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छह दशक बीत गए नहीं पूरी हुई सिंचाई परियोजनाएं, जानिए कहां-कहां फंसा है पेंच

छह दशक बीत जाने के बाद भी पलामू प्रमंडल में चल रहे सिंचाई परियोजनाओं के काम अब तक पूरे नहीं हुए हैं. इन सभी परियोजनाओं की शुरूआत अविभाजित बिहार में हुई थी.

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Published : Sep 28, 2021, 5:01 PM IST

पलामू: पूरा देश आज किसानों की हालात को लेकर चर्चा कर रहा है. पक्ष हो या विपक्ष सभी किसानों के सवालों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. झारखंड-बिहार के कुछ ऐसे भी इलाके हैं जहां के किसान आंदोलन के बीच चिंतित हैं कि उनके खेतों तक पानी कैसे पहुंचेगी. सावन के बाद खेतों में लगी धान की फसल को एक बार फिर से बारिश का इंतजार है. यह इंतजार छह दशकों से है, ऐसा नहीं है कि किसानों के इस इंतजार के लिए सरकारों ने कदम नहीं उठाया. सरकारों ने कदम उठाया लेकिन कुछ विवाद और कुछ प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गई. हम बात कर रहे पलामू प्रमंडल में 70 के दशक में शुरू हुई सिंचाई परियोजनाओं की. अरबों खर्च होने के बावजूद अभी भी अधूरी है.

ये भी पढ़ें- उत्तर कोयल मुख्य नहर से 10 जुलाई से मिलने लगेगा पानी, 9 जुलाई से हटा लिया जाएगा डायवर्जन


शुरू हुई थी तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाएं

70 के दशक में अविभाजित बिहार में पलामू प्रमंडल में तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाएं शुरू हुई थी. ये योजनाएं हैं उत्तर कोयल नहर परियोजना का मंडल डैम, बटाने सिंचाई परियोजना और कनहर सिंचाई परियोजना. तीनों परियोजनाओं में अब तक एक हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है. किसानों के लिए आवाज उठाने वाले सतीश कुमार बताते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों उदासीन है. दोनों को किसानों की चिंता नहीं है. किसानों के खेतों तक पानी पहुंचना जरूरी है, लेकिन सरकारें आपसी लड़ाई में योजनाओं को पूरा नहीं कर रहे हैं. हर चुनाव में इन परियोजनाओं की बात होती है. लेकिन चुनाव बाद इसे पूरा करने के लिए कोई नहीं सोचता.

देखें स्पेशल स्टोरी

ये भी पढ़ें- कनहर बराज प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन सख्त, मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिया निर्देश

अधिकतर सिंचाई परियोजना से बिहार को होने वाला है फायदा

उत्तर कोयल नहर परियोजना के मंडल डैम और बटाने सिंचाई परियोजना से बिहार के बड़े हिस्से को सिंचाई के लिए पानी मिलने वाला था. जबकि कनहर सिंचाई परियोजना से छत्तीसगढ़ और यूपी को पानी मिलना था. झारखंड गठन के बाद बिहार और अन्य राज्यों के साथ इन सिंचाई परियोजनाओं के साथ विवाद बढ़ता गया जिस कारण सिंचाई परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई. मंडल डैम को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था बावजूद अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है. बटाने सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र के लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार के बीच कई बिंदुओं पर सहमति नहीं बनी है. यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है.

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अधूरी परियोजना

ये भी पढ़ें- कनहर बैराज परियोजना को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने की तल्ख टिप्पणी

महत्वपूर्ण परियोजना और उनका महत्व

  • उतर कोयल नहर परियोजना (मंड़ल डैम)- 1972-73 में 30 करोड़ की लागत से शुरू हुई थी. अब परियोजना की लागत 1622 करोड़ हो गई है. 1997 में डैम निर्माण स्थल पर इंजीनियर की हत्या के बाद निर्माण कार्य बंद है. 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए शिलान्याश किया था.
  • बटाने सिंचाई परियोजना- झारखण्ड बिहार सीमा पर बटाने नदी पर 1975 शुरू हुई थी यह परियोजना. अब तक 129 करोड़ रुपये खर्च लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा. इससे पलामू के हरिहरगंज और बिहार में औरंगाबाद इलाका होगा सिंचित.
  • कनहर सिंचाई परियोजना- 1976 में बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सीमा पर करोड़ों की लागत से इस परियोजना की शुरुआत हुई. एमपी और बिहार के बंटवारे के बाद राज्य सरकारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. बाद में तीनों राज्यों के बीच विवाद बढ़ा और मामला हाई कोर्ट पहुंच गया.

ये भी पढ़ें- नक्सलियों को हराया, सिस्टम से हारे: तीन साल में पूरा नहीं हुआ बटाने नदी पर बन रहा पुल, बरसात में बढ़ जाती हैं मुश्किलें

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उत्तर कोयल नहर परियोजना

परियोजनाओं के पूर्ण होने से पलामू प्रमंडल के किसानों को भी मिलेगा पानी

मंडल, कनहर, बटाने और अमानत सिंचाई परियोजना के पूर्ण होने से पलामू प्रमंडल की खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचेगा. अमानत सिंचाई परियोजना से विशुद्ध रूप से सिर्फ पलामू जिला को फायदा होने वाला है. अमानत सिंचाई परियोजना झारखंड गठन के बाद शुरू हुई थी लेकिन आज तक अधूरी है. जिला परिषद सदस्य लवली गुप्ता बताती हैं कि सिंचाई परियोजना के पूर्ण होने से किसानों को खेतों तक पानी आसानी से पहुंचेगा. अमानत सिंचाई परियोजना के पूरा होने से पांकी, मनातू, तरहसी जैसे पिछड़े इलाके में बड़ा बदलाव होगा.

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अधूरी परियोजना
ये भी पढ़ें- परता लघु नहर का निर्माण 18 वर्षों के बाद भी अधर में, 1.35 करोड़ रुपये अबतक हो चुके हैं खर्च

अधूरी सिंचाई परियोजनाओं की होगी समीक्षा

पलामू प्रमंडल आयुक्त जटाशंकर चौधरी बताते हैं कि अधूरी सिंचाई परियोजनाओं को लेकर वे जल्द ही समीक्षा करेंगे. उन्होंने बताया कि किसानों को खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए प्रशासन कटिबद्ध है. सिंचाई परियोजनाओं को पूरा होने में कहां कठिनाई है उन कठिनाइयों को समीक्षा कर उन्हें दूर किया जाएगा.

पलामू: पूरा देश आज किसानों की हालात को लेकर चर्चा कर रहा है. पक्ष हो या विपक्ष सभी किसानों के सवालों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. झारखंड-बिहार के कुछ ऐसे भी इलाके हैं जहां के किसान आंदोलन के बीच चिंतित हैं कि उनके खेतों तक पानी कैसे पहुंचेगी. सावन के बाद खेतों में लगी धान की फसल को एक बार फिर से बारिश का इंतजार है. यह इंतजार छह दशकों से है, ऐसा नहीं है कि किसानों के इस इंतजार के लिए सरकारों ने कदम नहीं उठाया. सरकारों ने कदम उठाया लेकिन कुछ विवाद और कुछ प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गई. हम बात कर रहे पलामू प्रमंडल में 70 के दशक में शुरू हुई सिंचाई परियोजनाओं की. अरबों खर्च होने के बावजूद अभी भी अधूरी है.

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शुरू हुई थी तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाएं

70 के दशक में अविभाजित बिहार में पलामू प्रमंडल में तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाएं शुरू हुई थी. ये योजनाएं हैं उत्तर कोयल नहर परियोजना का मंडल डैम, बटाने सिंचाई परियोजना और कनहर सिंचाई परियोजना. तीनों परियोजनाओं में अब तक एक हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है. किसानों के लिए आवाज उठाने वाले सतीश कुमार बताते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों उदासीन है. दोनों को किसानों की चिंता नहीं है. किसानों के खेतों तक पानी पहुंचना जरूरी है, लेकिन सरकारें आपसी लड़ाई में योजनाओं को पूरा नहीं कर रहे हैं. हर चुनाव में इन परियोजनाओं की बात होती है. लेकिन चुनाव बाद इसे पूरा करने के लिए कोई नहीं सोचता.

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अधिकतर सिंचाई परियोजना से बिहार को होने वाला है फायदा

उत्तर कोयल नहर परियोजना के मंडल डैम और बटाने सिंचाई परियोजना से बिहार के बड़े हिस्से को सिंचाई के लिए पानी मिलने वाला था. जबकि कनहर सिंचाई परियोजना से छत्तीसगढ़ और यूपी को पानी मिलना था. झारखंड गठन के बाद बिहार और अन्य राज्यों के साथ इन सिंचाई परियोजनाओं के साथ विवाद बढ़ता गया जिस कारण सिंचाई परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई. मंडल डैम को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था बावजूद अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है. बटाने सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र के लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार के बीच कई बिंदुओं पर सहमति नहीं बनी है. यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है.

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अधूरी परियोजना

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महत्वपूर्ण परियोजना और उनका महत्व

  • उतर कोयल नहर परियोजना (मंड़ल डैम)- 1972-73 में 30 करोड़ की लागत से शुरू हुई थी. अब परियोजना की लागत 1622 करोड़ हो गई है. 1997 में डैम निर्माण स्थल पर इंजीनियर की हत्या के बाद निर्माण कार्य बंद है. 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए शिलान्याश किया था.
  • बटाने सिंचाई परियोजना- झारखण्ड बिहार सीमा पर बटाने नदी पर 1975 शुरू हुई थी यह परियोजना. अब तक 129 करोड़ रुपये खर्च लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा. इससे पलामू के हरिहरगंज और बिहार में औरंगाबाद इलाका होगा सिंचित.
  • कनहर सिंचाई परियोजना- 1976 में बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सीमा पर करोड़ों की लागत से इस परियोजना की शुरुआत हुई. एमपी और बिहार के बंटवारे के बाद राज्य सरकारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. बाद में तीनों राज्यों के बीच विवाद बढ़ा और मामला हाई कोर्ट पहुंच गया.

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उत्तर कोयल नहर परियोजना

परियोजनाओं के पूर्ण होने से पलामू प्रमंडल के किसानों को भी मिलेगा पानी

मंडल, कनहर, बटाने और अमानत सिंचाई परियोजना के पूर्ण होने से पलामू प्रमंडल की खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचेगा. अमानत सिंचाई परियोजना से विशुद्ध रूप से सिर्फ पलामू जिला को फायदा होने वाला है. अमानत सिंचाई परियोजना झारखंड गठन के बाद शुरू हुई थी लेकिन आज तक अधूरी है. जिला परिषद सदस्य लवली गुप्ता बताती हैं कि सिंचाई परियोजना के पूर्ण होने से किसानों को खेतों तक पानी आसानी से पहुंचेगा. अमानत सिंचाई परियोजना के पूरा होने से पांकी, मनातू, तरहसी जैसे पिछड़े इलाके में बड़ा बदलाव होगा.

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अधूरी परियोजना
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अधूरी सिंचाई परियोजनाओं की होगी समीक्षा

पलामू प्रमंडल आयुक्त जटाशंकर चौधरी बताते हैं कि अधूरी सिंचाई परियोजनाओं को लेकर वे जल्द ही समीक्षा करेंगे. उन्होंने बताया कि किसानों को खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए प्रशासन कटिबद्ध है. सिंचाई परियोजनाओं को पूरा होने में कहां कठिनाई है उन कठिनाइयों को समीक्षा कर उन्हें दूर किया जाएगा.

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