पलामूः झारखंड सरकार के एक सर्वे में बताया गया है 70 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी गांवों में रहती है. जिसमें 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र से हैं और उनमें वित्तीय, खाद्य एवं सामाजिक सुरक्षा को लेकर संकट है. खुद के सर्वाइवल के लिए के लिए बुजुर्गों को आखिरी दिनों तक काम करना पड़ता है. बड़ी संख्या में बुजुर्गों की आबादी कष्ट में गुजरती है. इस दौरान उन्हें जीवन में एक श्रवण कुमार और लाठी की तलाश होती है. पलामू में एक ऐसी पहल की गई जो बुढ़ापे की लाठी बनेगी. झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) बुजुर्गों की एक चेन तैयार कर रही है. यह चेन बुजुर्गों को हर तरह से सहायता करेगी. 8 से 15 की संख्या में 55 से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों का समूह तैयार किया जा रहा है. यह समूह बुजुर्गों को हर तरह से सामाजिक आर्थिक एवं खाद्य सुरक्षा देगा. मनातू बीपीएम अरिवंद कुमार पासवान ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में समूह बनाने का काम तेजी से चल रहा है.
बुजुर्गों का समूह बनाने के लिए गांव में कैंप कर रही टीमः बुजुर्गों का समूह तैयार करने के लिए महिलाओं की एक टीम गांव में कैंप कर रही है. पलामू के मनातू, छतरपुर, लेस्लीगंज, सतबरवा और तरहसी में बुजुर्गों का समूह बनाया जा रहा है. पूरे जिले में करीब 200 समूह बनाए जाने हैं. गांव में कैंप कर रही टीम को समूह बनाने से पहले रांची में जेएसएलपीएस(jharkhand state livelihood promotion society) के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया था. टीम गांव में सात - सात दिनों तक कैंप कर रही है और बुजुर्गों का सर्वे कर उनका समूह बना रही है. मनातू में कैंप कर रही सखी दीदी सुमित्रा देवी और गायत्री देवी ने बताया कि पहले बुजुर्गों को मोटिवेट किया जा रहा है. उसके बाद उन्हें समूहों से जोड़ा जा रहा है. यह समूह मिश्रित भी है और अलग भी है. मिश्रित समूह में पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं.
गरीब और बेसहारा बुजुर्गों को प्राथमिकता, आजीविका से भी जोड़ा जाएगा सभी कोः बुजुर्गों के आत्म सम्मान और मदद के लिए समूह काम करेगा. यह समूह बुजुर्गों को कई तरह से सहायता करेगा. बुजुर्गों को एक दूसरे का सहायक बनने और उन्हें आजीविका से जोड़ने का प्रयास करेगा. समूह बुजुर्गों के मानवाधिकार और उनके अधिकारों के लिए भी काम करेगा. जेएसएलपीएस के पलामू डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि बुजुर्गों का स्वयं सहायता समूह उपेक्षित बुजुर्ग व्यक्तियों के जीवन में परिवर्तन लाएगा. समूह को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, सक्रिय बुजुर्ग, असहाय बुजुर्ग और एक अन्य श्रेणी है. उन्होंने बताया कि सक्रिय बुजुर्गों को आजीविका से भी जोड़ा जाएगा और उन्हें बैंकिंग सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी.