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पलामू में सुखाड़ को देखते हुए मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने की पहल, छह महीने में चार लाख से बढ़ कर 31 लाख सृजित किया गया मानव दिवस - Palamu news

पलामू में मनरेगा के तहत छह माह में 31 लाख मानव दिवस सृजित किया गया और स्थानीय स्तर पर मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया. डीसी ए दोड्डे ने बताया कि पलामू में सुखाड़ (Drought in Palamu) की स्थिति है. इस संकट से बचने के लिए मनरेगा के तहत योजनाओं पर काम शुरू कर दिया गया, ताकि मजदूरों को रोजगार मिल सके.

laborers in Palamu
पलामू में सुखाड़ को देखते हुए मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने की पहल
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Published : Nov 16, 2022, 8:20 PM IST

पलामूः कोविड काल के बाद रोजगार एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है. कोविड के बाद पलामू का इलाका सुखाड़ (Drought in Palamu) से जूझ रहा है. सुखाड़ और कोविड से प्रभावित होने के बाद सरकार और प्रशासन ने मजदूरों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध करवाने की पहल शुरू की है. जिला प्रशासन की पहल पर छह महीने में बड़ा बदलाव हुआ है.

यह भी पढ़ेंः मिलेगा रोजगार, मनरेगा के तहत कई पदों पर जल्द होगी नियुक्ति

मनरेगा के तहत अप्रैल महीने में चार लाख मानव दिवस सृजित किया गया था. लेकिन छह महीने बाद यह आंकड़ा बढ़ कर 31 लाख से अधिक हो गया है. वित्तिय वर्ष 2022-23 में 56 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें 31 लाख मानव दिवस सृजित हो चुका है. पलामू में 2 लाख 22 हजार 633 मजदूर मनरेगा के तहत निबंधित हैं. इसमें से डेढ़ लाख के करीब मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है. डीसी ए दोड्डे ने बताया कि मनरेगा के तहत मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाने की पहल की जा रही है, ताकि मजदूरों का पलायन नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि पलामू में सुखाड़ की स्थिति है. इसे देखते हुए मनरेगा के तहत मजदूरों को अतरिक्त रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

पलामू में कोविड काल के दौरान 40 हजार के करीब प्रवासी मजदूर लौटे थे. अधिकतर मजदूर पलामू में लौटने के बाद कृषि से जुड़ गए थे. पलामू के सभी प्रखंडों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया है. हालात को देखते हुए पलामू के 1871 गांव में मनरेगा के तहत योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, ताकि मजदूरों को स्थानीय स्तर पर काम मिल जाए.

पलामूः कोविड काल के बाद रोजगार एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है. कोविड के बाद पलामू का इलाका सुखाड़ (Drought in Palamu) से जूझ रहा है. सुखाड़ और कोविड से प्रभावित होने के बाद सरकार और प्रशासन ने मजदूरों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध करवाने की पहल शुरू की है. जिला प्रशासन की पहल पर छह महीने में बड़ा बदलाव हुआ है.

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मनरेगा के तहत अप्रैल महीने में चार लाख मानव दिवस सृजित किया गया था. लेकिन छह महीने बाद यह आंकड़ा बढ़ कर 31 लाख से अधिक हो गया है. वित्तिय वर्ष 2022-23 में 56 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें 31 लाख मानव दिवस सृजित हो चुका है. पलामू में 2 लाख 22 हजार 633 मजदूर मनरेगा के तहत निबंधित हैं. इसमें से डेढ़ लाख के करीब मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है. डीसी ए दोड्डे ने बताया कि मनरेगा के तहत मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाने की पहल की जा रही है, ताकि मजदूरों का पलायन नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि पलामू में सुखाड़ की स्थिति है. इसे देखते हुए मनरेगा के तहत मजदूरों को अतरिक्त रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है.

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पलामू में कोविड काल के दौरान 40 हजार के करीब प्रवासी मजदूर लौटे थे. अधिकतर मजदूर पलामू में लौटने के बाद कृषि से जुड़ गए थे. पलामू के सभी प्रखंडों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया है. हालात को देखते हुए पलामू के 1871 गांव में मनरेगा के तहत योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, ताकि मजदूरों को स्थानीय स्तर पर काम मिल जाए.

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