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फॉल्ट ठीक होने में लगते हैं घंटों, बिजली ट्रिपिंग से लोग हुए बेहाल - पलामू में बिजली ट्रिपिंग की समस्या शुरू

पलामू में आए दिन हो रही बिजली की ट्रिपिंग ने लोगों का बुरा हाल कर दिया है. हाल यह है कि बीते तीन महीने में यहां 1200 से अधिक बार ट्रिपिंग हुई. इधर कर्मचारियों की उदासीनता से इस फाल्ट को ढूंढ़ने और उसको दूर करने में घंटों लगते हैं और कई बार तो कई दिन. इससे लोगों को बिना बिजली के ही दिन रात बिताने पड़ते हैं.

हल्की बारिश के बाद भी ट्रिप कर जाती है बिजली
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Published : Oct 10, 2020, 3:01 PM IST

Updated : Oct 12, 2020, 6:13 AM IST

पलामू: जिले में बिजली ट्रिपिंग की समस्या ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हल्की बारिश में ही पलामू में बिजली ट्रिप हो रही है, जिसके फाल्ट ठीक करने में कर्मचारियों को घंटों लग जाते हैं. कई बार तो कई दिन तक फाल्ट नहीं ढूंढ़े जा पाते नतीजतन लोगों को कई-कई दिन बिना बिजली के रात और दिन बिताने पड़ते हैं. इससे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

देखें स्पेशल खबर

40 से अधिक बार 12 घंटे से अधिक कटौती

पलामू में पिछले पांच सालों में बड़ा बदलाव हुआ है. जिले को लगभग 24 घंटे बिजली मिल रही है. फाल्ट के बाद ट्रिप की स्थिति में ही बिजली को काटा जा रहा है पर बरसात में बिजली ट्रिपिंग आम हो गई है. जून से सितंबर के अंतिम सप्ताह तक पलामू के विभिन्न इलाकों में 1 हजार 200 से अधिक जगहों पर फाल्ट हुआ है. इसके कारण 445 से अधिक बार बिजली की कटौती की गई है, जबकि 40 से अधिक मामले में 12 घंटे के करीब बिजली काटी गई है. छत्तरपुर, सतबरवा और हरिहरगंज का इलाका तीन-तीन दिनों तक अंधेरे में रहा है.

घंटों करना पड़ता है बिजली का इंतजार

पलामू को करीब 110 मेगावाट बिजली की जरूरत है और उतनी बिजली मिल भी रही है. पलामू के लहलहे में सप्लाई लाइन नेशनल ग्रिड से जोड़ी गई है, जो बिहार के सासाराम, यूपी के सोननगर और हटिया से जुड़ी है. जानकारों का कहना है कि पलामू में चार ग्रिड लाइन हैं, जबकि 12 से अधिक पावर सब स्टेशन हैं, जहां से पूरे जिले को बिजली सप्लाई की जाती है. हालांकि पलामू की 27 लाख की आबादी पर मात्र 3.5 लाख घरों के पास ही बिजली का कनेक्शन हैं. पलामू के व्यवसायी सह जन प्रतिनिधि ट्विंकल गुप्ता बताते हैं कि विभाग के कर्मियों को नहीं पता होता है कि बिजली कब आएगी. फाल्ट होने की स्थिति में जब वे कॉल लगा कर पूछते हैं कि बिजली कब आएगी तो बताया जाता है कि दो घंटे बाद बिजली आएगी, लेकिन कभी 10 मिनट में आ जाती है तो कभी बिजली के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-भीमा कोरेगांव केस में स्टेन स्वामी को माओवादी बता चार्जशीट दाखिल, स्वामी को फ्रंटल आर्गेनाइजेशन पीपीएससी का कंवेनर बताया

जवाब तक नहीं देते कर्मचारी

ट्विंकल गुप्ता का कहना है कि हल्की बारिश के बाद भी बिजली काट दी जाती है. इस वजह से पूरा इलाका अंधेरे में रहता है. उन्होंने कहा कि कोरोना को देखते हुए बिजली विभाग को बिल को लेकर सख्ती नहीं बरतनी चाहिए. युवा नेता राकेश तिवारी बताते हैं कि हालत गंभीर है. बरसात के दिनों में हल्की बारिश होने के बाद भी बिजली काट दी जाती है और फाल्ट ठीक करने के लिए जब विभाग को फोन किया जाता है तो कॉल का जवाब तक नहीं दिया जाता है. लगातार बिजली काटी जाती है. शशिकांत तिवारी नाम के एक युवक बताते हैं कि लगातार विभाग को कहने के बावजूद बिजली को ठीक नहीं किया जाता है.

ट्रिपिंग की समस्या

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता मनमोहन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि पलामू को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल रही है. पावर सब स्टेशन में आधुनिक मशीन लगाई गई हैं. हल्की सी प्राकृतिक आपदा या बिजली तार के संपर्क में कुछ भी आने के बाद ट्रिप हो जाती है. फाल्ट को ठीक करने के बाद दोबारा बिजली चालू कर दी जाती है. वो बताते हैं कि प्राकृतिक आपदा के दौरान ही फाल्ट आता है. उनका कहना है कि बरसात से पहले विभाग तैयारी करता है. बिजली के तारों के अगल-बगल पेड़ों की छंटनी की जाती है, ताकि फाल्ट न हो और लोगों को ट्रिपिंग की समस्या का सामना नहीं करना पड़े.

पलामू: जिले में बिजली ट्रिपिंग की समस्या ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हल्की बारिश में ही पलामू में बिजली ट्रिप हो रही है, जिसके फाल्ट ठीक करने में कर्मचारियों को घंटों लग जाते हैं. कई बार तो कई दिन तक फाल्ट नहीं ढूंढ़े जा पाते नतीजतन लोगों को कई-कई दिन बिना बिजली के रात और दिन बिताने पड़ते हैं. इससे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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40 से अधिक बार 12 घंटे से अधिक कटौती

पलामू में पिछले पांच सालों में बड़ा बदलाव हुआ है. जिले को लगभग 24 घंटे बिजली मिल रही है. फाल्ट के बाद ट्रिप की स्थिति में ही बिजली को काटा जा रहा है पर बरसात में बिजली ट्रिपिंग आम हो गई है. जून से सितंबर के अंतिम सप्ताह तक पलामू के विभिन्न इलाकों में 1 हजार 200 से अधिक जगहों पर फाल्ट हुआ है. इसके कारण 445 से अधिक बार बिजली की कटौती की गई है, जबकि 40 से अधिक मामले में 12 घंटे के करीब बिजली काटी गई है. छत्तरपुर, सतबरवा और हरिहरगंज का इलाका तीन-तीन दिनों तक अंधेरे में रहा है.

घंटों करना पड़ता है बिजली का इंतजार

पलामू को करीब 110 मेगावाट बिजली की जरूरत है और उतनी बिजली मिल भी रही है. पलामू के लहलहे में सप्लाई लाइन नेशनल ग्रिड से जोड़ी गई है, जो बिहार के सासाराम, यूपी के सोननगर और हटिया से जुड़ी है. जानकारों का कहना है कि पलामू में चार ग्रिड लाइन हैं, जबकि 12 से अधिक पावर सब स्टेशन हैं, जहां से पूरे जिले को बिजली सप्लाई की जाती है. हालांकि पलामू की 27 लाख की आबादी पर मात्र 3.5 लाख घरों के पास ही बिजली का कनेक्शन हैं. पलामू के व्यवसायी सह जन प्रतिनिधि ट्विंकल गुप्ता बताते हैं कि विभाग के कर्मियों को नहीं पता होता है कि बिजली कब आएगी. फाल्ट होने की स्थिति में जब वे कॉल लगा कर पूछते हैं कि बिजली कब आएगी तो बताया जाता है कि दो घंटे बाद बिजली आएगी, लेकिन कभी 10 मिनट में आ जाती है तो कभी बिजली के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.

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जवाब तक नहीं देते कर्मचारी

ट्विंकल गुप्ता का कहना है कि हल्की बारिश के बाद भी बिजली काट दी जाती है. इस वजह से पूरा इलाका अंधेरे में रहता है. उन्होंने कहा कि कोरोना को देखते हुए बिजली विभाग को बिल को लेकर सख्ती नहीं बरतनी चाहिए. युवा नेता राकेश तिवारी बताते हैं कि हालत गंभीर है. बरसात के दिनों में हल्की बारिश होने के बाद भी बिजली काट दी जाती है और फाल्ट ठीक करने के लिए जब विभाग को फोन किया जाता है तो कॉल का जवाब तक नहीं दिया जाता है. लगातार बिजली काटी जाती है. शशिकांत तिवारी नाम के एक युवक बताते हैं कि लगातार विभाग को कहने के बावजूद बिजली को ठीक नहीं किया जाता है.

ट्रिपिंग की समस्या

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता मनमोहन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि पलामू को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल रही है. पावर सब स्टेशन में आधुनिक मशीन लगाई गई हैं. हल्की सी प्राकृतिक आपदा या बिजली तार के संपर्क में कुछ भी आने के बाद ट्रिप हो जाती है. फाल्ट को ठीक करने के बाद दोबारा बिजली चालू कर दी जाती है. वो बताते हैं कि प्राकृतिक आपदा के दौरान ही फाल्ट आता है. उनका कहना है कि बरसात से पहले विभाग तैयारी करता है. बिजली के तारों के अगल-बगल पेड़ों की छंटनी की जाती है, ताकि फाल्ट न हो और लोगों को ट्रिपिंग की समस्या का सामना नहीं करना पड़े.

Last Updated : Oct 12, 2020, 6:13 AM IST
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