पलामू: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच भारतीय छात्रों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है. यूक्रेन से बड़ी संख्या में छात्र लौट रहे हैं, इसमें पलामू के भी कई छात्र हैं. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के सुदना के रहने वाले आसिफ अनवर शुक्रवार को अपने घर पहुंच गए. अनवर यूक्रेन के इवानो फ्रेंकविस्क में एमबीबीएस के थर्ड इयर के छात्र थे. भारी बर्फबारी और मौत के खौफ के बीच वे लगातार आठ दिनों का सफर कर पलामू पहुंचे हैं.
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भारत सरकार से सहारे की आशा: आसिफ ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है. वे बताते है कि यूक्रेन पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, वे मिडिल क्लास फैमिली से है इसलिए चिंतित हैं. तीन सालों तक लगातार पढ़ाई करने के बाद अचानक हालात बदल जाने से उन्हें भविष्य की चिंता है. आफिस का कहना है कि यूक्रेन की बर्बादी उनके भविष्य को बर्बाद कर रहा है. उन्होंने बताया कि उन्हें केंद्र और भारत सरकार से उम्मीद है कि लौटने वाले छात्रों के लिए राहत की घोषणा हो और पढ़ाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.
यूक्रेन रोमानिया बॉर्डर पर थी लाइफ और फिटनेस की लड़ाई: आसिफ के अनुसार भारत में मेडिकल की पढ़ाई महंगी है और सीटें भी कम है. यही कारण है कि मिडिल क्लास फैमिली से आने वाले छात्र यूक्रेन जैसे देश जाते हैं. उन्होंने बताया कि 10 किलोमीटर तक लगातार पैदल चलने के बाद वे रोमानिया बोर्डर पर पहुंचे थे. रोमानिया बोर्डर पर लाइफ ऑफ फिटनेस की लड़ाई थी. जो फिट रहता वही बॉर्डर पार कर सकता था. बॉर्डर पर उग्र भीड़ के कारण फायरिंग भी होती थी. उन्होंने बताया कि उनके मेडिकल कॉलेज में 24 फरवरी को ही हमले हुए थे, उसके बाद कहा गया था कि सायरन बजने के बाद बंकर जाना है, ये बंकर न्यूक्लियर हमले से भी बचाने के लिए थे.
इंडियन एंबेसी ने जारी की थी एडवाइजरी: यूक्रेन से पलामू लौटने वाले आसिफ अनवर ने बताया कि इंडियन एंबेसी ने एडवाइजरी जारी किया था. एडवाइजरी में जारी की गई टोल फ्री नंबर पर बात नहीं हो पाती थी. उनका कहना था कि किसी तरह छात्र यूक्रेन सीमा को पार कर रोमानिया पहुंच जाएं. आसिफ ने बताया कि जिस वक्त अलर्ट जारी किया गया था उस दौरान छात्रों के मन में भी वापसी के बात चल रही थी, लेकिन उस दौरान किराया काफी महंगा हो गया था और मध्यम वर्ग के छात्र किराया कम होने का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने बताया कि महंगा किराए होने के कारण कई छात्र यूक्रेन में फंस गए थे. हालांकि, मेडिकल कॉलेज के तरफ से उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था.