पलामू: क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने वाले 2024 प्रवासी मजदूरों में सिर्फ 60 लोगों की ही कोरोना जांच हो पाई है, जिनमें से अब तक 36 की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जबकि प्रवासी मजदूरों की आने वाली संख्या और जांच का प्रतिशत दो से भी कम है.
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है. इस लॉकडाउन में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर लौटे हैं. घर लौटने वाले मजदूरों से कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव से बचने के लिए सरकार ने क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए हैं. पलामू जिला प्रशासन ने पूरे जिले में 291 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया है. जिनमें 269 पंचायत भवन है, जबकि अन्य सरकारी स्कूल और भवन है.
क्वॉरेंटाइन सेंटर में बेहतर सुविधा
पलामू के 291 क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में खाना के साथ-साथ मनोरंजन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. स्वाथ्य विभाग की एक टीम लगातार क्वॉरेंटाइन सेंटरों में मजदूरों के स्वाथ्य पर निगरानी रखे हुए है. सेंटर पर एक एएनएम, पंचायत सेवक, सहिया और सुरक्षा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में होम गार्ड के जवानों को तैनात किया गया है. शहरी क्षेत्रों में पुलिस बल की तैनाती की गई है. चिकित्सा पदाधिकारी लगातार उनके स्वास्थ्य पर मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
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12049 प्रवासी मजदूर पंहुचे हैं पलामू
कोरोना वायरस को लेकर जारी अलर्ट के बीच पलामू में 12049 प्रवासी मजदूर पलामू पंहुचे हैं, जिसमें से 172 लोग विदेशी हैं. इसमें से 11,865 मजदूरों को क्वॉरेंटाइन के लिए बोला गया था, जिसमें 4818 मजदूर क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरा कर चुके हैं. पलामू में दिल्ली से 700, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से 500, उत्तरप्रदेश से 800, एमपी से 650, छत्तीसगढ़ 925, राजस्थान 1100 और जबकि दक्षिण भारत के राज्यों से करीब 800 मजदूर पंहुचे हैं. प्रवासी मजदूरों को चिन्हित करने के लिए गांव स्तर पर सहिया और चौकीदार को लगाया गया है.