ETV Bharat / state

बूढ़ापहाड़ के 12 किलोमीटर के दायरे में तैनात सुरक्षाबलों की आठ कंपनियां, जवान ग्रामीणों के साथ कर रहे कम्युनिकेट - Jharkhand news

पहले जहां बूढ़ापहाड़ लाल आतंक का गढ़ माना जाता था. वहीं अब इसे नक्सल विरोधी अभियान का रोल मॉडल माना जा रहा है. Security forces are deployed in Burapahar Area

security forces are deployed in Burapahar Area
security forces are deployed in Burapahar Area
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 10, 2023, 9:13 PM IST

पलामू: बूढ़ापहाड़ पिछले एक वर्ष में देश भर में चर्चा केंद्र बना हुआ है. केंद्रीय गृह मंत्रालय बूढ़ापहाड़ को नक्सल विरोधी अभियान का रोल मॉडल मान रहा है. यहां माओवादियों के ट्रेनिंग कैंप थे. जिस जगह माओवादी ट्रेनिंग लेते थे अब उस जगह पर सुरक्षाबलों की आठ कंपनियां तैनात हैं. सभी कैंप बूढापहाड़ के 12 किलोमीटर के दायरे में हैं.

ये भी पढ़ें: नक्सलियों से मुक्त बूढ़ा पहाड़ पर विकास की किरणें उतारने की कवायद, किस हाल में हैं इलाके के 27 गांवों के लोग, क्या करने जा रही है सरकार

बूढ़ापहाड़ में जो कैंप बने हैं उनमें दो हजार से अधिक जवान तैनात हैं. इन कैंपों में तैनात जवान ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित करते हैं और उनके जीवन को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. दरअसल बूढ़ापहाड़ पर कूल्ही, हेसातु, बेहराटोली, झालुडेरा और जेटीएफ पुंदाग में कैंप स्थापित किए गए हैं. इन कैंपों में सीआरपीएफ, जैप, झारखंड जगुआर के साथ जिला बल की आठ कंपनी तैनात हैं.

बूढ़ापहाड़ को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में तरफ से कहा गया कि सीएम हेमंत सोरेन ने बूढ़ापहाड़ का दौरा कर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. दरसअल बूढ़ापहाड़ के इलाके में 27 गांव में 3809 ग्रामीण हैं. ग्रामीण तीन दशक तक भाकपा माओवादी के साए में रहे है, सीआरपीएफ के पहुंचने के बाद अब सभी मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं. सुरक्षाबलो के पहुंचने के बाद इलाके में बाजार सजने लगे हैं.

ग्रामीणों को जवानों के द्वारा सिंचाई कूप निर्माण और सोलर पंप दिए गए हैं जिससे वे मुख्यधारा से जुड़ कर कृषि कार्य कर रहे हैं. पहले इस इलाके में माओवादी बच्चों को लाल क्रांति का पाठ पढ़ाते थे, लेकिन अब सुरक्षाबलों के जवान बच्चों को भारत का संविधान और लोकतंत्र का पाठ पढ़ा रहे हैं. हाल में ही गढ़वा एसपी दीपक कुमार पांडेय के नेतृत्व में पुलिस बल बूढ़ापहाड़ पर गया था और ग्रामीणों के हौसले को बढ़ाया था.

पलामू: बूढ़ापहाड़ पिछले एक वर्ष में देश भर में चर्चा केंद्र बना हुआ है. केंद्रीय गृह मंत्रालय बूढ़ापहाड़ को नक्सल विरोधी अभियान का रोल मॉडल मान रहा है. यहां माओवादियों के ट्रेनिंग कैंप थे. जिस जगह माओवादी ट्रेनिंग लेते थे अब उस जगह पर सुरक्षाबलों की आठ कंपनियां तैनात हैं. सभी कैंप बूढापहाड़ के 12 किलोमीटर के दायरे में हैं.

ये भी पढ़ें: नक्सलियों से मुक्त बूढ़ा पहाड़ पर विकास की किरणें उतारने की कवायद, किस हाल में हैं इलाके के 27 गांवों के लोग, क्या करने जा रही है सरकार

बूढ़ापहाड़ में जो कैंप बने हैं उनमें दो हजार से अधिक जवान तैनात हैं. इन कैंपों में तैनात जवान ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित करते हैं और उनके जीवन को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. दरअसल बूढ़ापहाड़ पर कूल्ही, हेसातु, बेहराटोली, झालुडेरा और जेटीएफ पुंदाग में कैंप स्थापित किए गए हैं. इन कैंपों में सीआरपीएफ, जैप, झारखंड जगुआर के साथ जिला बल की आठ कंपनी तैनात हैं.

बूढ़ापहाड़ को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में तरफ से कहा गया कि सीएम हेमंत सोरेन ने बूढ़ापहाड़ का दौरा कर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. दरसअल बूढ़ापहाड़ के इलाके में 27 गांव में 3809 ग्रामीण हैं. ग्रामीण तीन दशक तक भाकपा माओवादी के साए में रहे है, सीआरपीएफ के पहुंचने के बाद अब सभी मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं. सुरक्षाबलो के पहुंचने के बाद इलाके में बाजार सजने लगे हैं.

ग्रामीणों को जवानों के द्वारा सिंचाई कूप निर्माण और सोलर पंप दिए गए हैं जिससे वे मुख्यधारा से जुड़ कर कृषि कार्य कर रहे हैं. पहले इस इलाके में माओवादी बच्चों को लाल क्रांति का पाठ पढ़ाते थे, लेकिन अब सुरक्षाबलों के जवान बच्चों को भारत का संविधान और लोकतंत्र का पाठ पढ़ा रहे हैं. हाल में ही गढ़वा एसपी दीपक कुमार पांडेय के नेतृत्व में पुलिस बल बूढ़ापहाड़ पर गया था और ग्रामीणों के हौसले को बढ़ाया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.