पलामूः आग को पीट-पीट कर भी बुझाया जा सकता है और नुकसान को रोका जा सकता है. आग बुझाने के इस तरीके को अग्निशमन विभाग वन कर्मियों को बता रहा है. दरअसल गर्मियों के दिन में आग से बड़े पैमाने पर जंगलों को नुकसान पंहुचता है. आगजनी की घटना को रोकने के लिए वन विभाग कई स्तर पर पहल कर रहा है. ग्रामीण इलाकों में जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है. वहीं इलाके में तैनात वन कर्मियों को आग से बचाव के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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झारखंड अग्निशमन, विभाग के कर्मियों को एक अभियान चलाकर आग से बचने और आग को बुझाने के तरीकों को बता रहा है. वन विभाग के अधिकारियों और कर्मियों के पास जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए जरूरी उपकरण नहीं होते हैं, ऐसे में जुगाड़ टेक्नोलॉजी उनके लिए क्या-क्या है. वन विभाग के कर्मियों को अग्निशमन विभाग के अधिकारी कैंप लगाकर प्रशिक्षण दे रहे हैं, यह प्रशिक्षण शिविर अलग-अलग इलाकों में आयोजित किया जा रहा है. पलामू अग्निशमन विभाग के दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि कर्मियों को यह बताया जा रहा है कि आग को पीट-पीटकर कैसे बुझाया जाता है. उन्होंने बताया कि जंगल में छोटे-मोटे आग को पीटकर बुझाया जा सकता है. झाड़ियों की हरी डाली या पेड़ की हरी डाली को लेकर जिस जगह पर आग लगी है वहां पीटा जाता है जिससे आग बुझ जाती है.
काउंटर फायर की तकनीक और पगडंडी बनाने की सलाहः अग्निशमन विभाग के दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि वन कर्मियों को काउंटर फायर के बारे में जानकारी दी गई है और उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी दी गई है. काउंटर फायर में आग एक दूसरे से टकराती है और बुझ जाती है. उन्होंने बताया कि पूरब में अगर आग लगती है और यह धीरे-धीरे फैल रही है तो पश्चिम की तरफ से भी आग लगाई जा सकती है. दोनों एक जगह पर टकराएगी और बुझ जाएगी. वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों से यह अपील की गई है कि घने जंगलों में पगडंडी बनाई जाए. ये पगडंडियां आग को फैलने से रोकेगी और बचाव के लिए भी कारगर साबित होगी.
प्रतिवर्ष 170 से अधिक इलाकों में रिकॉर्ड की जाती है आगजनी की घटनाः पलामू प्रमंडल के विभिन्न इलाकों में प्रतिवर्ष 170 से भी अधिक इलाकों के जंगल मे आगजनी की घटना को रिकॉर्ड किया जाता है. आगजनी से वनसंपदा के साथ-साथ वन्यजीवों को भी नुकसान पंहुचता है. गर्मी के दिनों में महुआ चुनने के लिए स्थानीय ग्रामीण झाड़ियों में आग लगाते हैं. जिसके बाद यह धीरे-धीरे जंगलों में फैल जाती है. कई इलाकों में अग्निशमन विभाग को पहुंचना काफी मुश्किल है. जंगल और पहाड़ी इलाकों में विभाग के दमकल आसानी से नहीं जा सकते हैं.