ग्रामीणों ने महेश भुइयां की शिकायत पुलिस से की थी, करीब एक वर्ष के बाद चोरहट में महेश भुइयां मारा गया.