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हथियार का शौक रखने में आगे हैं पलामू के युवा, अपराधियों को मानते हैं अपना रोल मॉडल

पलामू के युवाओं में हथियार का शौक बढ़ता जा रहा है. अपराध का ग्लैमराइजेशन युवाओं को हथियार रखने के लिए प्रेरित कर रहा है. यही वजह है कि आपराधिक संगठन से युवा जुड़ने लगे हैं और अपराधियों को अपना रोल मॉडल मानने लगे. अवैध हथियार के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां कितनी खतरनाक स्थिति है.

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युवाओं में बढ़ रहा हथियार का शौक
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Published : Dec 15, 2020, 1:33 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 10:55 PM IST

पलामू: जिले में एक कहावत आम होती जा रही है कि यहां के युवाओं को एक दिन का खाना नहीं मिले, लेकिन हथियार मिल जाए तो वो अपने भूख को भूलते हुए जश्न मनाना शुरू कर देंगे. पलामू के युवाओं में हथियार का शौक बढ़ता ही जा रहा है. अपराध का ग्लैमराइजेशन युवाओं को हथियार रखने के लिए प्रेरित कर रहा है. पलामू नक्सली हिंसा के लिए मशहूर रहा है.

देखें स्पेशल खबर

पमामू में अपराधी, युवाओं के रोल मॉडल

2006-07 के बाद यहां संगठित अपराध शुरू हुआ और फिर गैंगवार शुरू हुई. आपराधिक संगठन से युवा जुड़ने लगे और अपराधियों को अपना रोल मॉडल मानने लगे. 2006-07 के बाद पलामू में आधा दर्जन के करीब आपराधिक गिरोह सक्रिय हुए. अवैध हथियार के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां कितनी खतरनाक स्थिति है. पलामू में पिछले पांच वर्षों के हथियार से जुड़े अपराध बता रहे हैं कि यहां की स्थिति कितनी खराब होती जा रही है. पलामू में 2016 के बाद से 550 से भी अधिक लोगों की हत्या हुई है. 210 से अधिक हत्याओं में अवैध हथियार का इस्तेमाल हुआ है. यह आंकड़े नक्सल हिंसा से जुड़ी हुई नहीं है. पलामू में पांच वर्षों में 190 से अधिक हथियार, जबकि 900 से अधिक गोली जब्त हुए हैं. 2020 में 30 से अधिक हत्याओं में अवैध हथियार का इस्तेमाल हुआ है, जबकि 576 अपराधी गिरफ्तार हुए हैं. इसमें 350 से अधिक युवा हैं.

ये भी पढ़ें-लापरवाही: डॉक्टरों ने बिना इजाजत दिव्यांग शख्स की कर दी नसबंदी, कार्रवाई की मांग

पलामू में तीन से पांच हजार में मिलता है देसी कट्टा

समाजसेवी दीपक तिवारी का कहना है कि पलामू में 20 वर्षों का आपराधिक इतिहास है. यही कारण है कि यहां युवा हथियार रखने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह गरीबी भी है. पलामू में युवाओं के पास आसानी से अवैध हथियार पंहुच रहे हैं. पुलिस ने 2020 में तीन हथियार तस्कर गिरोह को पकड़ा था. हरिहरगंज में एक होटल व्यवसायी हथियार का धंधा करते हुए गिरफ्तार हुआ था. उसने पुलिस को बताया था कि तीन से पांच हजार में देसी कट्टा और 10 से 25 हजार में पिस्टल बेचा जाता है. पलामू में हथियारों की खेप गढ़वा और बिहार के इलाकों से आती है. पिछले 11 महीनों में पलामू पुलिस ने 35 आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज किए हैं.

ये भी पढ़ें-लापरवाही: डॉक्टरों ने बिना इजाजत दिव्यांग शख्स की कर दी नसबंदी, कार्रवाई की मांग

ग्लैमर के कारण अपराधी को रोल मॉडल मानते हैं युवा

समाजसेवी नवीन कुमार बताते हैं कि कुछ वर्षों में अपराध का ग्लैमराइजेशन हुआ है. युवा इनसे आकर्षित हुए और हथियार रखना शुरू किया. वे बताते हैं कि यह दुर्भाग्य है कि हम समाज को अच्छा करने वाले व्यक्ति को अपना रोल मॉडल बनाने में नाकाम हुए हैं. सभी लोगों को पहल करने की जरूरत है. अधिवक्ता यशवंत तिवारी बताते हैं कि अवैध हथियार के मामले में उनके पास अधिकतर जुबेनाइल पहुंचते हैं. कम उम्र के युवा अपराध की तरफ रुख कर रहे हैं. आधुनिक जीवन की कल्पना भी एक बड़ा कारण है.

अवैध हथियार के खिलाफ पुलिस की योजना

पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद पलामू पुलिस ने अवैध हथियार के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है. हर थाना और पिकेट को आदेश जारी किया गया है. हथियार पकड़ने वाले को इनाम की घोषणा की गई है. SDPO के विजयशंकर बताते हैं कि पलामू में हथियार का शौक काफी है और यह खतरनाक है. पुलिस ने सभी के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कार्य योजना तैयार की है.

पलामू: जिले में एक कहावत आम होती जा रही है कि यहां के युवाओं को एक दिन का खाना नहीं मिले, लेकिन हथियार मिल जाए तो वो अपने भूख को भूलते हुए जश्न मनाना शुरू कर देंगे. पलामू के युवाओं में हथियार का शौक बढ़ता ही जा रहा है. अपराध का ग्लैमराइजेशन युवाओं को हथियार रखने के लिए प्रेरित कर रहा है. पलामू नक्सली हिंसा के लिए मशहूर रहा है.

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पमामू में अपराधी, युवाओं के रोल मॉडल

2006-07 के बाद यहां संगठित अपराध शुरू हुआ और फिर गैंगवार शुरू हुई. आपराधिक संगठन से युवा जुड़ने लगे और अपराधियों को अपना रोल मॉडल मानने लगे. 2006-07 के बाद पलामू में आधा दर्जन के करीब आपराधिक गिरोह सक्रिय हुए. अवैध हथियार के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां कितनी खतरनाक स्थिति है. पलामू में पिछले पांच वर्षों के हथियार से जुड़े अपराध बता रहे हैं कि यहां की स्थिति कितनी खराब होती जा रही है. पलामू में 2016 के बाद से 550 से भी अधिक लोगों की हत्या हुई है. 210 से अधिक हत्याओं में अवैध हथियार का इस्तेमाल हुआ है. यह आंकड़े नक्सल हिंसा से जुड़ी हुई नहीं है. पलामू में पांच वर्षों में 190 से अधिक हथियार, जबकि 900 से अधिक गोली जब्त हुए हैं. 2020 में 30 से अधिक हत्याओं में अवैध हथियार का इस्तेमाल हुआ है, जबकि 576 अपराधी गिरफ्तार हुए हैं. इसमें 350 से अधिक युवा हैं.

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पलामू में तीन से पांच हजार में मिलता है देसी कट्टा

समाजसेवी दीपक तिवारी का कहना है कि पलामू में 20 वर्षों का आपराधिक इतिहास है. यही कारण है कि यहां युवा हथियार रखने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह गरीबी भी है. पलामू में युवाओं के पास आसानी से अवैध हथियार पंहुच रहे हैं. पुलिस ने 2020 में तीन हथियार तस्कर गिरोह को पकड़ा था. हरिहरगंज में एक होटल व्यवसायी हथियार का धंधा करते हुए गिरफ्तार हुआ था. उसने पुलिस को बताया था कि तीन से पांच हजार में देसी कट्टा और 10 से 25 हजार में पिस्टल बेचा जाता है. पलामू में हथियारों की खेप गढ़वा और बिहार के इलाकों से आती है. पिछले 11 महीनों में पलामू पुलिस ने 35 आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज किए हैं.

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ग्लैमर के कारण अपराधी को रोल मॉडल मानते हैं युवा

समाजसेवी नवीन कुमार बताते हैं कि कुछ वर्षों में अपराध का ग्लैमराइजेशन हुआ है. युवा इनसे आकर्षित हुए और हथियार रखना शुरू किया. वे बताते हैं कि यह दुर्भाग्य है कि हम समाज को अच्छा करने वाले व्यक्ति को अपना रोल मॉडल बनाने में नाकाम हुए हैं. सभी लोगों को पहल करने की जरूरत है. अधिवक्ता यशवंत तिवारी बताते हैं कि अवैध हथियार के मामले में उनके पास अधिकतर जुबेनाइल पहुंचते हैं. कम उम्र के युवा अपराध की तरफ रुख कर रहे हैं. आधुनिक जीवन की कल्पना भी एक बड़ा कारण है.

अवैध हथियार के खिलाफ पुलिस की योजना

पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद पलामू पुलिस ने अवैध हथियार के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है. हर थाना और पिकेट को आदेश जारी किया गया है. हथियार पकड़ने वाले को इनाम की घोषणा की गई है. SDPO के विजयशंकर बताते हैं कि पलामू में हथियार का शौक काफी है और यह खतरनाक है. पुलिस ने सभी के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कार्य योजना तैयार की है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 10:55 PM IST
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