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70 के दशक से अधूरा पड़ा है मंडल डैम का निर्माण, PM ने किया शिलान्यास फिर भी नहीं शुरू हुआ काम

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Published : Dec 12, 2020, 7:26 PM IST

Updated : Dec 13, 2020, 7:02 PM IST

70 के दशक में शुरू हुई पलामू मंडल डैम का निर्माण कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए आधारशिला भी रखी, लेकिन अभी तक इस काम के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई है.

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70 के दशक से अधूरा पड़ा है मंडल डैम का निर्माण कार्य

पलामू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को पलामू के चियांकी हवाई अड्डा से उत्तर कोयल परियोजना के मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने का आधारशिला रखा था. शिलान्यास के लगभग दो साल पूरा होने वाले हैं, लेकिन अभी तक एक इस काम के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

करीब 1007 हेक्टेयर में फैला है पलामू का मंडल डैम

डैम के निर्माण कार्य को मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस दौरान लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी हुए. दोनों चुवाओं में मंडल डैम एक बड़ा मुद्दा बना था. मंडल डैम के अधूरे कार्यो को 1622.27 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है. मंडल डैम करीब 1 हजार 7 हेक्टेयर में फैला हुआ है. पूरा इलाका पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है. इस कारण एनजीटी ने डैम की ऊंचाई 376 मीटर से घटा कर 341 मीटर करने को कहा है. डैम के निर्माण के लिए 3 लाख 44 हजार 644 पेड़ों को काटे जाने का प्रस्ताव है. सरकार के नजर में 6 गांव विस्थापित हो रहे हैं, लेकिन विस्थापन समिति के अनुसार, 16 गांव विस्थापित हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें-पलामू सांसद ने सरकार की नीतियों पर उठाया सवाल, कहा- राज्य में थम गया विकास का पहिया

30 करोड़ की लागत से शुरू हुआ था पलामू मंडल डैम का काम

मंडल डैम पर 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से काम शुरू हुआ था. योजना थी कि यह डैम उत्तर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल और जहानाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पंहुचे और पलामू और उसके आसपास के जिलों को बिजली मिले. पलामू टाइगर रिजर्व के आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गई है. डैम से आधा दर्जन से अधिक गांव डूब जांएगे. अविभाजित पलामू में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में नदी पर मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी, जो अब 2391.36 करोड़ की हो गई है. 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सल हमले के बाद यह परियोजना का काम ठप हो गया है. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार, जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी.

1993 से ठप पड़ी है यह परियोजना

मंडल डैम का निर्माण कार्य 70 के दशक में 30 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई थी. 90 के दशक में हुए नक्सल हमले के बाद डैम का निर्माण कार्य अधूरा है. लंबे वक्त से किसानों के लिए संघर्ष कर रहे मंडल डैम को करीब से जानने वाले केडी ने बताया कि उस दौर में जितनी भी परियोजना शुरू हुई थी. वह झारखंड के इलाके के दोहन के लिए थी. उस दौरान बनी समिति ने यह मामला उठाया था, लेकिन कोई सकारात्मक पहल सरकार ने नहीं की. वो बताते हैं कि मेदिनीनगर ( डालटनगंज ) के उपर एक बराज बनाने की जरूरत है, ताकि पलामू, गढ़वा और लातेहार को पानी मिल सके. इसके अलावा कोयल और अमानत नदी के संगम पर भी इसी तरह के पहल की जरूरत है. वे बताते हैं कि बिहार को इससे पानी मिले, लेकिन उससे पहले पलामू, गढ़वा और लातेहार को भी पानी मिले.

ये भी पढ़ें- साहिबगंज: गंगा नदी में मिली दुर्लभ प्रजाति की मछली, वजन 140 किलो

तय समय में पूरा होगा पलामू के मंडल डैम का काम

मंडल डैम को लेकर लंबे वक्त तक आवाज उठाने वाले पूर्व सांसद जोरावर राम बताते हैं कि उस दौरान शुरू हुई सभी सिंचाई परियोजना अधूरी है. उसे पूरा करने की जरूरत है. वहीं, मंडल डैम के मामले में पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने बताया कि तय समय पर इस डैम का कार्य पूरा होगा. कार्य स्थल पर पुलिस कैंप बनाए जाने हैं, जो फरवरी तक पूरा हो जाएगा. उनका कहना है कि उत्तर कोयल नहर परियोजना का झारखंड के भाग का कार्य तय समय पर पूरा होगा. बराज के लेफ्ट कैनाल और राइट कैनाल का काम 70 से 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन मंडल डैम को लेकर अभी भी कई सवाल उठ रहे हैं.

पेड़ों के काटने के लिए वन विभाग की मिल चुकी है अनुमति

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव के दौरान डैम निर्माण को लेकर कई सवाल उठाए थे और खुलेआम डैम नहीं बनने देने की घोषणा की थी. डैम को लेकर वन विभाग ने अनुमति दे दी है. अभी तक तय नहीं हुआ है कि 3 लाख 44 हजार 644 पेड़ों को काटा जाना है या नहीं. अगर पेड़ों को काटा जाना है तो कब तक. काटने के बाद इसे कहां रखा जाएगा. यहीं नहीं पेड़ों को काटे जाने के बाद वहां दोगुने पेड़ लगाए जाने हैं, लेकिन इसकी किसी के पास कोई जानकारी नहीं है.

पलामू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को पलामू के चियांकी हवाई अड्डा से उत्तर कोयल परियोजना के मंडल डैम के अधूरे कार्यो को पूरा करने का आधारशिला रखा था. शिलान्यास के लगभग दो साल पूरा होने वाले हैं, लेकिन अभी तक एक इस काम के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

करीब 1007 हेक्टेयर में फैला है पलामू का मंडल डैम

डैम के निर्माण कार्य को मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस दौरान लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी हुए. दोनों चुवाओं में मंडल डैम एक बड़ा मुद्दा बना था. मंडल डैम के अधूरे कार्यो को 1622.27 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है. मंडल डैम करीब 1 हजार 7 हेक्टेयर में फैला हुआ है. पूरा इलाका पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है. इस कारण एनजीटी ने डैम की ऊंचाई 376 मीटर से घटा कर 341 मीटर करने को कहा है. डैम के निर्माण के लिए 3 लाख 44 हजार 644 पेड़ों को काटे जाने का प्रस्ताव है. सरकार के नजर में 6 गांव विस्थापित हो रहे हैं, लेकिन विस्थापन समिति के अनुसार, 16 गांव विस्थापित हो रहे हैं.

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30 करोड़ की लागत से शुरू हुआ था पलामू मंडल डैम का काम

मंडल डैम पर 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से काम शुरू हुआ था. योजना थी कि यह डैम उत्तर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल और जहानाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पंहुचे और पलामू और उसके आसपास के जिलों को बिजली मिले. पलामू टाइगर रिजर्व के आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गई है. डैम से आधा दर्जन से अधिक गांव डूब जांएगे. अविभाजित पलामू में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में नदी पर मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी, जो अब 2391.36 करोड़ की हो गई है. 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सल हमले के बाद यह परियोजना का काम ठप हो गया है. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार, जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी.

1993 से ठप पड़ी है यह परियोजना

मंडल डैम का निर्माण कार्य 70 के दशक में 30 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई थी. 90 के दशक में हुए नक्सल हमले के बाद डैम का निर्माण कार्य अधूरा है. लंबे वक्त से किसानों के लिए संघर्ष कर रहे मंडल डैम को करीब से जानने वाले केडी ने बताया कि उस दौर में जितनी भी परियोजना शुरू हुई थी. वह झारखंड के इलाके के दोहन के लिए थी. उस दौरान बनी समिति ने यह मामला उठाया था, लेकिन कोई सकारात्मक पहल सरकार ने नहीं की. वो बताते हैं कि मेदिनीनगर ( डालटनगंज ) के उपर एक बराज बनाने की जरूरत है, ताकि पलामू, गढ़वा और लातेहार को पानी मिल सके. इसके अलावा कोयल और अमानत नदी के संगम पर भी इसी तरह के पहल की जरूरत है. वे बताते हैं कि बिहार को इससे पानी मिले, लेकिन उससे पहले पलामू, गढ़वा और लातेहार को भी पानी मिले.

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तय समय में पूरा होगा पलामू के मंडल डैम का काम

मंडल डैम को लेकर लंबे वक्त तक आवाज उठाने वाले पूर्व सांसद जोरावर राम बताते हैं कि उस दौरान शुरू हुई सभी सिंचाई परियोजना अधूरी है. उसे पूरा करने की जरूरत है. वहीं, मंडल डैम के मामले में पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने बताया कि तय समय पर इस डैम का कार्य पूरा होगा. कार्य स्थल पर पुलिस कैंप बनाए जाने हैं, जो फरवरी तक पूरा हो जाएगा. उनका कहना है कि उत्तर कोयल नहर परियोजना का झारखंड के भाग का कार्य तय समय पर पूरा होगा. बराज के लेफ्ट कैनाल और राइट कैनाल का काम 70 से 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन मंडल डैम को लेकर अभी भी कई सवाल उठ रहे हैं.

पेड़ों के काटने के लिए वन विभाग की मिल चुकी है अनुमति

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव के दौरान डैम निर्माण को लेकर कई सवाल उठाए थे और खुलेआम डैम नहीं बनने देने की घोषणा की थी. डैम को लेकर वन विभाग ने अनुमति दे दी है. अभी तक तय नहीं हुआ है कि 3 लाख 44 हजार 644 पेड़ों को काटा जाना है या नहीं. अगर पेड़ों को काटा जाना है तो कब तक. काटने के बाद इसे कहां रखा जाएगा. यहीं नहीं पेड़ों को काटे जाने के बाद वहां दोगुने पेड़ लगाए जाने हैं, लेकिन इसकी किसी के पास कोई जानकारी नहीं है.

Last Updated : Dec 13, 2020, 7:02 PM IST
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