पलामू: झारखंड में सबसे अधिक पलामू में खास महाल जमीन के लीज धारक हैं. जिस को लेकर सरकार के स्तर से एक पत्र जारी किया गया है. जिसमें डीसी को खास महाल जमीन के लीज नवीकरण के दर संशोधन के लिए अधिकृत किया गया है. ये पत्र राज्य राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा पलामू के कमिश्नर को भेजा गया है.
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पलामू में 1895 से लोग खास महाल जमीन के लिए धारक हैं. सौकड़ों लीज धारकों का करीब चार दशक से नवीकरण का मामला लंबित है. आज से एक वर्ष पहले राज्य सरकार ने खास महाल जमीन को अलग-अलग कैटेगरी में बताकर नवीकरण के दर को बढ़ा दिया था. अब एक बार फिर से खास महाल जमीन के लिए धारकों के मन में एक उम्मीद जागी है. सरकार के स्तर से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें डीसी को खास महाल जमीन के लीज नवीकरण के दर संशोधन के लिए अधिकृत किया गया है. ये पत्र सरकार के राजस्व निबंधन और भूमि सुधार विभाग द्वारा पलामू के कमिश्नर को भेजा गया है.
पलामू कमिश्नर के सचिन मेट्स विजय टोप्पो का कहना है कि विभाग के विभिन्न पत्र और अधिसूचना से ये स्पष्ट है कि जिला अंतर्गत सभी प्रकार के भूमी के न्यूनतम मूल्य निर्धारण के लिए डीसी को साक्षम प्राधिकार है. अगर किसी भी प्रकार के जमीन की न्यूनतम मूल्य निर्धारण में विसंगति हुई है, तो इसकी जांच डीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी. जिसमें अपर समाहर्ता, भूमि सुधार उपसमाहर्ता, जिला अवर निबंधक, अवर निबंधन, नगर निगम या नगर पालिका के कार्यपालक पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. खास महाल जमीन को भी लेकर इसी तरह का आदेश है.
क्या है खास महाल की जमीन: 1600 एकड़ से भी अधिक है ये जमीन, खासमहल की जमीन एक प्रकार से सरकारी जमीन होती है. जिसे सरकार के द्वारा लोगों को निश्चित समय के लिए लीज पर दी जाती है. इसकी शुरूआत अंग्रेजी शासनकाल के वक्त की गई थी. जिसकी अवधी 80 के दशक में ही समाप्त हो गई. उस वक्त से ही लीज नवीकरण का मामला लंबित है. इस मामले में सरकार ने कई स्तर पर फैसले लिए हैं. खासमहल जमीन को फ्री होल्ड करने को लेकर कई बार आंदोलन भी हुए हैं.
इसके साथ ही आपको बता दें कि कृषि व्यवसाय कार्य के लिए अलग-अलग लीज किए गए. बदलते समय के साथ लोगों ने लीज के स्वरूप को भी बदल दिया था. बदलेगा स्वरूप को विभाग ट्रेसपासर यानी अतिक्रमण मानती है. जिसका फाइन रखा गया है. इसके साथ ही पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मोदिनीनगर में व्यवसायी इलाके के लिए लीज नवीकरण की दर प्रति डिसमिल 11 लाख रुपय निर्धारित की गई थी.