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लॉकडाउन में सहारा बनी मनरेगा में घटने लगे मजदूर, पिछले 6 महीने में सिर्फ 10 हजार मजदूरों की संख्या बढ़ी - पलामू में मनरेगा में घटने लगी मजदूरों की संख्या

लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके जिले में मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया. इसी क्रम में पलामू जिले में मनरेगा के तहत 4 हजार योजनाओं पर काम शुरू किया गया था, लेकिन अब 8 हजार योजनाओं पर काम चल रहा है. योजनाएं तो बढ़ीं लेकिन काम मांगने वाले मजदूरों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई.

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लॉकडाउन में सहारा बनी मनरेगा में घटने लगी मजदूरों की संख्या
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Published : Dec 29, 2020, 7:27 PM IST

Updated : Jan 1, 2021, 4:04 PM IST

पलामूः कोरोना काल में सहारा बने मनरेगा में अब मजदूरों की संख्या घटने लगी है. जून तक जिले में 39686 मजदूरों ने काम मांगा था. जबकि दिसंबर तक 49157 मजदूरों ने ही काम मांगा है. कोरोना काल में पलामू के सभी 1871 गांवों में मनरेगा की योजना शुरू हुई थी. पलामू में मनरेगा के तहत अब तक 16 लाख मानव दिवस सृजित हुए हैं. कोरोना काल के बाद पलामू में मजदूरों और प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध करवाना बड़ी चुनौती थी. रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मनरेगा के तहत 4 हजार योजनाओं पर काम शुरू किया गया था, लेकिन जिले में अब 8 हजार से अधिक योजना पर काम किया जा रहा है. योजना बढ़ी, लेकिन उस अनुपात में मजदूर नहीं बढ़े. पलामू में मनरेगा के तहत बागवानी, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना पर काम शुरू किया गया. वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना के तहत हर पंचायत में एक खेल के मैदान को विकसित किया जाना है.

देखें पूरी खबर

लॉकडाउन में मिली छूट के बाद पलायन शुरू
लॉकडाउन की शुरुआत में मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया. हालांकि लॉकडाउन में मिली छूट के बाद मजदूर वापस पलायन कर गए. पलामू में 2.22 लाख मनरेगा के निबंधित मजदूर हैं, जबकि 53 हजार प्रवासी मजदूर हैं. करीब 10 से 15 हजार प्रवासियों के पास मनरेगा का जॉब कार्ड है. लॉकडाउन में मिली छूट के बाद काम मांगने वालों की संख्या घट गई. जून के बाद छह महीनों में सिर्फ 10 हजार मजदूर ही काम मांगने के लिए सामने आए. पलामू के हैदरनगर प्रखंड में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों ने मनरेगा में काम किया है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने काम मांगा उन्हें नहीं मिला. हैदरनगर के जयराम बताते है कि शुरुआत में उन्होंने काम किया था, लेकिन अभी उन्हें नहीं मिला है, जैसे तैसे परिवार चल रहा है. मजदूर राजेंद्र शर्मा ने बताया कि काम नहीं मिल रहा है. मजदूर रोशन खान मनरेगा के कार्यों से खुश हैं. मनरेगा मजदूरों को काफी फायदा हुआ है.


इसे भी पढ़ें- पुलिस की बड़ी लापरवाही: पुजारी का हत्यारा जेल गेट से फरार, पुलिस कर्मियों में हड़कंप

मनरेगा के लिए कई योजना तैयार
लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के तहत बागवानी, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना पर काम शुरू किया गया, लेकिन अब नई योजना शुरू की जानी है. पलामू डीसी शशि रंजन ने कहा कि मनरेगा से मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ-साथ अब पानी को संरक्षित करने से जोड़ा जाएगा. बरसात से पहले तक की योजना तैयार की गई है. वितीय वर्ष 2020-21 में पलामू जिला को 122 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें अब तक 115 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

पलामूः कोरोना काल में सहारा बने मनरेगा में अब मजदूरों की संख्या घटने लगी है. जून तक जिले में 39686 मजदूरों ने काम मांगा था. जबकि दिसंबर तक 49157 मजदूरों ने ही काम मांगा है. कोरोना काल में पलामू के सभी 1871 गांवों में मनरेगा की योजना शुरू हुई थी. पलामू में मनरेगा के तहत अब तक 16 लाख मानव दिवस सृजित हुए हैं. कोरोना काल के बाद पलामू में मजदूरों और प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध करवाना बड़ी चुनौती थी. रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मनरेगा के तहत 4 हजार योजनाओं पर काम शुरू किया गया था, लेकिन जिले में अब 8 हजार से अधिक योजना पर काम किया जा रहा है. योजना बढ़ी, लेकिन उस अनुपात में मजदूर नहीं बढ़े. पलामू में मनरेगा के तहत बागवानी, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना पर काम शुरू किया गया. वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना के तहत हर पंचायत में एक खेल के मैदान को विकसित किया जाना है.

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लॉकडाउन में मिली छूट के बाद पलायन शुरू
लॉकडाउन की शुरुआत में मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया. हालांकि लॉकडाउन में मिली छूट के बाद मजदूर वापस पलायन कर गए. पलामू में 2.22 लाख मनरेगा के निबंधित मजदूर हैं, जबकि 53 हजार प्रवासी मजदूर हैं. करीब 10 से 15 हजार प्रवासियों के पास मनरेगा का जॉब कार्ड है. लॉकडाउन में मिली छूट के बाद काम मांगने वालों की संख्या घट गई. जून के बाद छह महीनों में सिर्फ 10 हजार मजदूर ही काम मांगने के लिए सामने आए. पलामू के हैदरनगर प्रखंड में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों ने मनरेगा में काम किया है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने काम मांगा उन्हें नहीं मिला. हैदरनगर के जयराम बताते है कि शुरुआत में उन्होंने काम किया था, लेकिन अभी उन्हें नहीं मिला है, जैसे तैसे परिवार चल रहा है. मजदूर राजेंद्र शर्मा ने बताया कि काम नहीं मिल रहा है. मजदूर रोशन खान मनरेगा के कार्यों से खुश हैं. मनरेगा मजदूरों को काफी फायदा हुआ है.


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मनरेगा के लिए कई योजना तैयार
लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के तहत बागवानी, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना पर काम शुरू किया गया, लेकिन अब नई योजना शुरू की जानी है. पलामू डीसी शशि रंजन ने कहा कि मनरेगा से मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ-साथ अब पानी को संरक्षित करने से जोड़ा जाएगा. बरसात से पहले तक की योजना तैयार की गई है. वितीय वर्ष 2020-21 में पलामू जिला को 122 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें अब तक 115 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

Last Updated : Jan 1, 2021, 4:04 PM IST
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